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Showing posts from April 22, 2018

Rahul Baba

The old deadbeats now sit in judgment over the industrious government. “Dear old Mr Naïve, who’re you: a Hindu, a Muslim, a Christian or none of them? Mr Green, you’d better go to Europe to learn the basics of politics from you maternal uncles.” As long as Sri Manmohan Singh headed the country, The Prime Minister of India was nothing more than a doll to the mother and her son. They realized the power of the chair right as Sri Modi succeeded him. The air of conceit slowly leaked out of their heads and PM Modi, whom the whole country finds as a gentle Prime Minister, looked like a dictator to them. If the UPA had continued, a lot many retailers, vendors or even shopkeepers would have committed suicide by now because, as I can remember, they then had to spend the whole day without any customer visiting them. Now even a very ordinary peddler earns his sufficient living in the streets. Those who did not have a bicycle have a bike of their own. There is a flood of car owners today. Every p

असंतोष की सीमा केवल मृत्यु होती है |

असंतोष की सीमा केवल मृत्यु होती है | किसी को आप अनाज दे दीजिये वह आपसे उम्मीद करने लगेगा कि आपने उसे सॉफ इत्यादि करके पकाने योग्य करके क्यों नहीं दिया | अब आप वैसा भी कर दीजिये फिर वह कहेगा कि आप उसकी तरफ से पका कर परोस देते तो अच्छा था | इस तरह वह निकम्मा अपने आलस्य की वजह से जब तक मर नहीं जायेगा तब तक संतुष्ट नहीं हो सकता | ऐसे वर्ग को सहयोग करना देश द्रोह है | यह वह वर्ग है जो देश के लिये कभी नहीं सोचता | इसे देश का भला चाहने वाले या न चाहने वाले दोनो से कोई परहेज नहीं होता और इसी की स्वार्थपरता का लाभ लेकर ठग और कपटी देश पर शासन करने लगते हैं | अब समाज में एक दूसरी तरह का व्यक्ति होता है जो उत्पादक है और अपने व्यवसाय में बहुत मेहनत करता है परंतु सामाजिक व प्रशासनिक व्यवस्था की वजह से उसे उचित पारितोषिक नहीं मिलता | ऐसे वर्ग के सहयोग से देश की संपत्ती कभी घटती नहीं बल्कि उत्तरोत्तर बढ़ती है | प्राचीन समय में लोग महादेव की अखंड तपस्या किया करते थे | बिना अन्न जल ग्रहण किए एक पैर पर वर्षों खड़े रहा करते थे | शतत 'ओम नमः शिवाय' का जाप किया करते थे | अंत में उनकी तपस्या से प्र

मोदी जी की नीतियों पर पूज्य गुरुदेव स्वामी परमानन्द जी के विचार

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गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वरः । गुरुरेव परं ब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥१॥ Gurudev is not Purush, not Mahapurush and not even Yugpurush, though He looks like that. O, man read the universe you will find Him to be Brahma; to be Vishnu; and also to be Shiva. Now realize He is the Supreme Brahman, and offer thy adoration unto that peerless Being. पूज्य गुरुदेव स्वामी परमानन्द गिरी जी महाराज बुधवार, 7 दिसम्बर 2016 को श्री शीतल प्रसाद जी के निवास पर अपने शिष्यों को नैतिक शिक्षा विषय पर कुछ बता रहे थे तभी उनसे कुछ प्रश्न किए गये उन्होने क्या उत्तर दिया उसका विवरण निम्नानुसार है : प्रश्न : महाराज जी, वर्तमान समय में सामाजिक, राजनीतिक एवं आध्यात्मिक स्थिति के विषय में आपके क्या विचार हैं ? उत्तर : देखो कलियुग का प्रभाव हर क्षेत्र पर है इसलिए इनमें से कोई विकार मुक्त नहीं है | मैं तो समझता हूँ बहुत अधिक पैसों से कभी किसी को लाभ नहीं मिला | महान बनने की लालसा अधिक से अधिक पैसा अर्जित करने का कारण है | कोई वैभव से महान बनना चाहता है तो कोई त्याग के दिखावे से | चाहे कोई सामाजि