Monday 26 December 2022

बड़े भाई श्री आशुतोष श्रीवास्तव

अभी इसी महीने गुलाब दादा ने अपनी पुस्तक 'राष्ट्र-चिंतन', बड़े भाई श्री आशुतोष श्रीवास्तव जी ने अपनी 'परशुराम यश चन्द्रिका' और मैंने अपनी 'अनुश्री' प्रकाशित कराने की तैयारी की थी । हम तीनों ने सोचा था कि तीनों पुस्तकों का एक साथ विमोचन करेंगे किन्तु यह ईश्वर को मंजूर नहीं था । आज बड़े भाई आशुतोष जी हमें छोड़कर परलोक चले गए । कहने को तो वे हास्य-व्यंग्य के कवि जाने जाते थे किन्तु वास्तव में वे भक्त-कवि थे । उनकी 'राधा भक्ति सोपान' देश भर में पढ़ी जाती है । प्रकाशनाधीन उनकी पुस्तक अब तक पहली पुस्तक होगी जो अपने आप में भगवान परशुराम पर पूर्ण कही जा सकती है । उनसे जनपद बहराइच का परिचय था - उनकी अनुपस्थिति जनपद की अपूर्णीय क्षति है । द्रवित ह्रदय से हम उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं ! परमात्मा ऐसे अपने भक्त की आत्मा को स्वचरणों में आश्रय दे !



Sunday 25 December 2022

Malveeya and Bajpai

 

Let us celebrate the 161rst anniversary of the birth of the founder of legendary BHU, Bharat Ratna Mahamana Madan Mohan Malviya. He was the angel of Indian education and his contribution to the development of Sanatana Dharm is remarkable.


Let us also celebrate the 98th anniversary of the birth of our immortal leader, prominent statesman, fabled poet and our 10th Prime Minister, Bharat Ratna Atal Bihari Bajpai. He was the architect of nation-building policies and made a unique contribution to national unity and good governance.

Tuesday 15 November 2022

राम कथा - पूज्य व्यास शिवानंद जी ‘भाई श्री’

 



शुक्रवार, 4 नवम्बर 2022   पूज्य व्यास शिवानंद जी ‘भाई श्री’ ने गवल गार्डन, जेल रोड - शहर बहराइच में राम कथा के महत्व का वर्णन करते हुए कहा कि राम कथा से ह्रदय दिव्य हो जाता है, मुख कीर्तिवान, शान्त और प्रसन्न हो जाता है इसलिए यदि गीत सजता है तो उसे श्रोता पसंद करता है किन्तु यदि प्रभु श्री राम की कथा से श्रोता सजता है तो उसे स्वयं परमात्मा पसंद करता है । कथा में उत्तम जीवन जीने का मार्ग मिलता है । कथा से चित्त में विषाद समाप्त हो जाता है । जैसे अशोक वाटिका में सीता मैया को विचलित देखकर हनुमान जी महाराज ने उन्हें राम जी की कथा सुनाकर उनकी पीड़ा का निवारण कर दिया । निहत्थे रावण पर राम जी ने वार नहीं किया तब रावण कहता है कि यदि शत्रु हो तो राम जैसा हो, सनातन की यह मर्यादा है । सनातन की मर्यादा देखिये कि जहाँ पिता के एक बचन से राम 14 वर्षों के लिए वनवास पर चले जाते हैं । सनातन ही एकमात्र धर्म है जिसे धर्म कहा जा सकता है । उन्होंने सबसे कहा कि राम चरित मानस की कम से कम एक चौपाई सभी को नित्य पढ़ना ही चाहिए । इस ग्रन्थ श्रेष्ठ की केवल एक ही चौपाई सदमार्ग पर ले जाने के लिए प्रयाप्त है । अन्त में पूज्य व्यास जी महाराज ने मधुर भजनों के साथ मानस के मंगलाचरण की विस्तृत व्याख्या की । वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि। मंगलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ॥ अर्थात वम शब्द से प्रारम्भ होने वाला यह ग्रन्थ अमृत सरोवर है । यदि आप ठाकुर जी के हो गए तो माता लक्ष्मी जी का सानिध्य आपको निश्चित ही प्राप्त होना है ।

शनिवार, 5 नवम्बर 2022   व्यास शिवानंद जी ‘भाई श्री’ ने कहा कि मैं संस्कृति, संस्कार और सनातन पर आधारित कथा कह रहा हूँ क्योंकि इनकी रक्षा का उत्तरदायित्व प्रत्येक कथा व्यास और धर्मगुरु का होता है । उन्होंने राम चरित मानस के मंगला चरण के शेष श्लोकों की व्याख्या करते हुए कथा ऋषि भारद्वाज और महर्षि याग्यवलिक के संबाद तक कही । सीता राम वन हैं और उसमें विचरण करने वाले महर्षि वाल्मीकि कोयल हैं और प्रभु हनुमान जी तोता हैं जिन्होंने इसी रूप को धारण करके गोस्वामी जी को राम जी के दर्शन कराये थे । आप सभी के जीवन में भी भगवान् कभी न कभी आते हैं । संभवतः आप उन्हें पहचान नहीं पाते । जिस व्यक्ति को एक पल भी राम के बिना चैन नहीं मिला वही आगे चलकर तुलसीदास बना । आपकी मोबाईल में, गाडी में, आफिस में सीता राम के चित्र होने चाहिए । प्रत्येक स्थिति में यदि राम जी की याद बनी रहे तो उसके बराबर न कोई पूजा है और न कोई भक्ति है । भगवान् के चरणों में अनुराग जैसी काम भावना, सनातन की रक्षा में क्रोध, अपनी संस्कृति का मद, सभी प्राणियों से मोह तथा राम नाम का लोभ भी जीवन को धन्य कर सकता है । लोग हमारे देवी देवताओं का मजाक इसलिए उड़ाते हैं क्योंकि हम उसे स्वीकार करते हैं । यदि कृष्ण शांति दूत बने तो उन्होने भीष्म पर चक्र भी उठा लिया था । भारत को सोने की चिड़िया इसलिए कहा गया क्योंकि यहाँ संस्कारों की चिड़िया रहती है । यहाँ की महिलाएं अपना चित्र नहीं बल्कि चरित्र सजाना जानती हैं । उन्होंने कहा कि एकलब्य राजा जरासंध के प्रधान सेनापति के पुत्र थे । जब उन्हें युद्ध में शामिल न होने के लिए कहा गया तो उन्होने कहा आपने मेरा अंगूठा ही काट लिया । महाभारत में ऐसा लिखा हैं । महर्षि बाल्मीकि के विषय में उन्होने कहा कि वे वरुण देवता के दसवें पुत्र थे न कि किसी जंगल के डकैत । उन्होंने श्रोता समूह से अनुरोध किया कि मंगलवार को राम विवाह की कथा होगी उस दिन सभी भारतीय परम्परा की पोशाक धोती को धारण करके तथा तिलक लगाकर कथा श्रवण करने आवें । इससे कथा मण्डप की छवि अदभुद होगी । तीर्थ करने से कोई लाभ नहीं यदि आप अपने मोहल्ले के मंदिर का सुबह सायं दर्शन नहीं करते हो । वायु देवता, जल देवता, अग्नि देवता सहित अन्य बहुत से देवता आपके जीवन को चलाते हैं, क्या उन्हें कोई टैक्स नहीं चाहिए ? अतः आप सभी सुबह 8 से 10 के मध्य कथा स्थल पर आवें और यज्ञ में शामिल होने की कृपा करें ।

रविवार, 6 नवम्बर 2022   व्यास शिवानंद जी ‘भाई श्री’ ने आज भगवान शंकर और माता पार्वती के विवाह की कथा कही । कैसे शम्भू और भवानी कुम्भक ऋषि के पास गए, उनसे राम कथा सुनी, फिर कैसे माता सती को राम जी के पारब्रह्म परमेश्वर होने में संदेह हुआ, उन्होंने परीक्षा ली और कैसे महादेव ने उनका त्याग कर दिया । अंत में कैसे दक्ष प्रजापति की सभा में माता सती ने आत्मदाह कर लिया और पार्वती के रूप में उनका जन्म और पुनः भगवान शंकर से उनका विवाह हुआ । इस कथा के दौरान व्यास जी ने यह भी बताया कि राम परीक्षा के नहीं बल्कि प्रतीक्षा के विषय है । ‘राम कथा सुन्दर करतारी संसय विहग उड़ावन हारी ।‘ जीवन सूखा नहीं होना चाहिए बल्कि उसे राम रुपी रस से युक्त होना चाहिए । मंदिर में यदि मूर्ति ही देखते रहोगे तो कुछ नहीं होगा, वहां जब भगवान के सुन्दर स्वरुप का भाव ह्रदय में जागेगा तभी पूजा पूर्ण होगी । मंदिर में पहले भगवान के चरण पर दृष्टि पड़नी चाहिए और धीरे-धीरे उनके सारे शरीर को निहारना चाहिए तभी मूर्ति में भगवान के दर्शन कर सकोगे । गौ, गंगा, धर्म और देश की निन्दा सुनना पाप है । ‘जाके प्रिय न राम वैदेही, सो नर ताजिये कोटि बैरी सैम यद्यपि परम सनेही ।‘ राम के लिए प्रहलाद ने पिता का त्याग किया, शंकर ने सती को छोड़ दिया । महादेव ने पहले सती जी को समझने की कोशिश की फिर जब वे नहीं मानी तब उन्होंने कहा: ‘होइहै सोइ जो राम रचि राखा ।‘ इसलिए इसका अर्थ यह नहीं होता कि सब कुछ राम जी पर छोड़ दो, पहले प्रयत्न करो । ‘कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, जो जस करय सो तस फल चाखा ।‘ पद पाकर जो रघुपति का पद त्यागे उसका वही परिणाम होता है जो दक्ष का हुआ था । जिसकी कोई रक्षा नहीं करता उसकी रक्षा तो भोले बाबा करते हैं । उन्होंने सांप बिच्छू इत्यादि जीवों को संरक्षण दिया । अतः महादेव के चरणों में यदि कल्याण नहीं है तो फिर अन्य कहाँ हो सकता है । उन्होंने मनुस्मृति का उद्धरण प्रस्तुत करते हुए कहा आदर्श पत्नी वह है जो गृह कार्य में दक्ष हो, जिसकी वाणी मधुर हो, जो अपने पति में प्राण का अनुभव करती हो और जो पतिव्रता हो ।

सोमवार, 7 नवम्बर 2022    व्यास शिवानंद 'भाई श्री' ने कहा कि नारायण ने राम के रूप में अवतार एक नहीं बल्कि पांच उद्देश्यों की पूर्ती के लिए लिया था । उन्होंने जालन्धर की धर्मपत्नी बृंदा की कहानी सुनायी जो कि नारायण की अनन्य भक्त थी फिर कैसे तुलसी बनी और कैसे अपने ईष्ट से नाराज होकर उन्हीं को श्राप दे दिया । उसी श्राप से भगवान् सालिगराम बने और और तबसे उनकी पूजा तुलसी चढ़ाकर होने लगी । व्यास जी ने एक बहुत सुन्दर भजन सुनाया जिसे सुनकर लोग झूमे उठे । अवध सैंया मेरी छोड़ो न बहिया, सिया के सैंया मेरी छोड़ो न बहियाँ...... भगवान् शंकर नारद के गुरु हैं । नारद अपने गुरु की बात न मानकर भगवान् के पास अपने तप की सफलता सुनाने चले गए और परिणाम बहुत ही अष्टकारी हुआ । इसलिए गोविन्द से पहले गुरु पर भरोसा होना चाहिए । पाप तो बहुत हैं किन्तु महापाप केवल पांच माने गए हैं : ब्रह्म हत्या, सुरा पान, स्वर्ण की चोरी, गुरु, मित्र और भाई के पत्नी के प्रति निषिद्ध धारणा और इन चारों में से कोई भी अपराध किये हुए व्यक्ति की संगत करना । नयी पीढ़ी को भागवत कथा सुनना बहुत आवश्यक हो गया है क्योंकि देश यदि सुसंस्कृत नहीं होगा तो सशक्त नहीं हो सकता । जीवन साधन कमाने के लिए है किन्तु इसमें पड़कर साधना का त्याग करने के लिए बिलकुल नहीं । भक्ति में जब आगे बढ़ोगे तो माया, मोह, भय सब पीछे छूटते चले जायेंगे ।

मंगलवार, 8 नवम्बर 2022    व्यास शिवानंद जी ‘भाई श्री’ ने भगवान प्रभु राम जी की बाल लीलाओं का वर्णन किया । भगवान शंकर ने गिरिजा से कहा कि आज मैंने एक चोरी की है । भवानी ने जवाब दिया मैं विश्वास नहीं कर सकती कि आपने चोरी की होगी । भवानी, मैंने और कुछ नहीं बल्कि काग भुसुंडि के साथ बाल प्रभु राम के दर्शन की चोरी की है । मैया कौशिल्या ने चारों भाइयो को अलग-अलग चार पालने में लिटाया तो चारो रोने लगे और किसी यत्न से जब चुप नहीं हुए तो माता गुरु वशिष्ठ के पास गई । गुरुदेव ने सुझाया कि लक्ष्मण को राम के साथ और शतुध्न को भारत के साथ कर दो । ऐसा करने पर चारो खेलने लग गए । चारो भाई जब खेलने गए तब लखन लाल ने राम जी से कहा मुझे प्रतिद्वंदी मत बनाना । यहाँ भरत लाल विपक्ष में होने को यह कहते तैयार हो गए कि चाहे पक्ष हो या विपक्ष प्रभु की लीला पूरी होनी चाहिए । चारों का नामकरण गुरुदेव ने उनके गुणों के आधार पर किया । राम अर्थात जो सारे विश्व को विश्राम दे, जो भक्ति में रत वो भरत, जिसके नाम से शत्रु शत्रु न रह जाय वो शत्रुघ्न, जो शेष है, सहारा है वही लक्ष्मण । व्यास जी ने शास्त्रीय संगीत में गाया : 'ठुमुक चलत राम चन्द्र बाजत पैजनिया ।' काग भुसुंडि जी को संदेह हुआ कि यदि बालक राम परमेश्वर होते तो रोते क्यों । इस संदेह को दूर करने के लिए राम जी का हाथ भुसुंडि जी के पीछे लग गया, वे जहाँ-जहाँ उड़े भगवान का हाथ वहां तक पहुँचता रहा । अंत में जब लौटकर आये तो देखा कि बालक राम के मुंह में सारा ब्रह्माण्ड समाया है । अब उन्हें लगा राम सब में ही नहीं अपितु सब राम जी में है । उन्हें यह ज्ञान हुआ कि यदि नाम और रूप हटा दिया जाय तो सब कुछ राम है ।

भक्त जब तक भगवान् से जुड़ा रहता है तब तक आनंद में रहता है । इसलिए यदि भक्त बनना है तो चौबीस घंटे के बनो । व्यास जी ने बड़ा मधुर भजन सुनाया : 'मेरी चाहत की दुनिया बसे न बसे, मेरे दिल में उजाला सदा चाहिए ।' राम जी की कथा सुनना अर्थात सत्संग तपस्या से भी बढ़कर है । एक बार गुरु विश्वामित्र और गुरु वशिष्ठ में इसी बात को लेकर मतभेद हुआ तो दोनों शेष भगवान के पास गए । वहां विश्वामित्र जी ने सारी तपस्या का प्रभाव लगा दिया तो भी पृथ्वी उनसे नहीं सम्भली जबकि वशिष्ठ जी ने केवल दो घडी के सत्संग का प्रभाव लगाया तो उनसे पृथ्वी संभल गयी ।

12 नवम्बर 2022    व्यास शिवानंद जी भाई ने आज राम वन गमन और राम भारत मिलाप की हृदयस्पर्शी कथा कही । उन्होंने कहा जब भरत जी ननिहाल से लौटकर आये तब गुरु वशिष्ठ ने एक सभा बुलाई जिसमें उन्होंने भरत जी को समझाने की कोशिश की कि वे अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए राज सिंहासन संभालने के लिए तैयार हो जाएँ जैसे परशुराम ने किया था या पुरु ने अपने पिता ययाति की इच्छा पूरी की थी । भरत लाल जी ने गुरुदेव तथा अपने स्वर्गीय पिता दोनों के निर्देशों को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि यदि यह धर्म होता तो अनिष्ट न होता क्योंकि जहाँ धर्म होता है वही सुख होता है । वे अपने जेष्ठ भ्राता को मनाने निकल पड़े । जब ऋषि भारद्द्वाज ने उनकी प्रशंसा की कि आप संत हैं, आपने राजपद का त्याग कर दिया । इस पर उन्होंने उत्तर दिया कि मैं संत नहीं हूँ बल्कि मैं लोभी हूँ क्योंकि मैं राजपद का त्याग रामपद प्राप्त करने के लिए कर रहा हूँ । भरत लाल जी ने प्रयागराज से कहा कि मैं क्षत्रीय हूँ मांगना मेरे धर्म के प्रतिकूल है, फिर आपके यहाँ मेरे वंश की कन्याएं रहती हैं, यमुना सूर्यपुत्री और गंगा भगीरथ पुत्री, तो भी मैं अपने धर्म का त्याग करके आपसे कुछ मांगना चाहता हूँ : "जनम जनम रति राम जी पद यह वरदान न आन" । व्यास जी ने कहा कि अनजाने में किये गए अपराध की सजा स्वप्न में मिलाती है । किन्तु जानबूझ कर किये गए अपराध की सजा से कोई बच नहीं सकता । इसलिए किसी बुरी घटना का दोष किसी अन्य पर लगाना उचित नहीं । झूठ बोलना अपराध है किन्तु कन्या की शादी के लिए, गाय की रक्षा के लिए बोले गए झूठ अपराध नहीं हैं । सत्य बोलना धर्म है किन्तु अप्रिय सत्य धर्म नहीं है । हमें चोटी रखने और तिलक लगाने में गर्व का अनुभव होना चाहिए, विशेष रूप से ब्राह्मण को क्योंकि यदि वह धर्म का अनुसरण नहीं करता है तो दूसरे भाइयो से कैसे अपेक्षा की जा सकती है । अधर्मी यदि अधर्म करे धरती को बहुत ग्लानि नहीं होती किंतु यदि धर्मात्मा अधर्म करे तो धरती माँ इस वेदना को सहन नहीं कर पाती । उन्होंने जोर देकर कहा धर्म केवल शिवानंद का विषय नहीं है बल्कि आप सभी का भी । जिम में पसीना बहाने में शर्म नहीं आती पिता के चरण दबाने में शर्म आती है ।

रविवार, 13 नवम्बर 2022   व्यास शिवानंद जी भाई ने सूपनखा के नाक कान कटने, खर दूषण वध, सीता हरण, राम जी का सुग्रीव से मित्रता की कथा कही । सूपनखा वासना की प्रतीक है । वह पंचवटी में मेकअप करके आई । सूपनखा के नाखून तो बड़े हैं किन्तु बाल छोटे हैं । वह राम जी से विवाह का प्रस्ताव करती है । सूपनखा विधवा थी किन्तु उसने कहा वह कुंवारी है । वह वासना के चक्कर में दौड़ी-दौड़ी घूम रही है । वह लक्षमण जी से कहती है सुन्दरी तो कह दिया किन्तु मेरी और देख नहीं रहे हो । सोच कर देखो भारतीय महिलाएं ऐसी नहीं होतीं हैं । सूपनखा विदेशी संस्कृति का एक उदहारण है । जो भारतीय महिलायें विदेशी संस्कृति अपनाती हैं वे आज की सूपनखा ही हैं । जीवन में जब वासना आती है तो बहुत सी उपलब्धियां लेकर आती है किन्तु ऐसे व्यक्ति का समाज में स्थान रावण या सूपनखा की तरह होता है, संत इसके चक्कर में नहीं पड़ते । सूपनखा का जब नाक कान कट गया वह अपने भाई खर दूषण से झूठ बोली कि मैं गोदावरी में पानी पीने गयी थी वहां दण्डक वन में दो अत्यंत सुन्दर राजकुमार थे उनमें से एक ने मेरी यह दशा की है । खर दूषण के मारे जाने के बाद वह रावण के पास गयी और वहां भी झूठ बोला । वह जानती थी कि उसका भाई वासना को महत्त्व देगा संबंधों को नहीं । इसलिए उसने कहा मैं आपके लिए एक अत्यंत सुन्दर स्त्री को लाने गई थी जो दो राजकुमारों के साथ रहती है । किन्तु वहां एक राज कुमार ने मेरे नाक कान काट लिए । वासना में लिप्त लोगों के वैसे भी नाक कान नहीं होते ।

व्यास जी ने भगवान राम जी की सुंदरता का वर्णन करते हुए कहा कि अयोध्या वासी राम जी से इतने मुग्ध हुए कि स्त्री बनकर उनके सानिध्य की कामना करने लगे और वही सब द्वापर में गोपियाँ बने । उन्होंने कहा भक्ति में अनन्यता होनी चाहिए । यह नहीं कि सोमवार को शंकर जी, मंगलवार को हनुमान जी, वृहस्पतिवार को भगवान विष्णु, शनिवार को शनि देव । इससे काम नहीं चलता । एक ईष्ट होना चाहिए जैसे महाराज तुलसी दास जी ने कृष्ण रूप में भगवान को प्रणाम नहीं किया और कहा, 'तुलसी मस्तक तब नवे जब धनुष वाण लो हाथ ।' हनुमान जी के पास जब गरुण जी आये और कहा कि आपको भगवान् कृष्ण ने बुलाया है । यहाँ हनुमान जी ने भी जवाब दिया कि मैं कोई कृष्ण को नहीं जनता । यहाँ गरुड़ ने घमंड में हनुमान जी से कहा, आप जानते हो कि आप किससे बात कर रहे हो । हनुमान जी ने गरुष को उठाकर ऐसा फेका कि वे समुद्र में जाकर गिरे । भगवान अपनों के भी दर्प का शमन करते हैं ।

प्रस्तुति, रमेश चन्द्र तिवारी

 



Saturday 22 October 2022

Happy Dhanteras, everyone !


Birth and life exist on thy lap of money,
Keep us radiantly happy, Mom Laxami!
Thy blessings are great, warm thy love -
Too keen on you are all to say enough.
Fill our homes with wealth enormous,
To stay with us, Ma, come this Dhanteras!

                                                           Poet Ramesh Tiwari 


Thursday 13 October 2022

खल मंडली बसहु दिनु राती

 


खल मंडली बसहु दिनु राती। सखा धरम निबहइ केहि भाँती॥
मैं जानउँ तुम्हारि सब रीती। अति नय निपुन न भाव अनीती॥

प्रभु श्री राम जी कहते हैं, हे लंकापति विभीषण जहाँ रात दिन दुष्ट ही दुष्ट रहते हैं ऐसे स्थान पर मेरे साथ मित्रता का निर्वहन कैसे संभव हो सका, जबकि मैं आपके आचार विचार से परिचित हूँ कि आप परम नीतिज्ञ हैं और आपमें अनीति के लेशमात्र भी भाव नहीं हैं ।

बरु भल बास नरक कर ताता। दुष्ट संग जनि देइ बिधाता॥
अब पद देखि कुसल रघुराया। जौं तुम्ह कीन्हि जानि जन दाया॥

यहाँ श्री रघुनाथ भक्त विभीषण जी उत्तर देते हैं, हे तात, चाहे नरक में निवास करना पड़े वह अच्छा है किन्तु ईश्वर कभी दुष्ट की संगत न दे । आपने मुझे अपना सेवक समझ कर मुझ पर दया की है परिणामस्वरूप, आपके चरणों के दर्शन करके ही मुझे सुख प्राप्त हुआ है इसके पूर्व मैं सकुशल जीवन नहीं जी सका ।

दुष्ट ही दुष्ट के साथ प्रसन्न रह सकता है 

Friday 16 September 2022

PM Modi's 72nd Birthday

 



Like the morning sun you shine!
Showered with sparks divine,

Be you happy, live you long
At the top be all along.

Ever more may you succeed
In meeting everyone’s need,

To the country bringing wealth.
Be blessed with excellent health!

We, the people today sing,
Temple bells all swing and ring

Happy Birthday well-loved PM to you!
Happy Birthday well-loved PM to you!
 
                              Poet Ramesh Tiwari 

 



Friday 9 September 2022

Barrows Blue Bells School

September 09, 2022 I and ABM Mr E A Zaidy visited Barrows Blue Bells School, Civil Lines, Bahraich as representatives of Life Insurance Corporation of India, which organizes many social events to celebrates the anniversary of its birth all through the first week of September every year, known as Insurance Week. Madam Principal presented trophies and awards to the top ten students of the college on behalf of the Corporation. She is really very affable and courteous; we experienced the full measure of her hospitality. I explained the brief history of legendary LIC and its contribution to the development of countries resources. Mr ABM shed light on how LIC has been delivering the high class insurance services to the people of India. Finally, we thanked the Principal for providing us with the opportunity and the college staff for their help in making the event a success.




Sunday 4 September 2022

Teacher

 

Bridges and buildings build engineers,

Architect makes their work yet easier,

Doctors treat the injured and the ill,

Soldiers shoot enemy troops to kill,

Poets sing to make us laugh and cry,

Scientists raise our standards high,

But teachers do all of these things:

Reach new heights they give us wings.

Sunday 28 August 2022

Prayer to Hanuman ji

 

You help and support me every time I am in distress;
When in pain and fear, I shelter only under your hand.
Life is difficult; I see no chance of solace and success
And no way ahead through the busy world unmanned.
Nobody is as vulnerable as I am and as caring as you:
O Bapu, deeper, purer and lasting make my love of you!
                                                                 Ramesh Tiwari

Tuesday 23 August 2022

The Veteran Parliamentarian, Shri Arun Jaitley

 


A pillar of Bharatiya law fell down,

A voice of logic quietened down,

The Upper House stood solemn

At the sight of her high up column,

Lying still on his Motheralnd’s lap,

And in politics leaving a wide gap,

On August twenty-four, 2019

Suddenly blanked out the screen!

Forever will mourn the country

The passing of their Arun Jaitley.


I pay tribute to our wise, respected and veteran parliamentarian Shri Arun Jaitley on the 3rd anniversary of his death!

Monday 15 August 2022

The Honourable Prime Minister Addressed the People

 



The Honourable Prime Minister Shri #NarendraModi addressed the people of India for ninth consecutive time from Red Fort today on 76th Independence Day and called on people to take five vows to make the country self-reliant and to bring her power and prosperity in the Amrit Kaal (25 years between the 75th and 100th anniversaries of Independence). They are: 1. Aspirations of developed India 2. to clean off all traces of foreign rule 3. to feel pride in the legacy of the country 4. national unity and being together 5. a strong sense of responsibility in every citizen. Just think it over and you will see his vision is a perfect road map to nation building and to the height of success.

No more power at the expense of sparking off riots. It is for the first time in the history of Independent India that all classes and communities have come together to join in celebrating 76th Independence Day and in Tri-Colour at Every House campaign with equal enthusiasm and putting their cultural differences aside. It was considered impossible for one social group to integrate into the other. PM Narendra Modi has made many impossible things possible and now it seems he will succeed joining two opposite groups of people together. In fact, all of the people living in the country basically belong to one cultural root, so the hostility and discrepancies in Indian society are not natural but man-made and therefore can be filtered out. Happy Independence Day!

Sunday 14 August 2022

Har Ghar Tiranga - Poetry Reading

   Our National Flag is the symbol of our pride and joy; it represents our loyalty to the country and our love and respect for it. The country has been celebrating the 75th anniversary of Independence for last 75 weeks. On Saturday August13, I hoisted our National Flag on the top of my house under Har Ghar Tiranga campaign in celebration of Azadi Ka Amrit Mahotsav and organized a poetry reading in the evening under the auspices of Akhil Bharateey Sahitya Parishad in commemoration of our ancestors, who sacrificed their lives in freedom struggles. Shri Radhakrishna Pathak chaired the meeting and Shri Lakshami Kant Tripathi conducted the rendering of poems. The Provincial Vice-President of Parishad, Shri Glab Chandra Jaiswal, the District President, Shri Shiv Kumar Singh Raikwar, Myself as the District Secretary, Treasurer, Shri Ashutosh Srivastava and the Secratary of the Heirs of Freedom Fighters Organization, Shri Ramesh Mishra read poems to the glory of the Nation. A few well-known poets of my District like Ashok Pandey Gulshan, Vinod Kumar Pandey, Bajarang Kumar Mishra and Jagdish Bharati participated in the event. They sang the praises of those who had fought for the country. The event brought listeners a feeling of pride in Tri-Colour. Vande Mataram !!!














‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत 'हर घर तिरंगा' आंदोलन में अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, बहराइच के तत्वावधान में परिषद् के महामंत्री रमेश चन्द्र तिवारी के निवास पर 13 अगस्त 2022 दिन शनिवार को प्रातः देश के गौरव का प्रतीक तिरंगा फहराया गया तथा सायं 5 बजे परिषद् के अध्यक्ष श्री शिव कुमार सिंह रैकवार जी के दिशा निर्देशन में स्वतंत्रता संग्राम के अमर शहीदों की स्मृति में एक काब्य संध्या का भी आयोजन किया गया जिसके मुख्य अतिथि परिषद् के प्रांतीय उपाध्यक्ष श्री गुलाब चन्द्र जैसवाल जी थे तथा श्री रमेश मिश्र, स्वतत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के महामंत्री, विशिष्ठ अतिथि थे । काव्य पाठ राधाकृष्ण पाठक जी की अध्यक्षता में संपन्न हुई । लक्ष्मी कान्त त्रिपाठी मृदुल ने सम्मलेन का कुशल व् रोचक संचालन किया । सर्वश्री अशोक पांडेय गुलशन, आशुतोष श्रीवास्तव, बजरंग कुमार मिश्र, विनोद कुमार पांडेय, जगदीश भारती आदि सभी कवियों ने भारत माता की गरिमा में तथा स्वतंत्र संग्राम के अमर शहीदों की स्मृति में कवितायेँ पढ़ीं । कवियों ने पूर्वजों के शौर्य गीत भी गाये तथा राष्ट्र प्रेम की भावना से भरे छंदों से श्रोताओं को मुग्ध किया ।

Saturday 13 August 2022

हर घर तिरंगा



‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत 'हर घर तिरंगा' आंदोलन में अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, बहराइच के तत्वावधान में परिषद् के महामंत्री रमेश चन्द्र तिवारी के निवास पर 13 अगस्त 2022 दिन शनिवार को प्रातः देश के गौरव का प्रतीक तिरंगा फहराया गया तथा सायं 5 बजे परिषद् के अध्यक्ष श्री शिव कुमार सिंह रैकवार जी के संरक्षण व् दिशा निर्देशन में स्वतंत्रता संग्राम के अमर शहीदों की स्मृति में एक काब्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया जिसके मुख्य अतिथि परिषद् के प्रांतीय उपाध्यक्ष श्री गुलाब चन्द्र जैसवाल जी थे तथा श्री रमेश मिश्र, स्वतत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के महामंत्री, विशिष्ठ अतिथि थे । गोष्ठी पाठक जी की अध्यक्षता में संपन्न हुई । सर्वश्री अशोक पांडेय गुलशन, आशुतोष श्रीवास्तव, बजरंग कुमार मिश्र, विनोद कुमार पांडेय, जगदीश भारती आदि सभी कवियों ने भारत माता की गरिमा में तथा स्वतंत्र संग्राम के अमर शहीदों की स्मृति में कवितायेँ पढ़ीं । कवियों ने पूर्वजों के शौर्य गीत भी गाये तथा राष्ट्र प्रेम की भावना से भरे छंदों से श्रोताओं को मुग्ध किया । लक्ष्मी कान्त त्रिपाठी मृदुल ने काव्य संध्या का कुशल व् रोचक संचालन किया ।

Wednesday 3 August 2022

तिरंगा

 



आजादी अमृत महोत्सव,
भारत के सपनों का उत्सव,
उल्लासित जन चलो मनायें,
चलो तिरंगा सब फहरायें ।
राष्ट्र रंग दें एक रंग में,
जय हो जय हो एक संग में ।
दिखे गगन से प्यारा देश,
इंद्र धनुष हो उसका भेष ।
अविरल अखंड अपना हो झंडा,
राष्ट्र प्रेम की शाश्वत गंगा ।
सम्मुख दुनिया झुक जाए,
दुश्मन देख हमें थर्राये ।
हम नेता हों हमी गुरु हों.
नयी सभ्यता यहीं शुरू हो ।
प्रबल तिरंगा अमर तिरंगा !
शक्तिस्रोत अपना हो झंडा ।
उस पर हो हमको अभिमान,
हम सबकी हो वह पहचान ।
             


- Ramesh Tiwari

Tuesday 28 June 2022

मोदी, सक्षम पूत



पैदा बहुत हुए भारत में
वीर, प्रतापी, महाबली
मिटटी से पौधे उगे बहुत
त्यागी, बलिदानी, घोर तपी
सब विधि सक्षम पूत एक
माता ने जब जन्म दिया
दस बारह पीढ़ी बीत गयी
आँगन में अपना जला दिया
भारत हुआ अखंड खंड
दुश्मन का अभिमान हुआ
तीन लोक के राजा के
मंदिर का तब निर्माण हुआ

Wednesday 15 June 2022

Their Youth, Joy and Beauty

 



Like plants all appear in the world;

Each then in a keen and barmy bud.

Strongly scented, brightly coloured,

Full of youth, their lips nectared,

Young, smiling flowers blossom.

Gorgeous girls, their beauty awesome,

Entice hungry pollinators to hover

Around them and the field all over.

Seeds they produce to be reproduced.

Again by beauty teens are seduced.

- Poet Ramesh Tiwari

Wednesday 25 May 2022

8 Years Ago on 26 May 2014

 

ON THIS DAY
8 years ago on 26 May 2014
Excerpt from: The Rise of NaMo and New India



FESTIVE NATURE
By Ramesh Tiwari

The sun this morning rose with a smile on his face
And looked as though he had risen to begin a new age;
The breeze at once danced to the music of mountain streams.
Who knows what dream the lovely lass Horizon dreams?
The birds could not but went mad with the feel of free air
And left their nests early to fly in their choice of spheres;
The sea that looked very grave suddenly turned choppy
And ran its waves to touch coasts, both dry and foggy.
Decorating the blue canopy busy are the stars, the moon;
Illuminated with fireflies are the trees in the great Room;
The flowers too have been giving off a fresh, cool fragrance.
It looks like India has achieved something of substance,
Or festive Nature waits to welcome the coming of someone.
Oh yes, our NaMo is going to take the oath to become PM,
So the country is out to offer its congratulations to him,
And prays that he be commanding, courteous and supreme!

Sunday 10 April 2022

S A Children Academy, Annual Function





S A Children Academy, Jaitapur- Bahraich, celebrated its Annual Function under the guidance of Shri Saket Kumar Tiwari, the Manager of the school, Shri Anuj Kumar Shukla, the Principal and the learned teachers. I too had the rare honour of being the chief guest at the meet. Shri Hariom Sharma and the well-known poet of the district, Shri Raghvendra Tripathi, were the special guests, who addressed the assembled company and read a few poems to loud cheers. A series of cultural events were organized by the students of the school. The students who secured highest marks in the year 2021-2022 were awarded different medals and report cards. In a speech to the students I said that early care and education programs for children have lasting positive effects such as school success, higher graduation rates, lower juvenile crime and decreased need for special education services later. On the contrary, if the children are not cared properly, it can have harmful effects on language, social development, and school performance. A good child care and education programme provide a safe nurturing environment that promotes the physical, social, emotional and cognitive development of young children while responding to the needs of families. The first four years of life are a period of rapid development of brain structures. The goal of early childhood education is to facilitate the development of a child's overall abilities and understandings to prepare the child for future endeavours. Thus proper child care and their systematic education is a process of refining the humanity or a process of removing impurities so the nation can be supplied with better citizens for an advanced future society which constructs the shining walls of a glorious part of the world with easy life style and peaceful atmosphere. Violence, rapes and even the blind growth of population are the side-effects of uneducated society. A country with illiterate citizens is not the country of human beings but a wildlife sanctuary. 


Saturday 2 April 2022

अनुश्री



मेरी नयी पुस्तक 'अनुश्री' शीघ्र ही प्रकाशित होने वाली है । उसकी एक कविता मैं यहाँ शेयर कर रहा हूँ :

आदमी को अगर आदमी चाहिए,
बीच में फ़ासले की कमी चाहिए ।

पैरों के नीचे जमी चाहिए,
सरहदों की लकीरें मिटी चाहिए ।
चाहो कि प्यासा मरे न कोई,
सभी धर्म-दरिया मिली चाहिए ।
गैर कहना समझना भुला डालिए,
तो मिलेंगे तुम्हारे कहीं जाइए ।
आदमी को अगर आदमी चाहिए,
बीच में फ़ासले की कमी चाहिए ।

अपनी शकल दूसरों में दिखे,
तो दिलों की निगाहें खुली चाहिए ।
ये दुनिया मोहब्बत भरी चाहिए,
आँख में आसुओं की तरी चाहिए ।
दूध सा ये है महफ़िल मेरा दोस्तों,
दुश्मनी की खटाई नहीं चाहिए ।
आदमी को अगर आदमी चाहिए,
बीच में फ़ासले की कमी चाहिए ।

घर घर में रोटी नमक चाहिए,
तो गरीबों पे थोड़ी तरस खाइये ।
चाहते हो जहां देखना खूबसूरत,
जुबाँ की मिठाई फ्री चाहिए ।
खुशियां ही खुशियां तुम्हें चाहिए ,
एक तेरी हमें बस हँसी चाहिए ।
आदमी को अगर आदमी चाहिए,
बीच में फ़ासले की कमी चाहिए ।

किन्तु विध्वंस परिणाम संघर्ष का,
विध्वंस ही श्रोत निर्माण का ।
होता है संघर्ष होता रहेगा,
भड़कता है मानव भड़कता रहेगा ।
                                     - Poet Ramesh Tiwari   



Thursday 17 March 2022

होली है ! होली है ! होली है !

 

भोले खेलें ऐसी होली कि घिर गए बादल गुलाल के

हनुमत नाचें गणपति नाचें नंदी गण सब झूमें नाचें

नाच उठा कैलाश कि डम डम ताल पे

ब्रह्मा आये विष्णु आये देवों के उतरे विमान हैं 

मैया बनावे मिठाई कि मेवा डाल के

भोले खेलें ऐसी होली कि घिर गए बादल गुलाल के

गूँज गई घाटी मचल गयी गंगा ऋषियों के टूटे ध्यान हैं

सँडसा बजावें सन्यासी कि गुझिया खाय के 

रंग रंगे सब भंग पिए मस्ती में मस्त ठहरे सूर्य चंद्र

परियां लाईं बहार कि फूल वर्षाय के

भोले खेलें ऐसी होली कि घिर गए बादल गुलाल के

होली है ! होली है ! होली है !

Happy Holi, everyone!

It is very harmful to muse on the sad things for a long time, for invariable mood of pessimism leads to depression which is something that stirs powerful emotions. It is observed that an emotional man not only lacks the ability to reason but is more prone to develop excessive sense of both love and hate. Of all the feelings the hatred is the most harmful feeling because a deep sense of hatred makes man cruel and sadist. In fact, this was the reason why our ancestors invented happy festivals connected with the successful events of our past. We have turned our back on our religious faith. Think, it is good for us? We labour under all kinds of difficulties all through our life and have very few chances to enjoy an occasion. Holi, Deepawali and many other festivals are so good that they keep us happy all the year round and thus make us rational realistic, positive and able to face the ups and downs along the road to success.

Happy Holi, everyone!

Happy Holi

Colour me and let me colour you -
We must look alike:

Red, green, blue, yellow or orange
Not in black, nor white.
Holi has come to paint each heart
Red, red rosy love.

Come up to me, my dear dear ones,
For you all waits my tub.


Saturday 12 March 2022

The Rise of NaMo and New India

 

The author of The Rise of NaMo and New India, Mr Ramesh Chandra Tiwari, has prefaced the book with a marvellous piece of writing that unravels the mysteries of politics with no holds barred. In a poem, he invokes divine guidance on writing about a great person before he starts the first part of the book, in which he gives a detailed account of how the people of India greeted Sri Nrendra Modi as a Prime Ministerial candidate in 2013, how they were excited to receive him as their national leader and how BJP swept to victory in 2014 and in 2019 as well.

The second part of the book consists of about forty poems and a few commentaries on Covid 19, the ceremony to lay the foundation stone of Ram Janm Bhoomi, the Sino-India border conflict, the national education policy 2020 and agricultural reforms 2020. The first poem is a brief biography of PM Narendra Modi, then a series of poems that describe his love for the country and loyalty towards it, his leadership abilities and his boundless enthusiasm to make the country self-reliant. A few poems feature his schemes and the historical laws introduced and reformed by his government, like welfare programmes, Clean India Movement, development of social, economic and transport infrastructure, surgical strikes, revocation of Article 370, Jammu and Kashmir geographical reorganization, law against triple talaq, ten percent reservation to lower general class And Jammu, Kashmir amended reservation and Citizenship Amendment Act. There are poems that commemorate a few great leaders like, Baba Saheb Bhimrao Ambedkar, Sardar Vallabhbhai Patel, Atal Bihari Bajpai and DR APJ Abdul Kalam.

According to the book Shri Narendra Modi proclaimed India to be integrated, free of divisive politics and free of illegal immigrants. He promised to develop a caterpillar into a butterfly i. e. all-round development of the country and to deal with sensitive and complex issues. The opposition reacted by saying that what he declared were the impossible things. But when he finally succeeded fulfilling his prophecies, the defeated parties are alarmed and started struggling for their existence. The book maintains that one’s nationality is one’s identity and not one’s family, caste, race, religion or faith etc. Your nation is your root; without it you are an alien on the earth. So do not damage your country by laying your loyalties with any foreign community. The book affirms that it is for the first time that China felt a shock which the Modi government has recently given to it in terms of trade, border security, development of infrastructure along LAC and relationship with both Asian and Western countries and that the light of the honest governance has spread across the world, winning the hearts of not only the people of Jammu and Kashmir but also of the people of Pak-occupied Kashmir, who now welcome the Modi government.

The author warns the government of the population explosion and suggests that any deed of corruption is the deed done against the interests of the people, though appreciating the efforts of the Modi government in rooting out corruption. He opines that a true leader is he who knows the right way and can lead the society or the country to where all may live a more comfortable and peaceful life. So unlike most premiers PM Narendra Modi takes innovative decisions – all in the interest of the people only and never in his own interest. When the people of some other country compare their heads with him, they wish they had a PM/President like him. In short, The Rise of NaMo and New India is a wonderful book on politics that charts India’s seven year history of Modi rule and has an analytic approach to political conundrum.

Saturday 26 February 2022

Make Haste to Vote!

 

The sky is clear; birds sing you hear;
Warm winter breeze; at rest are trees;
Ambience is cozy; all things look rosy.
Red blooms on pools, hot air there cools
The aged and lad, our Mom and Dad,
Calls you your Rashtra; your vote you cast.
Vote vote vote vote make haste to vote!
Vote for India, vote for India!
Ramesh Tiwari

Friday 25 February 2022

The Honourable Home Minister, Shri Amit Shah, at Bahraich



Shri Vikas Jaisawal, the devoted worker of BJP, presented the Honourable Home Minister, Shri Amit Shah, with my book ‘The Rise of NaMo and New India’ while receiving him into the city of Bahraich on Thursday, 24 February 2022. The HM addressed the large audience at KDC ground. He appealed to the people of Bahraich to vote for Smt Anupama Jaisawal, who has ever been very friendly to the people of this BJP seat. “BJP has performed well in first four phases and will have a big lead from Western UP,” said Shri Amit Shah. “The Yogi government has provided a peaceful and crime-free atmosphere for the people. He has instilled confidence in the long oppressed majority that they speak freely about their faith, beliefs and culture.” Then he added, “It is the double-engine government that could ensured the constant supply of electricity, top class transport infrastructure, houses and food to the underprivileged.”

Wednesday 23 February 2022

राष्ट्रीय पार्टी


राष्ट्रीय स्तर पर वही पार्टी विकास करती है जिसमें जिम्मेदारी का विकेन्द्रीकरण होता है । इसके विपरीत जिस पार्टी में जिम्मेदारी केवल पार्टी प्रमुख के हाथों में केंद्रित होती है वह पार्टी विकास कभी नहीं कर सकती । कांग्रेस इस समय इसी बीमारी से ग्रस्त है क्योंकि गाँधी परिवार को डर है कि यदि अधिक लोगों को बोलने की छूट दी गई तो कोई दूसरा राहुल गाँधी से अधिक लोकप्रिय हो सकता है, परिणाम स्वरुप पार्टी पर परिवार का प्रभुत्व समाप्त हो सकता है । यही हाल समाजवादी पार्टी का है, अखिलेश जी अकेले भाजपा जैसी पार्टी से लड़ रहे हैं क्योंकि अन्य लोगों को जिम्मेदारी बांटने का जोखिम उठाना नहीं चाहते । आम आदमी पार्टी प्रमुख केजरीवाल ने प्रारम्भ में ही प्रभावशाली लोगों को बाहर का रास्ता दिखा दिया था उसके बाद वे अकेले ही मोर्चा संभाल रहे हैं । ममता दीदी हों या दक्षिण भारत की क्षेत्रीय पार्टियां हों, सबका यही हाल है । ये सभी पार्टियां किसी एक प्रान्त से बाहर अपना प्रभाव विकसित नहीं कर सकतीं । इस तरह वर्तमान में केवल बीजेपी ही राष्ट्रीय पार्टी है और उसका कोई विकल्प नहीं है ।

Saturday 12 February 2022

India’s Intellectual and Discerning Elites



#ChetanBhagat names English speaking people the IIDEs (India’s Intellectual and Discerning Elites).and opined that their advice is a kiss of death for businessmen, book publishers and politicians because they know very little about the people of India. The IIDE, he says, usually have an intellectually privileged upbringing therefore their opinions have more weight than any other group of people in India. These refined people swarm about a publisher like moths to get their literary fiction published. Since their fiction books are not read, the publishing house eventually closes down. The IIDE support congress and work for Gandhi family. They spend day and night, gathering vituperation with which to condemn Hinduism, nationalism, PM Modi and his government. Since they do not know what India likes, their ideas for Congress have adverse effect on the people and Gandhi family is losing its power base. Chetan went on and put forward third example of how NETFLIX fell prey to IIDE trap and how its CEO, Reed Hastings, expressed his frustration about their hopeless progress in India.

Wednesday 2 February 2022

Budget 2022-2023

PM Modi is determined to achieve his targets: Self-reliant India, Digital Super Power, Clean India and Healthy Nation. Budget 2022-2023 is growth-oriented, promoting, MSME, Start UP, Digital India, safer and faster Transportation. Gati-Shakti Project gets Rs 1.40 lakh crore, about 15 percent more than last year. Under this project, about 400 Bande Bharat trains will be manufactured over the next three years. Rs 7.5 lakh crore has been shared out for building assets called Capital Expenditure, increasing 35%. A massive 44 thousand crore have been allocated to BSNL for 4G spectrum and PLI for 5G technologies. Production of indigenous weapons has been given a stronger push. RBI is going to introduce risk-free Digital Currency, which can be exchanged with physical currency. PM eVIDYA will be expanded to 200 TV channels, thereby establishing digital university for world class universal education. Rs 60 thousand crore for water connections and a significant increase in the budget for Green India. Heavy budget for battery swapping services, which will open a new business model and it will create a lot of jobs. Rs 18 lakh crore for the farm sector to provide farmers with natural farming, drone technology that is intended to promote crop assessment, digitalize land records and to spray insecticides. Budget 2022-2023 will open new opportunities for youth and farmers with a vision for pro-people reforms. PM Modi doubled the economy only in seven years and India is going to be fifth-largest economy in the world.

Tuesday 1 February 2022

अवधी लोक साहित्य में पेंड पौधों का महत्व

जैसे पहाड़ों जंगलों में वनस्पतियां स्वतः उगती व् विकसित होती हैं उसी तरह जन सामान्य की सामजिक पृष्ठभूमि पर लोक साहित्य उतपन्न होता है । हमारे लोक साहित्य, संस्कारों और आचारों-व्यवहारों में निरंतर प्रकृति और मानवीय चेतना की अभिव्यक्त होती रही है। लोक स्वयं ही प्रकृति का पर्याय है।

मोटे तौर पर हम लोक साहित्य को कथा, गीत, कहावतों के रूपों में प्राप्त करते हैं । डॉ. कृष्णदेव उपाध्याय ने लोक साहित्य को चार रूपों में बांटा है : गीत, लोकगाथा, लोककथा तथा प्रकीर्ण साहित्य जिसमें अवशिष्ट समस्त लोकाभिव्यक्ति का समावेश कर लिया गया है ।

देवी देवताओं की पूजा के लिए रचित गीत तथा दादी दादा की कहानी व् मन्त्र लोकसाहित्य के अंग हैं । धरती, आकाश, कुँआ, तालाब, नदी, नाला, डीह, मरी मसान, वृक्ष, फसल, पौधा, पशु, दैत्य, दानव, देवी, देवता, ब्रह्म एवं तीर्थ आदि पर जो मंत्र या गीत प्रचलित हैं वे इसी के अंतर्गत आते हैं । जन्म से लेकर मरण तक के सभी संस्कार तथा खेती बारी, फसल की पूजा, गृहनिर्माण, कूपनिर्माण, मंदिर एवं धर्मशाला का निर्माण के लिए जिन गीतों अथवा मंत्रों का प्रयोग होता है वे सब इस साहित्य में आते हैं। रोगों के निदान के लिए भी मंत्रों का प्रयोग होता है । हमारी संस्कृति इन्हीं परंपराओं पर आधारित है ।

अवधी लोकगीतों में अवध क्षेत्र के लोक विश्वासों, परम्पराओं, प्रथाओं, रीति-रिवाजों, खान-पान रहन-सहन आदि का स्वाभाविक चित्रण किया गया है । अवधीभाषी समाज की सांस्कृतिक चेतना का अविरल प्रवाह अवधी लोकगीतों के माध्यम से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को होता रहा है। अवधी लोकगीतों में रामकथा की प्रधानता है इसमें अवध क्षेत्र की जनता की सामाजिक धार्मिक आर्थिक सांस्कृतिक स्थितियों की झलक मिलती है। पौराणिक आख्यानों के साथ-साथ कुछ ऐतिहासिक घटनाएं भी अवधी लोकगीतों में देखने को मिलती हैं।

भारत में अवधी मुख्यतः उत्तर प्रदेश में बोली जाती है। अमेठी, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, रायबरेली, प्रयागराज, कौशांबी, अम्बेडकर नगर, सिद्धार्थ नगर, गोंडा, बलरामपुर, बाराबंकी, अयोध्या, लखनऊ, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, बहराइच, बस्ती एवं फतेहपुर उत्तर प्रदेश के अवधी भाषी जिले हैं । यह मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और बिहार के कुछ जिलों में भी बोली जाती है। भारत के अतिरिक्त अवधी फिजी और नेपाल में भी बोली जाती है । स्पष्ट है अवधी लोक साहित्य का उदभव एवं विकास भी इन्हीं स्थानों से हुआ है किन्तु इसकी लोकप्रियता सम्पूर्ण विश्व में है ।

प्रकृति और मानव का सम्बन्ध आदि काल से है या ऐसा कहा जा सकता है कि मानव प्रकृति का ठीक उसी तरह एक अंग है जैसे पेंड पौधे । अतः मानव संवेदनाओं में प्रकृति की किसी न किसी रूप में उपस्थित होना स्वाभाविक है । भारतीय साहित्य में प्रकृति चित्रण की परम्परा रही है । प्रकृति की गोद में मनुष्य पैदा होता है उसी के गोद में खेलकर बड़ा होता है। इसीलिए धर्म, दर्शन, साहित्य और कला में मानव और प्रकृति के इस अटूट सम्बन्ध की अभिव्यक्ति चिरकाल से होती रही है। साहित्य मानव ह्रदय की वह अभिव्यक्ति है जिसमें उसका जीवन ही नहीं बल्कि प्रकृति के विभिन्न रूपों का भी समावेश है । आलंबन, उद्दीपन, उपमान, पृष्ठभूमि, प्रतीक, अलंकार, उपदेश, दूती, बिम्ब-प्रतिबिम्ब, मानवीकरण, रहस्य तथा मानव-भावनाओं का आरोप आदि विभिन्न तरीके हैं जिसके माध्यम से काव्य में प्रकृति का वर्णन किया जाता है ।

हमारे समाज में पीपल का बहुत महत्व है । पीपल के वृक्ष में जड़ से लेकर पत्तियों तक तैंतीस कोटि देवताओं का वास होता है और इसलिए पीपल का वृक्ष पूजनीय माना गया है । पीपल की पूजा का प्रचलन प्राचीन काल से ही रहा है। सामान्यतः शनिवार की अमावस्या को तथा विशेष रूप से अनुराधा नक्षत्र से युक्त शनिवार की अमावस्या के दिन पीपल वृक्ष की पूजा और सात परिक्रमा करके काले तिल से युक्त सरसो के तेल के दीपक को जलाकर छायादान करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। श्रावण मास में अमावस्या की समाप्ति पर पीपल वृक्ष के नीचे शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से सभी तरह के संकट से मुक्ति मिल जाती है। पीपल के दर्शन-पूजन से दीर्घायु तथा समृद्धि प्राप्त होती है। अश्वत्थ व्रत अनुष्ठान से कन्या अखण्ड सौभाग्य पाती है। पीपल में जल अर्पण करने से रोग और शोक मिट जाते हैं। औषधीय गुणों के कारण पीपल के वृक्ष को 'कल्पवृक्ष' की संज्ञा दी गई है । इसके छाल, पत्ते, फल, बीज, दूध, जटा एवं कोपल तथा लाख सभी प्रकार की व्याधियों के निदान में काम आते हैं । सर्वाधिक ऑक्सीजन निस्सृत करने के कारण इसे प्राणवायु का भंडार कहा जाता है। विषैली गैसों को आत्मसात करने की इसमें अकूत क्षमता है। पीपल की छाया में वात, पित्त और कफ का शमन होता है तथा उनका संतुलन भी बना रहता है। इससे मानसिक शांति भी प्राप्त होती है।

सावत्री त्योहार पूरी तरह से बरगद या वटवृक्ष को ही समर्पित है। माना गया है क़ि वरगद के पेंड़ पर ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश तीनों देवता निवास करते हैं । चूंकि बरगद को साक्षात शिव कहा गया है इसलिए इसके दर्शन करने से शिव के दर्शन होते हैं । भारत में अक्षयवट, पंचवट, वंशीवट, गयावट और सिद्धवट नामक पांच प्राचीन वटबृक्ष हैं जिनका चिर काल से धार्मिक महत्व रहा है । संसार में उक्त पांच वटों को पवित्र वट की श्रेणी में रखा गया है। अक्षयवट प्रयाग में, पंचवट नासिक में, वंशीवट वृंदावन में, गयावट गया में और उज्जैन में पवित्र सिद्धवट हैं ।

हमारे यहाँ जब भी कोई मांगलिक कार्य होते हैं तो घर या पूजा स्थल के द्वार व दीवारों पर आम के पत्तों की लड़ लगाकर मांगलिक उत्सव को धार्मिक बनाते हुए वातावरण को शुद्ध किया जाता है। अक्सर धार्मिक पंडाल और मंडपों में सजावट के लिए आम के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है। आम की हजारों किस्में हैं और इसमें जो फल लगता है वह दुनियाभर में प्रसिद्ध है। आम के रस से कई प्रकार के रोग दूर होते हैं।

भारत में बिल्व अथवा बेल का पीपल, नीम, आम, पारिजात और पलाश आदि वृक्षों के समान ही बहुत सम्मान है। बिल्व वृक्ष भगवान शिव की अराधना का मुख्य अंग है। धार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होने के कारण इसे मंदिरों के पास लगाया जाता है। बिल्व वृक्ष की तासीर बहुत शीतल होती है। गर्मी की तपिश से बचने के लिए इसके फल का शर्बत बड़ा ही लाभकारी होता है। यह शर्बत कुपचन, आंखों की रोशनी में कमी, पेट में कीड़े और लू लगने जैसी समस्याओं से निजात पाने के लिए उत्तम है। बिल्व की पत्तियों मे टैनिन, लोह, कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नेशियम जैसे रसायन पाए जाते हैं। बेल वृक्ष की उत्पत्ति के संबंध में 'स्कंदपुराण' में कहा गया है कि एक बार देवी पार्वती ने अपनी ललाट से पसीना पोछकर फेंका, जिसकी कुछ बूंदें मंदार पर्वत पर गिरीं, जिससे बेल वृक्ष उत्पन्न हुआ। इस वृक्ष की जड़ों में गिरिजा, तना में महेश्वरी, शाखाओं में दक्षयायनी, पत्तियों में पार्वती, फूलों में गौरी और फलों में कात्यायनी वास करती हैं। यह माना जाता है कि देवी महालक्ष्मी का भी बेल वृक्ष में वास है। जो व्यक्ति शिव-पार्वती की पूजा बेलपत्र अर्पित कर करते हैं, उन्हें महादेव और देवी पार्वती दोनों का आशीर्वाद मिलता है। 'शिवपुराण' में इसकी महिमा विस्तृत रूप में बतायी गयी है।

अशोक वृक्ष को बहुत ही पवित्र और लाभकारी माना गया है। अशोक का शब्दिक अर्थ होता है- किसी भी प्रकार का शोक न होना। मांगलिक एवं धार्मिक कार्यों में अशोक के पत्तों का प्रयोग किया जाता है। माना जाता है कि अशोक वृक्ष घर में लगाने से या इसकी जड़ को शुभ मुहूर्त में धारण करने से मनुष्य को सभी शोकों से मुक्ति मिल जाती है। अशोक का वृक्ष वात-पित्त आदि दोष, अपच, तृषा, दाह, कृमि, शोथ, विष तथा रक्त विकार नष्ट करने वाला है। इसके उपयोग से चर्म रोग भी दूर होता है। अशोक का वृक्ष घर में उत्तर दिशा में लगाना चाहिए जिससे गृह में सकारात्मक ऊर्जा का संचारण बना रहता है। घर में अशोक के वृक्ष होने से सुख, शांति एवं समृद्धि बनी रहती है एवं अकाल मृत्यु नहीं होती। इसके पत्ते शुरू में तांबे जैसे रंग के होते हैं इसीलिए इसे 'ताम्रपल्लव' भी कहते हैं। इसके नारंगी रंग के फूल वसंत ऋतु में आते हैं, जो बाद में लाल रंग के हो जाते हैं। सुनहरे लाल रंग के फूलों वाला होने से इसे 'हेमपुष्पा' भी कहा जाता है।

नीम एक चमत्कारी वृक्ष माना जाता है। नीम जो प्रायः सर्व सुलभ वृक्ष आसानी से मिल जाता है। नीम को संस्कृत में निम्ब कहा जाता है। यह वृक्ष अपने औषधीय गुणों के कारण पारंपरिक इलाज में बहुपयोगी सिद्ध होता आ रहा है। चरक संहिता जैसे प्राचीन चिकित्सा ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। नीम शीतल और हृदय को प्रिय होता है । अग्नि, परिश्रम, तृषा, अरुचि, क्रीमी, व्रण, कफ, वामन, कोढ़ और विभिन्न प्रमेह को नष्ट करता है। नीम के पेड़ का धार्मिक महत्त्व भी है। मां दुर्गा का रूप माने जाने वाले इस पेड़ को कहीं-कहीं नीमारी देवी भी कहते हैं। इस पेड़ की पूजा की जाती है। कहते हैं कि नीम की पत्तियों के धुएं से बुरी और प्रेत आत्माओं से रक्षा होती है।

केले का पेड़ अत्यधिक पवित्र माना जाता है और कई धार्मिक कार्यों में इसका प्रयोग किया जाता है। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को केले का भोग लगाया जाता है। केले के पत्तों में प्रसाद बांटा जाता है। माना जाता है कि समृद्धि के लिए केले के पेड़ की पूजा अच्छी होती है। केला हर मौसम में सरलता से उपलब्ध होने वाला अत्यंत पौष्टिक एवं स्वादिष्ट फल है। केला रोचक, मधुर, शक्तिशाली, वीर्य व मांस बढ़ाने वाला, नेत्रदोष में हितकारी है। पके केले के नियमित सेवन से शरीर पुष्ट होता है। यह कफ, रक्तपित, वात और प्रदर को नष्ट करता है।

इन बृक्षों की पूजा व् इनसे सम्बंधित ब्रत हमारे पूर्वजों ने अन्धविश्वास में निर्धारित नहीं किये थे बल्कि उनका उद्देश्य हमें स्वस्थ रखने का था । वर्ष भर विभिन्न बृक्षों की पूजा या मांगलिक कार्यों में उनकी उपयोगिता के कारण ये हमारे अवधी लोक साहित्य के अभिन्न अंग बन गए । जहाँ हमारी लोक कथाओं में अनेकों प्रजाति के पेड़ों का वर्णन मिलता है वहीँ ये हमारे लोक गीतों और कहावतों में उनकी आत्मा के रूप में विद्यमान हैं ।

निम्न गीत की पंक्तियाँ प्रमाणित करती हैं कि प्रत्येक घर के पीछे की फुलवारी में लौंग के पेंड हुआ करते थे :

मोरे पिछवरवाँ लौंगा कै पेड़वा लौंगा चुवै आधी रात
लौंगा मै चुन बिन ढेरिया लगायों लादी चले हैं बनिजार

विदा होती लड़की भी परिवेश के महत्व को खूब जानती है। उसे घर के पशुओं का ही नहीं, पेड़ों-पौधों की भी भूमिका का पता है। वह अपने घर के नीम के पेड़ और उस पर आने वाली चिड़ियों में जीवन का फैलाव देखती है।

बाबा निबिया कै पेंडवा जिन कटवायव,
निबिया चिरैया बसेर, बलैया लेहु बीरन की।
बाबा सगरी चिरैया उड़ि जइहैं,
रहि जइहैं निबिया अकेलि, बलैया लेहु बीरन की।

धोबियों के गीत : धोबी लोग काम करते समय या अवकाश के समय गीत गाते हैं परन्तु विशेष रूप से पुत्र जन्मोत्सव व् वैवाहिक कार्यक्रम के समय विशेष साज सज्जा के साथ गाते हैं ।

निबिया कै पेंडवा जबै नीकि लगै जब निबकौरी न होय
मालिक जब निबकौरी न होय ।
गेहुवाँ कै रोटिया जबै नीकी लागै घिव से चभोरी होय
मालिक घिव से चभोरी होय ।


बारह मासा विरह गीत : यह ऐसा लोकगीत है जो साल के बारहो महीने के अवसरानुकूल गाया जाता है । इन गीतों में विरहानुभूति का बड़ा ही रोमांचकारी चित्र उकेरा गया होता है ।

नहिं आये हमारे श्याम ।
माघव न आये फागुन न आये पड़त गुलाल खेलें सखि फाग ।
चैतौ न आये बैसाखौ न आये फरि गए आम फूलि रहे टेसू ।


महान किसान कवि घाघ के अनुसार यदि मदार खूब फूलता है तो कोदो की फसल अच्छी है। नीम के पेड़ में अधिक फूल-फल लगते है तो जौ की फसल, यदि गाड़र की वृद्धि होती है तो गेहूं बेर और चने की फसल अच्छी होती है।

आंक से कोदो, नीम जवा।
गाड़र गेहूं बेर चना।।


देवी गीत का आकर्षण तुलसी का पौधा है :

लहर लहर लहराय हो मेरे आंगन की तुलसी
मैया की मांगों में बेंदी सोहे बेंदी सोहे टीका सोहे
सेन्दुरा से मांग भराई हो मेरे आँगन की तुलसी


रीतिकाल को हिंदी साहित्य में उत्कृष्ट साहित्य सृजन के लिए बहुत अच्छा काल नहीं माना जाता। कहते हैं कि वो दरबारी काल था। फिर भी उस काल के सहृदय कवि सेनापति ने लिखा है-

फूली है कुमुद फूली मालती सघन बन
मानहुं जगत छीर सागर मगन है


रामचरित मानस में महाकवि तुलसीदास जी लंका नगरी की प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन करते हुए लिखते हैं :

नाना तरु फल फूल सुहाए, खग मृग बृंद देखि मन भाये ।

अवधी भाषा में सवैया के इन छंदों को मैने सन 1982 में लिखा था । देखिए यदि प्रकृति के मनोरम वर्णन को इसमें से निकाल दिया जाय तो ये छन्द वैसे हो जाएँगे जैसे सुगंध विहीन पुष्प :

नंदनन्द के धाम अनंद महा बहु भाय रही ब्रिज की फुलवारी ।
उठि धाय चलो तहँ को सुसखा सब जाय रहे पुर के नर-नारी ।।
बहु रंग के फूल अनन्त खिले अलि बृंद अचंभित आज अनारी ।
मन्द गती की समीर सुगन्धित कंपित पुष्प, लता, पट, डारी ।।
सर कन्चन थाल में पंकज लै करपै नव चंचल अंचल डारे ।
स्वागत हेतु खड़ी हरि के कछु लाज के कारन घूँघुट काढ़े ।।
अवलोकत हूँ खग हूँ न उडें अति आतुर ह्वे धुनिहूँ न सुनावें ।
आवत देखि के राधे गोपाल उतावल ह्वे सुधि-बुद्धि नसावें ।।

Friday 28 January 2022

Shri Narendra Modi

There was open hostility between different social classes in Hindu society but they began to integrate with each other with Shri Narendra Modi becoming the Prime minister. India is still divided into two groups of people: those who love their country, its culture and its heritage and believe in the brotherhood of man and those who have radical views, though the number of separatists has also fallen in the past 7 years. The latter group consists of the people from all of the communities but most are those who could not keep faith with their beliefs during the invasion and, true to form, cannot be expected to be faithful to the nation.

The beloved son of Mother India, the leader of the leaders, the brave freedom fighter and the true plant of Indian soil did not get what he deserved the most because a few who loved power and position more than the nation did their worst to keep the son away from his mother. Come on brothers, let us celebrate today the 125th Anniversary of the birth of our patriotic father, Netaji Subhash Chandra Bose and pay tribute to him! We, the people of India, also appreciate Prime Minister, Sri Narendra Modi, who declassified the documents related to Netaji on 23 January 2016 and declared the day of his birth as Prakram Diwas last year. He announced that a grand statue of iconic father will be installed as a symbol of India’s indebtedness to him inside the same canopy at India Gate in which the statue of King George was installed in 1938 and removed in 1968. A hologram of Neta ji has been projected at the site of the statue and the Prime Minister has unveiled it today at 6.00 pm. Sunday, 23 January 2022

It s for the first time since Independence, a Prime Minister has taken to decorating the country with national colours, rubbing off the blots of invasion and colonial India. Now a grand temple of Ram Lala; Baba Vishwanath regains the same old splendour and majesty; visit the Statue of Unity and you will feel proud of your father Saradar Vallabhbhai Patel. Now our Prime Minster has announced that a grand statue of our brave and patriotic father, Netaji Subhash Chandra Bose, will be installed as a symbol of India’s indebtedness to him inside the same canopy at India Gate in which the statue of King George was installed in 1938. Read ‘The Rise of NaMo and New India’ and know more about how India has been emerging as Bharat since Shri Modi came to power.

Gandhi family discovers a sufferer to express false sympathy and soon after a media show they move ahead to another quite ignoring the previous ones. This is their way to win public support. PM Modi connects with the common people whole-heartedly; he takes their sufferings seriously; he cares for all and finally deals with their problems. The radicals are intolerant of him only because they cannot put up with the country’s well-being. Read this book and see his sincere efforts to better the lives of people:

Sunday 23 January 2022

Prakram Diwas : The Anniversary of the Birth of Netaji Subhash Chandra Bose

 


The beloved son of Mother India, the leader of the leaders, the brave freedom fighter and the true plant of Indian soil did not get what he deserved the most because a few who loved power and position more than the nation did their worst to keep the son away from his mother. Come on brothers, let us celebrate today the 125th Anniversary of the birth of our patriotic father, Netaji Subhash Chandra Bose and pay tribute to him! We, the people of India, also appreciate Prime Minister, Sri Narendra Modi, who declassified the documents related to Netaji on 23 January 2016 and declared the day of his birth as Prakram Diwas last year. He announced that a grand statue of iconic father will be installed as a symbol of India’s indebtedness to him inside the same canopy at India Gate in which the statue of King George was installed in 1938 and removed in 1968. A hologram of Neta Ji has been projected at the site of the statue and the Prime Minister has unveiled it today at 6.00 pm.

Saturday 15 January 2022

क्या था अब क्या है



बचपन में जो याद किया

है याद अभी

याद रहेगा किसी समय भी ।

याद किया जो तदुपरांत

भूल गया अगले दिन ही ।

युवा हुआ दायित्व कठिन भी

लगे मनोहर गीतों से,

मस्त हुआ उपवन वैभव में

तरुणाई संगीतों में ।

शिशिर दोपहरी धूप सुनहरी

धारित धरा किशोरी सी

पता नहीं नयनों को था

यह कल होगी वार्फ़ीली सी ।

अब क्या अब तो स्मृति में

बस केवल क्या था अब क्या है ।

ये नेत्र देख सकते जब तक

यह दुनिया केवल तब तक है ।

घोर अंधेरे मंडल में

भूमंडल राकेट छूटेगा,

दूर बिंदु सा दिखते-दिखते

सदा-सदा वह डूबेगा !


Wednesday 12 January 2022

स्वामी विवेकानंद

 




स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी सन् 1863 को कलकत्ता में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनका औपचारिक नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे। उनकी माता भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों की महिला थीं। उनका अधिकांश समय भगवान शिव की पूजा-अर्चना में व्यतीत होता था।

सन् 1871 में, आठ साल की उम्र में, नरेन्द्रनाथ ने ईश्वर चंद्र विद्यासागर के मेट्रोपोलिटन संस्थान में दाखिला लिया जहाँ वे स्कूल गए। वह एकमात्र छात्र थे जिन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज प्रवेश परीक्षा में प्रथम डिवीजन अंक प्राप्त किये। वे दर्शन, धर्म, इतिहास, सामाजिक विज्ञान, कला और साहित्य सहित विषयों के एक उत्साही पाठक थे। इनकी वेद, उपनिषद, भगवद् गीता, रामायण, महाभारत और पुराणों के अतिरिक्त अनेक हिन्दू शास्त्रों में गहन रुचि थी। नरेंद्र ने पश्चिमी तर्क, पश्चिमी दर्शन और यूरोपीय इतिहास का अध्ययन जनरल असेंबली इंस्टीट्यूशन में किया। 1881 में इन्होंने ललित कला की परीक्षा उत्तीर्ण की, और 1884 में कला स्नातक की डिग्री पूरी कर ली। उन्होंने स्पेंसर की किताब एजुकेशन (1860) का बंगाली में अनुवाद किया।

स्वामी विवेकानंद अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए ब्रह्म समाज सहित कई साधु संतों के पास गए । अंततः वे रामकृष्ण परमहंस की शरण में आये । उनके रहस्यमयी व्यक्तित्व से वे प्रभावित हुए जिससे उनका जीवन बदल गया । 1880 में उन्होंने स्वामी जी को अपना गुरु बनाया, सन्यास लिया और उनका नाम विवेकानंद हो गया । गुरु की कृपा से उन्हें एटीएम-साक्षात्कार हुआ । 1866 में गुरुदेव के स्वर्गवास के पश्चात् 25 वर्ष की उम्र में उन्होंने गेरुआ वस्त्र धारण कर लिया और अध्यात्म और संस्कृति के प्रसार हेतु पैदल ही भारत का भ्रमण किया ।

तीस वर्ष की आयु में स्वामी विवेकानन्द ने शिकागो, अमेरिका के विश्व धर्म सम्मेलन में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया और उसे सार्वभौमिक पहचान दिलवायी। उन्होंने वहां कहा मैं एक ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गर्व का अनुभव करता हूँ जो सब धर्मों के प्रति केवल सहिष्णु ही वरन समस्त धर्मों को सच्चा मान कर स्वीकार करता हैं। मुझे ऐसे देश का व्यक्ति होने का अभिमान है जिसने इस पृथ्वी के समस्त धर्मों और देशों के उत्पीड़ितों और शरणार्थियों को आश्रय दिया है। वे केवल सन्त ही नहीं, एक महान देशभक्त, वक्ता, विचारक, लेखक और मानव-प्रेमी भी थे। अमेरिका से लौटकर उन्होंने देशवासियों का आह्वान करते हुए कहा उठो, जागो, स्वयं जागकर औरों को जगाओ। अपने नर-जन्म को सफल करो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाये। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के भी एक प्रमुख प्रेरणा के स्रोत बने।

स्वामी विवेकानन्द मैकाले की उस समय प्रचलित अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था के विरोधी थे। वह ऐसी शिक्षा चाहते थे जिससे बालक का सर्वांगीण विकास हो सके। उनका मानना था बालक की शिक्षा का उद्देश्य उसको आत्मनिर्भर बनाकर अपने पैरों पर खड़ा करना है। जो शिक्षा जनसाधारण को जीवन संघर्ष के लिए तैयार नहीं करती, जो चरित्र निर्माण नहीं करती, जो समाज सेवा की भावना विकसित नहीं करती तथा जो शेर जैसा साहस पैदा नहीं कर सकती, ऐसी शिक्षा से क्या लाभ? वे सैद्धान्तिक शिक्षा के बजाय व्यावहारिक शिक्षा को उपयोगी मानते थे। भारत के गौरव को देश देशांतर में फैलाते हुए 4 जुलाई सन् 1902 को उन्होंने देह त्याग दिया ।

Monday 10 January 2022

हिन्दू को सामाजिक सुरक्षा सर्वोपरि, मुस्लिम को सामाजिक स्वतंत्रता

कुछ लोग कहते हैं बीजेपी की एक फौज चुनाव प्रचार करती है जिसका मुकाबला प्रियंका अकेले कर रही है, अखिलेश उनका सामना अकेले दम पर कर रहे हैं, मायावती जी तो मैदान में अभी उतरी ही नहीं हैं । कुछ कहते हैं चुनाव प्रचार में रोक से पहले बीजेपी अपना भरपूर चुनाव प्रचार कर चुकी है बाकी पार्टियाँ तो पीछे रह गयीं । यहाँ मैं एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि बीजेपी एक प्रजातांत्रिक पार्टी है जिसमें सभी को बोलने का अधिकार है, सब आगे आकर चुनाव प्रचार कर सकते है, जबकि अन्य पार्टियाँ प्राइवेट लिमिटेड पार्टियाँ हैं, हर एक में एक मालिक है, उसमें सभी को आगे आकर बोलने का अधिकार नहीं है । बीजेपी सनातन धर्म की तरह है जिसका परवर्तक कोई एक महर्षि नहीं है वहीं अन्य पार्टियाँ इस्लाम या ईसाई धर्म की तरह है जिसका जन्मदाता एक नबी, एक पैगंबर, एक मसीहा था ।

हिन्दू को सामाजिक सुरक्षा सर्वोपरि है वहीँ मुस्लिम को सामाजिक स्वतंत्रता सर्वोपरि है । देखिये क्यों ?हिन्दू कहते हैं क़ि पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी तुष्टिकरण के चक्कर में सामाजिक असुरक्षा न करें तो बाकी सब ठीक है । मुसलिम कहते हैं क़ि बीजेपी यदि हिन्दू-मुस्लिम न करे तो बाकी सब ठीक है जबकि सपा की सरकार में हिन्दू असुरक्षित होता है किन्तु बीजेपी की सरकार में मुस्लिम असुरक्षित नहीं होता है । सपा और बीजेपी में एक और फर्क है । सपा एक विशेष जाति व् संप्रदाय को लाभ पहुँचाती है जबकि बीजेपी लाभ का वितरण सबमें सामान रूप से करती है । बीजेपी मुस्लिम समुदाय को सामान लाभ व् सुरक्षा देती है बस केवल उन्हें अव्यवस्था के लिए स्वतंत्र नहीं करती ।

परशुराम

जाके प्रिय न राम वैदेही सो नर तजिय कोटि बैरी सम यद्यपि परम सनेही । महाराज तुलसीदास जी

ब्राह्मण एक ऐसा वर्ग है जिसे सीता-राम से स्वाभाविक श्रद्धा है । अतः जो उसके प्रिय आराध्य का सेवक है वह उससे अलग नहीं हो सकता । वे लोग जो कल ब्राह्मणों के विरुद्ध समाज में इतना विष घोल चुके थे क़ि ब्राह्मणों को यह लगने लग गया था क़ि मानों भारत भूमि अब उनका देश ही नहीं है । वे लोग अब परशुराम सम्मलेन कर रहे हैं । ये वही लोग हैं जो कल भगवान राम का अपमान कर रहे थे आज वे परशुराम जयन्ती मना रहे है । परशुराम का भी नाम राम ही है क्योंकि परशु माने फरसा जो राम शब्द का पूरक नहीं है बल्कि उसका विशेषण है अर्थात वे राम जिनके हाथ में मुख्य रूप से धनुष नहीं अपितु फरसा है । राम फरसा लेकर एक ऋषि के यहाँ अवतरित हुए और क्षत्रीय के एक आततायी हयहय वश का विनाश किया । वही राम धनुष लेकर एक क्षत्रीय के यहाँ अवतरित हुए और ब्राह्मण के एक विशेष आतताई वंश का विनाश किया । जब जब होय धरम कै हानी, बाढ़ें असुर महा अभिमानी । तब तब प्रभु धार मनुज सरीरा, हरैं लोक भाव संभव पीरा ।

“मैं भी हिन्दू हूँ, मैं भी राम कृष्ण की पूजा करता हूँ किन्तु घर में । बस केवल टोपी सड़क पर पहनता हूँ, मैं सेकुलर हूँ ।“ दम हो तो बोलो मथुरा में सम्पूर्ण जन्म स्थान पर गोपाल मंदिर बनाऊंगा । दम हो तो राम, कृष्ण के भी मंदिर बनवाओ परशुराम के ही क्यों । तुम्हें भगवान से कोई लेना-देना नहीं है - तुम्हें तो जातिवाद के विष बोना है क्योंकि तुम सेकुलर हो । मैं सभी पार्टियों से कहता हूँ कि परशुराम, राम व् कृष्ण नारायण के विभिन्न अवतार हैं - ये महापुरुष नहीं हैं । इनके मंदिर होने चाहिए, प्रतिमा इनका अपमान है ।

My Someone

 


Someone I can laugh and silly with is someone I love, and the someone I love, I am sure, will never put me in a situation where I feel I must sacrifice my self-worth to be with my someone.

I wanted to take a halt.
Just then a hope glimmered from within
Like red rays of the sun, straightening through the gaps of thin white clouds, Encouraging me to live for more days.
I look someone far away – far, far away, beyond my reach – giving me a smile.
What is this smile for?
Will it do something to me?
I do not know the answer.
But I am sure it will spark off each cell of mine
With a wild love and fill my heart with life and beauty.

The later part of the ode:
Yonder looks a lake of sweet water.
Its waves leap like a heart stimulated by a deep love.
I looked and lo! They sing a note of forbidden friendship.
Ah, my throat is scorching; my mouth dry;
My steps are effortful to run like; in a dreadful dream,
They try to escape from the approaching death.
Perhaps I am chasing a mirage.
May be, I am.
It is still something of divine.
I am in wait but I clearly do not know what for.
#RameshTiwari