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Showing posts from May 10, 2015

शासन प्रणाली

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' शासन प्रणाली ' को मैने ०२ मई सन १९८८ को कांग्रेस की सरकार को समर्पित करने के उद्देश्य से लिखा था | बाघ शेर को , बाघ को गीदड़ , गीदड़ को खुश रखता कौवा , इस क्रम से मक्खन बाजी कर कायम रखते अपना पौवा | कौवा पता लगाकर आता , गीदड़ घात बताता है , इन सबका सहयोग प्राप्त कर हिरण को बाघ पकड़ता है | बढ़िया - बढ़िया माँस काटकर छोड़ हिरण को देता , दो एक टुक कौवा गीदड़ को देकर फ़ुर्सत करता | फिर वह सारा ले जा करके शेर को भेंट चढ़ाता है , कुछ हिस्सा उसमें से लेकर खुद भी मज़े उड़ाता है | घायल हिरण वहाँ से जाकर घास और खुब चरता है , जल्दी-जल्दी नोच-नोच कर क्षति को पूरा करता है | उसे छूट राजा से मिलती दम भर घास नोचने की , उलट-पलट जिस तरफ से चाहे चारागाह खुरचने की | अब देखो ये सारे खुश है केवल घास ही ठूंठ बनी , क्षति उसकी पूरी करने को धरती ने कह दिया नहीं | बीच-बीच में उनको जाकर शेर राज भाषण देते , उन सबको झूठे आश्वासन देकर गदगद कर देते | इस अवसर पर बाघ मंत्री के मुख से झरते हैं फूल , अपने मालिक के स्वागत में उसकी सुध-ब...

Happy Mother’s Day!

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All-enduring and selfless love is available nowhere except in the heart of a mother. She never applies her mind when it comes to her child. She is the maker; she is the keeper; she is the energy; she is the teacher; she is the real owner; and so she is the appearance of God as a human. We are quick to take offence at something rude others say or do, but when our mother says or does the same thing, we take no offence – why? It is because we know she is entirely without malice. I am proud that I am the son of my mother! Mom, how I love to remember those moments when at your knee, I used to listen to your songs and stories! Mom, I feel an ocean of love leaping in me when I recall the way you brought me up! Mom, I cherish the memories of my childhood! Mom, I was the part of you and ever be! My beloved Mom, my sweet, sweet Mom, I love thee – I love thee too much! A child rushed in out of the rain from his school. His brother cried, “Why didn’t you take an umbrella?” “You’d better wait ti...