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Showing posts from November 1, 2015

जै मैया !

माँ के आँचल में पलते पर उसको अलग समझते हैं माँ के दर्शन उनको होते माँ भक्ति जो करते हैं सागर तेरे चरण धुलें माँ चँवर डुलावे पुरवाई दिशा दिशाएं कीरति गावें वन बागों की शहनाई धरती पर सब तेरे बच्चे उछल-कूद माँ करते हैं माँ के दर्शन उनको होते माँ भक्ति जो करते हैं सारा नभ दरबार सज़ा माँ सूर्य चंद्र से आलोकित निशा दिवस पहरे देते हैं तारों से मण्डप शोभित मेघों के संगीत सुहाने मन मोहित कर लेते हैं माँ के दर्शन उनको होते माँ भक्ति जो करते हैं माँ के आँचल में पलते पर उसको अलग समझते हैं माँ के दर्शन उनको होते माँ भक्ति जो करते हैं - रमेश चन्द्र तिवारी

आचार्य प्रवर महामंडलेश्वर युगपुरुष श्री स्वामी परमानन्द गिरी जी महाराज द्वारा प्रवचन - प्रस्तुति रमेश चन्द्र तिवारी

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गुरुवार, 29 अक्तूबर 2015 दिनांक 29-10-2015 को प्रातः 6.00 बजे आचार्य प्रवर महामंडलेश्वर युगपुरुष श्री स्वामी परमानन्द गिरी जी महाराज बहराइच आ गये तथा 30वाँ 'भक्ति योग वेदांत संत सम्मलेन’ हीरा सिंह लान, बहराइच में पूज्य साध्वी चैतन्य सिंधु के संचालन में प्रारंभ हो गया | सुबह 6=00 बजे से 7.30 तक योग साधना की शिक्षा तथा शाम 6.00 बजे से 9.00 तक संतो द्वारा भजन, कीर्तन तथा प्रवचन होता रहा | यह कार्यक्रम 01-11-2015 तक चला | पूज्य श्री महाराज जी ने कहा कि सत्संग में या अन्य कहीं भी शब्दार्थ की व्याख्या से विवाद पैदा होते हैं | अतः लोगों को चाहिए कि वे शब्दों के उद्देश्य पर ध्यान दें | ऐसा करने पर स्वस्थ सोच की उतपत्ति होती है और मिथ्या प्रपन्च से बचा जा सकता है | अकसर लोग प्रवचनों में कहे गये शब्दों पर तर्क करके धार्मिक लड़ाइयाँ कर लेते हैं जबकि यदि वे उसके अभप्राय पर ज़ोर दें तो एक दूसरे के आपसी विरोध के बजाय समाज सदभावना पूर्ण ढंग चल सकता है | सत्संग का उद्देश्य जीवन की प्राप्ति है न कि उसके नाम पर लड़ाई | उन्होने इस सन्दर्भ में एक कहानी सुनाई

The Poverty Trap

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Click on the link http://www.the-criterion.com/V6/n5/Ramesh.pdf and read ‘The Poverty Trap’, a very interesting short story by me, which has been published in ‘The Criterion: An International Journal in English’. Hard work is fundamental to success but responsibility, self-restraint, determination and logical mind are four vital keys to it. Since wasters lack these qualities, poverty tags along with them. And if someone comes forward to alleviate their misery, they are certain to be disappointed because no one on the earth can do it unless they provide them lifelong support. एक मेहनती पुत्र अपने परिवार को ग़रीबी के फंदे से उबारने के असफल प्रयास के पश्चात इस निष्कर्ष पर पहुचता है कि कठिन परिश्रम सफलता की कुंजी अवश्य है परंतु यदि साथ-साथ आत्मनियंत्रण, पक्का इरादा और तर्क शक्ति का आभाव है तो कुछ नहीं किया जा सकता | चूँकि ख़र्चीले स्वभाव वाले व्यक्तियों में इन गुणों की कमी होती है इसलिए ग़रीबी उनका साथ नहीं छोड़ती | यदि कोई उनका सहयोग भी करना चाहे तो उसे निराश ही होना पड़ेगा | यह