शासन प्रणाली
' शासन प्रणाली ' को मैने ०२ मई सन १९८८ को कांग्रेस की सरकार को समर्पित करने के उद्देश्य से लिखा था | बाघ शेर को , बाघ को गीदड़ , गीदड़ को खुश रखता कौवा , इस क्रम से मक्खन बाजी कर कायम रखते अपना पौवा | कौवा पता लगाकर आता , गीदड़ घात बताता है , इन सबका सहयोग प्राप्त कर हिरण को बाघ पकड़ता है | बढ़िया - बढ़िया माँस काटकर छोड़ हिरण को देता , दो एक टुक कौवा गीदड़ को देकर फ़ुर्सत करता | फिर वह सारा ले जा करके शेर को भेंट चढ़ाता है , कुछ हिस्सा उसमें से लेकर खुद भी मज़े उड़ाता है | घायल हिरण वहाँ से जाकर घास और खुब चरता है , जल्दी-जल्दी नोच-नोच कर क्षति को पूरा करता है | उसे छूट राजा से मिलती दम भर घास नोचने की , उलट-पलट जिस तरफ से चाहे चारागाह खुरचने की | अब देखो ये सारे खुश है केवल घास ही ठूंठ बनी , क्षति उसकी पूरी करने को धरती ने कह दिया नहीं | बीच-बीच में उनको जाकर शेर राज भाषण देते , उन सबको झूठे आश्वासन देकर गदगद कर देते | इस अवसर पर बाघ मंत्री के मुख से झरते हैं फूल , अपने मालिक के स्वागत में उसकी सुध-ब...