Posts

Showing posts from April 4, 2021

मरना हुआ घिनौना

दुनिया भटक गई है, मशीनों में फँस गई है । पढ़े-लिखे दरिंदों के फेर में, जिंदगी लटक गई है । बाहर चमक दमक है, अन्दर कोढ़, सड़न है । मरना हुआ घिनौना, अब तो जीना एक कुढन है । जल में, वायु में, अग्नि में कीटाणु पनप गए हैं । धरती करती है बज बज, गंध के छल्ले घुमड़ रहे हैं । 

A Book for Election Campaign

  The Rise of NaMo and New India can win public supports India is a big country with a wide diversity of views and cultures. A few people may be troubled by the policies of the Modi government, but the country is witnessing an overall improvement in standards of living. The Rise of NaMo and New India puts forward convincing arguments to prove PM Modi’s point, therefore can help unthinking people overcome their deep prejudices against the Prime Minister. I would strongly advise the BJP candidates to distribute the copies of this book among the voters who they think will not support them. I can affirm that this book will persuade them to change and vote for BJP. भारत में सांस्कृतिक व धार्मिक विविधता है l अतः कोई ऐसी नीति नहीं है जो एक साथ सबको पसन्द आये l यही वजह है कि कुछ ऐसे भी लोग हैँ जो मोदी सरकार से असंतुष्ट रहते हैं l फिर भी यह एक मात्र सरकार है जो समग्र रूप में सबका साथ लेकर सबके विकास हेतु कृत संकल्पित है l द राइज ऑफ नमो ऐंड न्यू इंडिया ऐसी पुस्तक है जो असंतुष्टों के पूर्वाग्...

Sh. Ashok Koul throws light on a Book Title "The rise of Namo and New I...

Image
My new book ‘The Rise of NaMo and New India’ was launched in Jammu by the former Speaker and deputy CM, Jammu and Kashmir Government, Shri Kavinder Gupta on 12 Feb 2021 in presence of BJP Districct President Vinay Gupta, Senior BJP leaders Ashok Koul and Varinderjeet Singh, library in charge Kulbhushan Mehrotra, chairman of the Citizen’s Cooperative Bank Ltd Jammu and Praveen Kumar Sharma.

शाश्वत परतंत्रता

Image
मन के तूफ़ानों में तू है, बन्द, सुप्त पलकों में तू है, भला बता दे मुझसे तेरा क्या लेना क्या देना है । मिथ्या जीना, मिथ्या मरना, मिथ्या है जीवन की रचना, फिर भी पता नहीं है कैसे, हे प्रिय, तुमसे बचना है । भय लगता बाहों में तेरी, खोल शीघ्र अलकों की बेड़ी, मुझको न तो जीना है, न ही मुझको मारना है ।