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पूज्य स्वामी अतुल कृष्ण भारद्वाज महाराज जी के मुखारविंद से श्रीमद भागवत कथा - प्रस्तुति रमेश तिवारी

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श्री सूत जी महाराज से सनकादिक ऋषियों ने पूछा कि वेदों और उपनिषदों की कथा क्यों नहीं होती | श्री सूत जी महाराज ने उन्हें उत्तर दिया कि बेद और उपनिषद् सनातन धर्म नामक वृक्ष की जड़ें हैं और श्रीमद् भागवत उस वृक्ष का फल है | अब चूँकि खाने के लिए वृक्ष का फल होता है इसलिए कथा श्रीमद् भागवत की होती है वेदों और उपनिषदों की नहीं | फिर जिस फल को तोते ने जूठा किया हो उसकी मिठास का क्या कहना | ध्यान रहे श्रीमद् भागवत की कथा को महाराज सुकदेव जी ने राजा परीक्षित को अपने मुखार्विन्द से सुनाया था | लोग कहते हैं भगवान तो सवत्र हैं इसलिए मंदिर और तीर्थों को जाने से क्या लाभ ? हवा तो सभी जगह है फिर लोगों को पंखे चलाने की क्यो आवश्कता पड़ती है | जहाँ भगवत कथा हो रही हो वहाँ परमात्मा के सानिध्य का आनंद ही कुछ और होता है | श्रीमद् भागवत की कथा प्रारंभ में तीन अलग-अलग क्षेत्रों में हुईं | महाराज सुकदेव जी ने कथा को राजा परीक्षित को सुनाया | दोनो ही भगवान के परम भक्त थे इसलिए यह कथा भक्ति के क्षेत्र में हुई | इसी कथा को महाराज सूत जी ने सनकादिक ऋषियों को सुनाया | ये सभी परम ज्ञानी थे इसलिए यह कथा ज