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अनुश्री-कविताएं Anushree-Kavitaen

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डायमंड बुक्स की प्रस्तुति ‘अनुश्री’ एक दार्शनिक निबंध के साथ खुलती है जिसके माध्यम वह अपना परिचय देती है । फिर वह भक्ति भाव में लीन वन्दना, प्रार्थना कर रही होती है, भजन गा रही होती है । जैसे ही उसकी आराधना समाप्त होती है वह वसंत व् पावस की मस्ती का वर्णन करती हुई भारतीय उत्सव के उमंग में बेसुध सी दिखती है । अब यहाँ थोड़ा सा मुड़ती है और राजनीति की गलियों में प्रवेश करके उसके टेढ़े-मेंढे, तंग, अँधेरे पथ का पोल खोलते, मजाक उड़ाते राष्ट्र भक्ति के गीत गाने लगती है । वहीँ वह प्रधानमंत्री मोदी जी की लोकप्रियता व् देश के प्रति उनके समर्पण सहित भारत के कुछ महापुरुषों के त्याग व् बलिदान की गाथा भी गाती है । इसके पश्चात् वह वहां से उछल कर छोटे-छोटे बच्चों के साथ खेलने लगती है । खेलते-खेलते वह मानव समाज की फुलवारी को सींचने संवारने में व्यस्त हो जाती है । अब जब फुलवारी खिल उठती है तब वह उसमें नृत्य करते हुए किशोर ह्रदय को दीवाना करने वाले प्रेम गीत गाने लगती है । पुस्तक कोरोना की पीड़ा में आंसू गिराते-गिराते एक कदम पीछे लौटती है जहाँ वह नोटबंदी व् स्वच्छ भारत विषय पर एकांकी के स्टेज का पर्दा उठा दे