बड़े भाई श्री आशुतोष श्रीवास्तव
अभी इसी महीने गुलाब दादा ने अपनी पुस्तक 'राष्ट्र-चिंतन', बड़े भाई श्री आशुतोष श्रीवास्तव जी ने अपनी 'परशुराम यश चन्द्रिका' और मैंने अपनी 'अनुश्री' प्रकाशित कराने की तैयारी की थी । हम तीनों ने सोचा था कि तीनों पुस्तकों का एक साथ विमोचन करेंगे किन्तु यह ईश्वर को मंजूर नहीं था । आज बड़े भाई आशुतोष जी हमें छोड़कर परलोक चले गए । कहने को तो वे हास्य-व्यंग्य के कवि जाने जाते थे किन्तु वास्तव में वे भक्त-कवि थे । उनकी 'राधा भक्ति सोपान' देश भर में पढ़ी जाती है । प्रकाशनाधीन उनकी पुस्तक अब तक पहली पुस्तक होगी जो अपने आप में भगवान परशुराम पर पूर्ण कही जा सकती है । उनसे जनपद बहराइच का परिचय था - उनकी अनुपस्थिति जनपद की अपूर्णीय क्षति है । द्रवित ह्रदय से हम उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं ! परमात्मा ऐसे अपने भक्त की आत्मा को स्वचरणों में आश्रय दे !