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Showing posts from August 20, 2023

तुलसी जयन्ती

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राम चरित मानस एक अदभुद महाकाव्य है क्योंकि उसमें मानव जीवन से सम्बंधित सभी प्रश्नो के उत्तर हैं तथा कोई ऐसा भारतीय ग्रंथ नहीं है जिसका सार उसमें निहित नहीं है । ऐसे ग्रंथ के रचनाकार महाराज तुलसी दास जी की आज जयन्ती है। इस शुभ अवसर पर मैं अनुश्री की एक कविता के कुछ अंश के माध्यम से उनके जीवन के विषय में कुछ महत्वपूर्ण बातें यहाँ प्रस्तुत करता हूँ । पराधीन जनता भारत की त्रसित कई सदियों से थी, धैर्य स्वयं ने धीरज खोया, धर्म की अन्तः नीव हिली । लगा देश की जीवन पद्धिति सदा-सदा मिट जाएगी, भारत की पहिचान नहीं इस दुनिया में बच पाएंगी । धैर्य बँधाए ऐसे में था ऐसा कोई व्यक्ति नहीं, बुझते दीपक पुनः जलाने की थी कोई युक्ति नहीं । सनातनो की देख दुर्दशा भगवत का जी द्रवित हुआ, उनकी न्यायपालिका में उस पर विचार भी त्वरित हुआ । राजापुर बांदा में रहता दुबे एक दंपत्ति सुखी, पंद्रह सौ चौवन संबत था श्रावण शुक्ल सत्तमी थी । बारह माह गर्भ का बच्चा माता हुलसी ने जन्मा, अभुक्त मूल में पैदा शिशु ने राम कहा भूला रोना । विधुर बाप ने त्यागा उसको अति अनिष्ट की शंका से, हुआ वही संयोग बना जो ईश्वर की अनुकंपा से । गृहका

तुलसी जयंती एवं सम्मान समारोह

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अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, बहराइच आज दोपहर 2 बजे से सेनानी भवन, माल कचेहरी, बहराइच में तुलसी जयंती के शुभ अवसर पर काव्य गोष्ठी आयोजित करेगा तथा साहित्य क्षेत्र के उत्कृष्ट विभूतियों को 'अवध गौरव - 2023' से सम्मानित करेगा। सम्मानित होने वाले हमारे आदरणीय साहित्य साधकों में सर्वश्री 1. राधेश्याम पाण्डेय 2. राधकृष्ण शुक्ल 'पथिक' 3. अवधनरेश सिंह 'अवधेश' 4. राम करण मिश्र सैलानी 5. रामसँवारे द्धिवेदी 'चातक' 6. अयोध्या प्रसाद शर्मा नवीन 7. राम धीरज शर्मा जी हैं। इस समारोह में आप सभी कवि, लेखक, सहित्यकार, साहित्यप्रेमी भाई-बहन सादर आमंत्रित हैं।   Akhil Bharatiya Sahitya Parishad, Bahraich holds a poetry reading and an honouring ceremony today at 2.00 PM, Senani Bhawan, Collectorate Bahraich, commemorating the anniversary of the birth of our greatest poet Saint Tulasidas. The Parishad will honour seven outstanding Awadhee/Hindi poets of Awdha region with Awadh Gaurava – 2023, recognizing Sarvashri Radhey Shyam Pandey, Radhakrishna Shukla ‘Pathik’ Awadh Naresh S

अनुश्री-कविताएं : गुलाम और मालिक

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  प्यार पाकर भी अपनों से नफ़रत लात खाकर भी मालिक से उल्फ़त। गुलाम इसीलिए गुलाम होता है, स्वाभिमानी मालिक महान होता है। देखिये अनुश्री इसे कैसे सिद्ध करती है : दरवाजे पर कातर आँखों से निहारता, एक टूक रोटी को टुकुर-टुकुर ताकता, धूल में उलट जाता, दुम हिलाता, वफादारी की पूं पूं फिर पैर चाटता । अपने भाई को नोच डालता, प्राण निछावर कर देता – किसके खातिर ? – बस एक टूक रोटी ! रात जागता थोड़ा सोता मेरा प्यारा मोती । थर्राता सारा जंगल जब दहाड़ता । दिल की दीवालें हिलतीं हैं,                          खुद भोजन सम्मुख गिर जातें हैं, साहस, दुस्साहस की जड़ें उखाड़ता । पालता पोषता प्यार से परिवार को, न सिर् झुकाता है, न मुफ्त माँगता है, स्वाभिमान सीने में भरकर बेफिक्र जीता है, सोता है, खाता पीता है । सब जानता है पर हाथ फैलाना नहीं, जंगल का सम्राट जिसे कौन जानता नहीं ।