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Showing posts from September 17, 2017

माँ दुर्गा

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माँ के आँचल में ही हम माँ को खोजा करते हैं, माँ के दर्शन उनको होते माँ प्रेमी जो होते हैं । सागर तेरे चरण धुलें माँ चँवर डुलावे पुरवाई, दिशा दिशाएं कीरति गावें वन बागों की शहनाई । धरती पर सब तेरे बच्चे उछल-कूद माँ करते हैं, माँ के दर्शन उनको होते माँ प्रेमी जो होते हैं । सारा नभ दरबार सज़ा माँ सूर्य चंद्र से आलोकित, निशा दिवस पहरे देते हैं तारों से मण्डप शोभित । मेघों के संगीत सुहाने मन मोहित कर लेते हैं, माँ के दर्शन उनको होते माँ भक्ति जो करते हैं । माँ के आँचल में रहकर हम माँ को खोजा करते हैं, माँ के दर्शन उनको होते माँ प्रेमी जो होते हैं । रमेश तिवारी

महादेवी और महादेव

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इस संपूर्ण ब्रह्माण्ड में दो चीज़ें हैं: ऊर्जा (energy) और द्रव्य (matter) | हमारे सनातन प्राचीन चिंतकों ने मां दुर्गा को ऊर्जा के प्रतीक रूप में प्रस्तुत किया है तथा मां लक्ष्मी को द्रव्य के | अब देखिए इन्हीं दोनो से इस ब्रह्माण्ड में सारी चीज़ें पैदा हुई हैं | ऊर्जा स्वयं से कुछ नहीं करती जब तक उस पर नियंत्रण रख कर एक विशेष उद्देश्य से प्रयोग न किया जाय और यह कार्य ब्रह्माण्ड में उपस्थित एक महचेतना करती है जिसे सदाशिव के रूप में प्रस्तुत किया गया है | द्रव्य को हम आप मुद्रा भी समझते हैं जबकि हमारी आवश्यकताओं को जो भी चीज़ पूरी करती है वास्तव में वही द्रव्य है | इसीलिए ब्रह्माण्ड में स्थित संपूर्ण द्रव्य (पदार्थ) को महालक्ष्मी कहा गया है और जिस महाचेतना के द्वारा वह नियंत्रित होकर प्रत्येक इकाई को उसकी आवश्यकतानुसार प्राप्त होती है उसे नारायण कहा गया है | इस प्रकार आज संसार, नभ, नक्षत्र, तारे सबकी जननी की आराधना का पवित्र दिन हैं - चलो मां का आशीर्वाद और उसका प्रेम प्राप्त करें | सबको नवरात्रि की शुभकामनाएँ !