प्रधान जनसेवक महादेव
“आपत्ति काले विपरीत बुद्धि” :- मोदी महादेव ने अपने भक्तों के मध्य में उस समय दिव्यास्त्र फेंका जब वे आँखें मूंद कर भजन में तल्लीन थे | उनकी आँखें खुलीं: कुछ भय में भागने लग गये, कुछ के पैर काँपने लगे और कुछ की निगाहें उस दैविक अस्त्र पर टिक गयीं | कुछ लोग आगे बढ़े और एक ने जैसे ही उस भयानक अस्त्र को उठाया, वह तुरन्त इतनी संख्या में उपलब्ध हो गया कि सबको एक एक मिल गया | लड़ाई छिड़ गई – किसी का सिर कटा, किसी का हाथ तो किसी का पैर | फिर क्या था 36 करोड़ देवता उन पर फूल वर्षाने लगे लेकिन ये हरकत हिन्दू महादेव को पसंद न आई | भारतीय संस्कृति के पालक महादेव ने तो ऐसा इसलिए किया था क्योंकि उन्हें बहुत बड़ी संख्या में भक्त चाहिए, किन्तु हुआ क्या उस बड़ी संख्या में दूसरे भक्तों ने पहले तमाशा देखा फिर कुछ ही भजन के लिए तैयार हुए बाकी सब देवताओं की ओर हाथ जोड़कर उन्हें धन्यवाद देने लगे | प्रधान जनसेवक महादेव को ये सारे दूसरे भक्त तो भी मिल जाते क्योंकि मूल भक्तों के मधुर भजन सुनना इन्हें भी अच्छा लगता | “अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का, यार ने ही लूट लिया घर यार का !”