राष्ट्रीय पार्टी
राष्ट्रीय स्तर पर वही पार्टी विकास करती है जिसमें जिम्मेदारी का विकेन्द्रीकरण होता है । इसके विपरीत जिस पार्टी में जिम्मेदारी केवल पार्टी प्रमुख के हाथों में केंद्रित होती है वह पार्टी विकास कभी नहीं कर सकती । कांग्रेस इस समय इसी बीमारी से ग्रस्त है क्योंकि गाँधी परिवार को डर है कि यदि अधिक लोगों को बोलने की छूट दी गई तो कोई दूसरा राहुल गाँधी से अधिक लोकप्रिय हो सकता है, परिणाम स्वरुप पार्टी पर परिवार का प्रभुत्व समाप्त हो सकता है । यही हाल समाजवादी पार्टी का है, अखिलेश जी अकेले भाजपा जैसी पार्टी से लड़ रहे हैं क्योंकि अन्य लोगों को जिम्मेदारी बांटने का जोखिम उठाना नहीं चाहते । आम आदमी पार्टी प्रमुख केजरीवाल ने प्रारम्भ में ही प्रभावशाली लोगों को बाहर का रास्ता दिखा दिया था उसके बाद वे अकेले ही मोर्चा संभाल रहे हैं । ममता दीदी हों या दक्षिण भारत की क्षेत्रीय पार्टियां हों, सबका यही हाल है । ये सभी पार्टियां किसी एक प्रान्त से बाहर अपना प्रभाव विकसित नहीं कर सकतीं । इस तरह वर्तमान में केवल बीजेपी ही राष्ट्रीय पार्टी है और उसका कोई विकल्प नहीं है ।
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