Posts

Showing posts from June 17, 2018

गृहशिक्षा

जब हमारा बच्चा कहता है "वो माई गाड!" तब हमें बहुत अच्छा लगता है, जब 'उनहत्तर' कहने पर वह हमारा मुँह ताकने लगता है और 'सिक्स्टी नाइन' कहने पर गिनती समझता है तब हमें और मज़ा आता है | सेंट एग्नीस विद्याललय में पढ़कर हमारे बच्चे अपनी सभ्यता लगभग भूल रहे हैं | उन्हें न अपने कुल देवता का पता है न गोत्र न वंशावली का | उन्हें न धर्म से मतलब, न ईश्वर से मतलब, न सामाजिक व पारिवारिक दायित्व से मतलब | अनुशासन को वे पारम्परिक रूढ़िवादिता मानते हैं और वेशर्मी की हद तक पहुचते हैं | अभी तक तो चलेगा लेकिन वही बच्चे जिस दिन हमें बृद्धा आश्रम में डालकर पलट कर नहीं देखेंगे उस दिन याद आएगा कि सेंट पाल विद्यालय ने क्या किया | अरे, कुत्ता, बिल्ली, चिड़िया अपने बच्चों को अपनी परम्परा की शिक्षा देते हैं, शिकार, सुरक्षा आदि करने में निपुण बनाकर ही स्वतंत्र करते हैं | हमारे आप के पास तमाम निरर्थक चीज़ों के लिए तो समय है लेकिन बच्चों के लिए नहीं है कि हम सायं अपनी संस्कृति से जुड़ी कुछ कहानियाँ उन्हें सुनावें, नैतिक शिक्षा दें, व परिवार, समाज, राष्ट्र के प्रति उनके दायित्व का उन्हें ज्...

धार्मिक भीड़

जब कोई समुदाय अकेले ही एक विशाल क्षेत्र में फैल कर भीड़ बन जाता है उसका सामाजिक और मानसिक विकास ठहर जाता है | एक समय सम्पूर्ण हिन्दुस्तान शुद्ध हिन्दू देश था | यहाँ के राजा जनता को निष्ठावान बनाने के उद्देश्य से उन्हें धार्मिक और नैतिक शिक्षा तो देते थे किन्तु उनमें राजनीतिक विकास नहीं होने दिया; परिणाम स्वरूप, सारा हिन्दू समाज भीड़ बन गया और देश मुगलों के हाथ गुलाम हो गया | आज हिन्दुस्तान में ही नहीं सारे संसार में मुस्लिम समुदाय अपनी धार्मिक कट्टरता से प्रभावित होकर जहाँ कहीं भी है अपने विस्तार के लिए प्रयत्नशील है जिसकी वजह से वह हर जगह एक भीड़ बन गया है | कश्मीर एक शुद्ध मुस्लिम क्षेत्र बन गया देखो वहाँ क्या होने लग गया | भीड़ कभी शासन नहीं करती बल्कि कुछ चतुर लोगों के काम आती है | ब्रिटिश ने अपनी संख्या से नहीं बल्कि अपनी चतुराई से सारे विश्व पर राज किया | जंगल में कुछ जानवरों के विशाल समूह होते हैं किन्तु वे कुछ चतुर जानवरों के भोजन होते हैं | इजरायल में यहूदियों की संख्या अधिक नहीं है फिर भी वे आस पास की भीड़ पर सदैव भारी पड़ते हैं | अमेरिका, फ्रांस, व ब्रिटन ऐसे देश हैं जो उच...

धारा 370

धारा 370 कश्मीरियो के लिए वरदान नहीं बल्कि अभिशाप है क्योंकि वहाँ देश के दूसरे स्थान का कोई भी व्यक्ति ज़मीन खरीद कर स्थाई निवासी नहीं बन सकता | परिणाम स्वरूप, कश्मीर वह तालाब बन गया है जिसमें न तो कहीं से पानी आ सकता है और न ही वहाँ का पानी बाहर जाना चाहता है | स्थिर पानी के इस तालाब पर अब सैवाल उग चुका है, पानी सड़ गया है और तालाब के अस्तित्व पर भी प्रश्न चिन्ह लग गया है | यदि पर्यटक वहाँ जाना बन्द कर दें या भारत सरकार उन्हें मदद देना बन्द कर दे तो स्थिति यह है कि वहाँ के लोग भूखो मर सकते हैं | राजनीति के प्रभाव में वहाँ के लोग कितनी ग़लत फ़हमी में जी रहे हैं | वहाँ के उन्मादी बच्चों को देख कर ऐसा लगता है कि वे सभी अन्तर राष्ट्रीय राजनीति के शिकार हो चुके हैं और एक दिन सीरिया या इराक़ जैसी उनकी हालत होनी निश्चित है | वह स्थान एक दिन युद्ध क्षेत्र बन सकता है और नागरिकों की वह स्थिति हो सकती है जिसे उन्होने कभी सोचा न होगा | यदि धारा 370 हट जाय तो बाकी भारतीय वहाँ जाना रहना प्रारम्भ कर देंगे और व्यापार के सारे रास्ते खुल जाएँगे | तब फौज की भी वहाँ कोई ज़रूरत न होगी |