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हे भोले !

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हे भोले ! आप संपूर्ण जगत के जीव हो, जड़ हो आप सबके जन्म हो, जीवन हो, और मृत्यु हो | हे महादेव ! आप समुद्र के अपार जल व उसके हिमगिरि हो आप उसकी लहरें हो और तूफान भी हो | हे त्रिपुरारी ! आप पर्वत शृंखला की विशालता हो आप वायु हो, अग्नि हो, और वनस्पति हो | हे महाकाल ! आप सूर्य, चंद्रमा, ग्रह, नक्षत्र, आकाश गंगा हो सबकी गति हो, उनके प्रकाश हो | हे देवादिदेव ! आप ब्रह्मांडो के ब्रह्माण्ड, अनंत हो आप सम्पूर्ण क्रिया हो, द्रव्य और उर्जा हो | हे आशुतोष ! आप शून्य हो, आप ही संपूर्ण चेतना व अस्तित्व हो संपूर्ण इकाइयाँ भोक्ता किन्तु भर्ता आप हो | हे अवढर दानी ! आपके लिए कुछ असंभव नहीं, मेरे लिए कुछ संभव नहीं - मेरा जीवन प्रकाशित और प्रसन्न कर दो | - रमेश तिवारी