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मेरे कृष्ण कन्हैया

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तुम जितना रूठो मुझसे तुम जितना भागो मुझसे जी चाहे जितना मुझे सताओ मैं तेरा हूँ तुम मेरे हो निकल सको तो निकलो हिय से ये मेरे कृष्ण कन्हैया ये जीवन नाव खेवइया मैं तुझमें इस तरह घुल चुका जैसे मिश्री जल में छोड़ सको तो छोड़ो दुर्बल बहियाँ जीवन इंजन तो चलता है पर पहिया वहीं घूमता है हे मनभावन प्यारे कान्हा हाथ लगा दो मुझे बढ़ा दो दलदल में यह दुखी खड़ा है मैं पुकारता तुझे रहूँगा हाथ जोड़कर खड़ा रहूँगा मुरली तेरी नहीं बजेगी कब तक कब तक छिपे रहोगे निश-दिन राधे रटा करूँगा                                  - रमेश तिवारी