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Showing posts from November 10, 2019

अवधी बोली साहित्य में ग्राम्य दर्शन

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The following article by me was broadcast on All India Radio, Lucknow on 22 Oct 2019 at 6.20 pm. अवधी हिन्दी की एक उपभाषा है । यह उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र में कई रूपों में बोली जाती है, जैसे: पूर्वी, कोसली, पश्चिमी, गांजरी, बैसवाड़ी आदि । क्षेत्र के हिसाब से अवधी को तीन भागों में बाँटा जा सकता है : लखीमपुर-खीरी, सीतापुर, लखनऊ, उन्नाव और फतेहपुर की बोलियां को पश्चिमी, बहराइच, बाराबंकी और रायबरेली की बोलियां को मध्यवर्ती और गोंडा, फैजाबाद, सुलतानपुर, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, जौनपुर और मिर्जापुर की बोलियाँ को पूर्वी । आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने इसे देसी भाषा की संज्ञा दी है । अवधी के प्राचीनतम चिन्ह सातवीं शताब्दी से मिलते हैं जिसे प्रारंम्भिक काल के नाम से जाना जाता है । इसकी अवधि 1400 ई. तक माना गया है । विद्वानों ने इसका मध्यकाल- 1400 से 1900 तक तथा आधुनिक काल- 1900 से अब तक माना है । अवधी के मध्यकाल को इसका स्वर्ण काल कहा जा सकता है क्योंकि इसी दौरान प्रेमाख्यान काव्य व भक्ति काव्य दोनों का विकास हुआ। प्रेमाख्यान का प्रतिनिधि ग्रंथ मलिक मुहम्मद जायसी रचित ‘पद्मावत’ है, जिसकी रचना ‘र

Akhil Bharteey Sahitya Parishad

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Akhil Bharteey Sahitya Parishad held its monthly meeting at Senani Bhawan, Bahraich on November  10, 2019 and celebrated the end of 400-year-old issue of Lord Ram’s Place of Birth. The Parishad also elected me to serve as the General Secretary of its Bahraich unit.