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Showing posts from July 28, 2024

नल दमयन्ती

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अनुश्री में ऐसी-ऐसी कविताएं हैं जिन्हें पढ़कर आपके दिल में लहरें उछलना प्रारम्भ हो जाएँगी। आप उसकी मस्ती में सब कुछ भूल जायेंगे। नीचे की कविता में थोड़ा अंदर जाकर देखिये कि आप वास्तविक संसार से दूर सपनों के लोक में कैसे खो गए हैं। दमयन्ती प्यारी दमयन्ती   राजकुमार नल निषध देश के राजा वीरसेन के पुत्र थे । वे बड़े ही वीर तथा सुंदर थे । राजकुमारी दमयन्ती विदर्भ नरेश भीष्मक की एकलौती पुत्री थी । वह भी बहुत ही सुन्‍दर व गुणवान थी । दोनों ने एक दूसरे के सौन्दर्य की प्रशंसा सुनी और प्रेम के विरह अग्नि में जलने लगे । 15 मई , 1988 ‘ कभी दौड़ता रुक-रुक चलता कभी ठहर क्यों जाता है , कभी उमड़ता कभी घुमड़ता मतवाला क्यों फिरता है ? मन ही मन तू बातें करता बुनता - गुनता तू क्या है ?’ निशा ने पूछा , ‘ पगले वायू , हुआ आज तुझको क्या है ? मन्द - मन्द मुस्कान बताती तू कुछ छिपा रहा है , पवन , बता क्या प्रिया पुष्प से तेरा मिलन हुआ है ?’ उत्तर में वह चल देता , दीवाना नटता , मुस्काता , झूम-झूम फिर घूम-घूम सर-सर करता इतराता । मादक था शीतल मौसम जिसमें कुमार नल सोया था , निद्

हे भोले !

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  सावन महीने में भोले बाबा की प्रार्थना पढ़िए अनुश्री-कविताएं में : हे भोले ! आप संपूर्ण जगत के जीव हो , जड़ हो ,   आप सबके जन्म हो , जीवन हो और मृत्यु हो । हे महादेव ! आप समुद्र के अपार जल व उसके हिमगिरि हो , आप उसकी लहरें हो और तूफान भी हो । हे त्रिपुरारी ! आप पर्वत श्रृंखला की विशालता हो , आप वायु हो , अग्नि हो , और वनस्पति हो । हे महाकाल ! आप सूर्य , चंद्रमा , ग्रह , नक्षत्र , आकाश गंगा हो , सबकी गति हो , उनके प्रकाश हो । हे देवादिदेव ! आप ब्रह्मांडो के ब्रह्माण्ड अनंत हो , आप सबकी गति हो , क्रिया हो , द्रव्य और उर्जा हो । हे आशुतोष ! आप शून्य हो , आप ही संपूर्ण चेतना व अस्तित्व हो , आप ही भोक्ता   हो और भर्ता भी आप हो । हे अवढर दानी ! आपके लिए कुछ असंभव नहीं , मेरे लिए कुछ संभव नहीं - मेरा जीवन प्रकाशित और प्रसन्न कर दो ।               ~~~~