क्या था अब क्या है
बचपन में जो याद किया
है याद अभी
याद रहेगा किसी समय भी ।
याद किया जो तदुपरांत
भूल गया अगले दिन ही ।
युवा हुआ दायित्व कठिन भी
लगे मनोहर गीतों से,
मस्त हुआ उपवन वैभव में
तरुणाई संगीतों में ।
शिशिर दोपहरी धूप सुनहरी
धारित धरा किशोरी सी
पता नहीं नयनों को था
यह कल होगी वार्फ़ीली सी ।
अब क्या अब तो स्मृति में
बस केवल क्या था अब क्या है ।
ये नेत्र देख सकते जब तक
यह दुनिया केवल तब तक है ।
घोर अंधेरे मंडल में
भूमंडल राकेट छूटेगा,
दूर बिंदु सा दिखते-दिखते
सदा-सदा वह डूबेगा !
है याद अभी
याद रहेगा किसी समय भी ।
याद किया जो तदुपरांत
भूल गया अगले दिन ही ।
युवा हुआ दायित्व कठिन भी
लगे मनोहर गीतों से,
मस्त हुआ उपवन वैभव में
तरुणाई संगीतों में ।
शिशिर दोपहरी धूप सुनहरी
धारित धरा किशोरी सी
पता नहीं नयनों को था
यह कल होगी वार्फ़ीली सी ।
अब क्या अब तो स्मृति में
बस केवल क्या था अब क्या है ।
ये नेत्र देख सकते जब तक
यह दुनिया केवल तब तक है ।
घोर अंधेरे मंडल में
भूमंडल राकेट छूटेगा,
दूर बिंदु सा दिखते-दिखते
सदा-सदा वह डूबेगा !
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