धार्मिक पर्यटन
भारत भूमि वैदिक , सनातन , बौद्ध , जैन और सिख संस्कृति की जननी है। कालांतर में कुछ अन्य धर्मों के भी तीर्थ बढ़े । अतः यहाँ बहुत से तीर्थ स्थल हैं और लोगों की उनमें गहरी आस्था है। यहाँ प्राचीन काल से ही तीर्थ यात्राओं की परम्परा रही है। देश के हर दिशा में कोई न कोई महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान हैं जिनके दर्शन हेतु देश भर के लोग वर्षभर यात्रा करते हैं और इस दौरान अलग-अलग सामाजिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों के साथ परस्पर सपंर्क में आने से एक दूसरे के जीवन शैलियों , भाषाओं और प्रथाओं का आदान-प्रदान होता है , जिसकी वजह से लोगों में राष्ट्रीय या क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा मिलता है और तीर्थस्थलों के आसपास बाजार बन जाते हैं । तीर्थयात्राओं में देश की विविधता के मध्य जनमानस की मूलभूत एकता की भावना प्रवाहित होती रही है। तीर्थयात्रा से संगीत , वास्तुकला , मूर्तिकला और चित्रकला को प्रोत्साहन मिलता है और उनका हस्तांतरण भी होता है। शिक्षा , सूचना और सांस्कृतिक चेतना का स्रोत है तीर्थयात्रा । निर्यात से विदेशी मुद्रा आती है और आयात से वह खर्च होती है । इसी तरह पर्यटकों के आने से मुद्रा आती है । अतः पर्यटन...