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Showing posts from February 8, 2015

Stay Alert to Some Big Change

I scribbled these lines on Wednesday, 17 December 2014. Stay Alert to Some Big Change When justice is ignored, When faith and values derail, When decency is disgraced, When truth tastes bitter, When heart sleeps and mind wakes And when man loves not man but wealth and power, Stay alert to some big change. Smiling green plants, take care not to burn yourself – The sparks are landing here and there On the different fields of dry hawthorn hedges. -           Ramesh Tiwari

राजनीति का जितना प्रभाव समाज पर पड़ता है उतना अन्य किसी चीज का नहीं

किसी के गोत्र का अर्थ होता है कि उसका आदि पूर्वज कौन था | कश्यप, उपमन्यु, भारद्वाज आदि महाऋषि हमारे पूर्वज थे और हर एक महाऋषियों की सन्तति लगभग हर जाति में मिल जायेगी | उदाहरण के तौर पर कश्यप गोत्र के लोग ब्राह्मण में होते हैं, वैश्यों में होते हैं, क्षत्रिय इत्यादि सब में होते हैं क्योंकि हर्षवर्धन काल तक जातियों का आधार पेसा या सामाजिक व्यापार हुआ करता था न कि पारिवारिक वंशावली | जब मुग़लों का शासन हुआ तब तुरंत धर्म परिवर्तन उनके वश में नहीं था इसलिये यहाँ के मूल निवासियों  पर नियंत्रण पाने के लिये उन्होने प्रत्येक जातियों के मध्य भेद पैदा किये और तभी से जातियाँ परिवारों में संकुचित होना प्रारंभ हो गयीं | बाद में अंग्रेज़ों ने इस काम को इतने गंभीर रूप से किया कि विभिन्न जातियाँ एक दूसरे से इतना घृणा करने लग गयीं जितना साम्प्रदायिकता में नहीं होता है | जब देश आज़ाद हो गया दुर्भाग्य से हमने खुद अंग्रेज़ों की नीति का त्याग नहीं किया और बांटो और राज करो हमारी खुद की राजनीति की पृष्ठभूमि बन गयी | ध्यान रहे लोग मतभेद का कारण धर्म और समाज को मानते हैं और तनिक यह नहीं सोचते कि राजनीति म...

Man is Hungry

I wrote it on Saturday, 19 July 2014 Man is Hungry The lion is hungry, It will eat a deer. It has eaten one, It will eat none. Man is hungry, It will eat man. The more he eats, The more he needs. In the name of God, He obeys Satan. -        Ramesh Tiwari

भूरा बादल पानी लावे काला बादल...

भूरा बादल पानी लावे काला बादल... क्षितिज़ पर काले बादल घनघोर घाटा छा गयी , थोड़ी ही देर में दिन में रात हो गयी | बिजली चमकी लगा आसमान चिटक गया | घोर गर्जना से दिशाओं का दिल दहेल गया , रेगिस्तान में नदियाँ होंगी , फटी भूमि डबडबा जायेगी | सब नाच उठे उल्लास के संगीत में भूँख भूल गयी | फिर क्या पश्चिम से हवा आई पूर्वी क्षितिज़ बादलों को निगल गयी | सूरज दहेका हो गया सब जैसा था वैसा | हफ्तों तक , महीनो तक शिर्फ भूरे बादलों की आवा- जाही सूखी आत्मा और सूखी खाई | यह क्या ! हवा का रुख बदल गया ? पूरब से झोंका आया बादलों की पतली झिल्ली से आसमान ढक गया | सिर् पर एक बूंद गिरी सारा शरीर सिहर गया | यहाँ-वहां बूँदें फिर भीनी वर्षात् हरी-हरी कोपलें , हरे-हरे पात !    -           रमेश तिवारी

रोटी

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दरवाजे पर कातर आँखों से निहारता, एक टूक रोटी को टुकुर-टुकुर ताकता, धूल में उलट जाता, दुम हिलाता, वफादारी की पुं-पुं, फिर पैर चाटता | अपने भाई को नोच डालता, प्राण निछावर कर देता – किसके खातिर ?  –  बस एक टूक रोटी ! रात जागता थोड़ा सोता मेरा प्यारा मोती | थर्राता सारा जंगल जब दहाड़ता | दिल की दीवालें हिलतीं हैं, खुद भोजन सम्मुख गिर जातें हैं साहस, दुस्साहस की जड़ें उखाड़ता | पालता पोषता प्यार से परिवार को, न सिर् झुकाता है न मुफ्त माँगता है स्वाभिमान सीने में भरकर बेफिक्र जीता है सोता है खाता पीता है | सब जानता है पर हाथ फैलाना नहीं, जंगल का सम्राट जिसे कौन जानता नहीं ! - रमेश तिवारी

भारत का बेटा

भारत का बेटा सीमाओं पर जान कुर्बान कर देता है खेतों में रक्त से पानी सूखा देता है प्रयोगशाला में जिंदगी भुला देता है भारत का बेटा खैरात की आश में आसमान देखता है काम से बचने की हर तरकीब सोचता है खुद लुटता है औरों को भी लुटा देता है भारत का बेटा बंदे मातरम कहता है रेत में रोजगार खोजता है खुशहाली की ख्वाहिश में इनसे मिलता है उनसे मिलता है औषधि तीखा क्यों न हो पर उपचार चाहता है भारत का बेटा निजी स्वार्थ में दीवारें गिरवी रख देता झूठे सपनों से पेट देश का भर देता मीठे दानों के जहर देश में बो देता भारत का नेता रमेश तिवारी

The Supreme Ruler is the sole owner of the world

Religion does not mean you make a show of it. It is something that should stay in the heart and not in the mind. Love your God because He loves you and all the more keeps you. Talk to Him gently, listen to Him affectionately and as He is your father, behave like a son does. Generally, people use microphones and sing bhajans, chant and offer services in a very loud sound. What is this? It is their pride, their vanity that provokes people of other community to do the same, and as a result, both of them make hell of their day to day life. Sometimes the Father gets annoyed at such deeds and kills a few by developing a clash between them. Look, even the great Creator wants you to be gentle. We are controlled by three layers of administration. The family head, the head of the nation and the head of the universe are the different rulers who take care of us and make atmosphere for us to lead an easy life. The head of the family and nation may sometimes lose their sense of belonging or owne...

NaMo Ways

I composed this poem on Sunday, 30 March 2014, sketching out the picture of the country during the lawless days of UPA rule. Now I urge those who deny the progress made by the Modi Government to compare present-day India with how it was before, for things look alike in the absence of relativity.   NaMo Ways India moans with the intense pain of terrorism; Bleeding is it from several gashes of Maoism; It has long been infected by the sectarian strife, And suffering from the fever of caste-led divide.   The termites of corruption are eating out India; Torn by price rises are metropolis and Arcadia. Jobless are the youth; the poor houseless. How can in economy you think they be a plus? All around the people is chaos and confusion; To let them die or cry is the rulers’ intention. Mistreated are Talents, toil, culture and wisdom; Country’s resources are all cared for seldom. The nation’s reputation has long been sullying; We have many times be...