नल दमयन्ती
अनुश्री में ऐसी-ऐसी कविताएं हैं जिन्हें पढ़कर आपके दिल में लहरें उछलना प्रारम्भ हो जाएँगी। आप उसकी मस्ती में सब कुछ भूल जायेंगे। नीचे की कविता में थोड़ा अंदर जाकर देखिये कि आप वास्तविक संसार से दूर सपनों के लोक में कैसे खो गए हैं। दमयन्ती प्यारी दमयन्ती राजकुमार नल निषध देश के राजा वीरसेन के पुत्र थे । वे बड़े ही वीर तथा सुंदर थे । राजकुमारी दमयन्ती विदर्भ नरेश भीष्मक की एकलौती पुत्री थी । वह भी बहुत ही सुन्दर व गुणवान थी । दोनों ने एक दूसरे के सौन्दर्य की प्रशंसा सुनी और प्रेम के विरह अग्नि में जलने लगे । 15 मई , 1988 ‘ कभी दौड़ता रुक-रुक चलता कभी ठहर क्यों जाता है , कभी उमड़ता कभी घुमड़ता मतवाला क्यों फिरता है ? मन ही मन तू बातें करता बुनता - गुनता तू क्या है ?’ निशा ने पूछा , ‘ पगले वायू , हुआ आज तुझको क्या है ? मन्द - मन्द मुस्कान बताती तू कुछ छिपा रहा है , पवन , बता क्या प्रिया पुष्प से तेरा मिलन हुआ है ?’ उत्तर में वह चल देता , दीवाना नटता , मुस्काता , झूम-झूम फिर घूम-घूम सर-सर करता इतराता । मादक था शीतल मौसम जिसमें कुमार नल सोया था , ...