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Showing posts from August 2, 2015

My Maker

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I love myself because what I am is mine. I love my family because they are mine. I love my home, my school, my nation, The land, the hills, the air and the ocean. I love the sun, the moon and the sky, For they give me life and keep my spirits high. I love the universe, the creator, the keeper, The demolisher, the incarnation of my Maker. - Ramesh Tiwari

जीवन सरिता

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‘ जीवन सरिता ’ शीर्षक गीत मैने 19 मार्च 1988 को लिखा था | संसार में प्राणियों का जीवन सरिता की तरह शतत कैसे प्रवाहित रहता है उसका वर्णन करते हुए यह गीत बहुत ही मधुर है | सरिता में सरिता का संगम कई एक मिलती रहतीं | एक प्रबल धारा बनकर सब एक साथ बहती रहतीं | जीवन धारा इसी तरह यदि तो – मैं भी क्यों न बहूँ ! आ जा मेरे पास एक में मिलकर क्यों न चलूं ! खेत , बाग , वन सिंचित करती कुछ दूरी तक बहती है | आगे चलकर सागर में अस्तित्व शून्य भी करती है | विलय अंत जीवन का होता क्यों एकाकी विलय करूँ ! आ जा मिलकर साथ-साथ में अपना अंत करूँ ! नहीं , नहीं सागर में नदियाँ लुप्त नहीं होती हैं , बादल बनकर पुनः वे अपना पूर्व रूप ले लेतीं हैं | पुनर्जनम जीवन का होता तो मैं ही क्यों जनमूँ ! आ जा मिलकर साथ-साथ में जग में फिर लौटूं ! -           रमेश चंद्र तिवारी

राष्ट्र भाषा

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हिन्दी दुनिया की अन्य भाषाओं में सबसे अधिक समृद्ध, सुव्यवस्थित एवं सरल है । हिन्दी के अतिरिक्त कोई ऐसी भाषा नहीं है जिसका व्याकरण अपवादविहीन हो । इसकी लिपि देवनागरी है जो अत्यंत ही वैज्ञानिक है । इसे संस्कृत से नवीन शब्द रचना और शव्द संपदा विरासत में प्राप्त है । अन्य भाषाओं के शब्दो सहित देशी बोलियों के अपार शब्द संग्रह इसे संप्रेषण की उच्चतम क्षमता प्रदान करते हैं । यह विश्व में तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है । हिन्दी ने जिस तरह स्वतंत्रता संग्राम को उसके लक्ष्य तक पहुचाया था उसी तरह आज भी राष्ट्र-प्रेम की लौ को जलाए रखने के लिए वह एक मात्र साधन है । 14 सितम्बर सन् 1949 को हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया था । इसके बाद संविधान में राजभाषा के सम्बन्ध में धारा 343 से 351 तक की व्यवस्था की गयी है । प्रतिवर्ष 14 सितम्बर का दिन हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है । इसी दिन के उपलक्ष्य में ‘राष्ट्र भाषा’ शीर्षक कविता 14 सितंबर 1988 को लिखी गई थी जिसमें यह प्रतिपादित किया गया है कि हिन्दी हमारे राष्ट्र के पहचान की भाषा है । अतः इसे राजभाषा की जगह राष्ट्र भाषा क

My Friend

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The Very Myself While thinking of dying, I had a flash of life The dark world of mine got a divine light. I saw God holding something precious and high, The friendship of you soon I was enriched by. Friend, you are a drink, for I for you always pine Like a drinker seems to be dying for a glass of wine. Leave me not alone. O My friend, my soul, my life! The very myself, for you leave me not to strive. For all the faults and wrongs I have ever done Who stands by my side, you are still the only one. The world is not worth living without you, my friend; Going by like a day, each moment I have spent. My Bosom Pal I hate thee, O cruel Life! Thou shower down every horrid thing on me; Thou make me run through the fog Of confusion and uncertainty – A race without prize; Thou force me to bear being stung By the huge crowd of venomous creatures; Thou set me to learn the practices of mad men; Nay, there... oh I forgot about the blessed friend With whom to enjoy the