भारत का बेटा
सीमाओं
पर जान कुर्बान कर देता है
खेतों
में रक्त से पानी सूखा देता है
प्रयोगशाला
में जिंदगी भुला देता है
भारत का
बेटा
खैरात की
आश में आसमान देखता है
काम से
बचने की हर तरकीब सोचता है
खुद
लुटता है औरों को भी लुटा देता है
भारत का
बेटा
बंदे
मातरम कहता है
रेत में
रोजगार खोजता है
खुशहाली
की ख्वाहिश में
इनसे
मिलता है उनसे मिलता है
औषधि
तीखा क्यों न हो
पर उपचार
चाहता है
भारत का
बेटा
निजी
स्वार्थ में दीवारें गिरवी रख देता
झूठे
सपनों से पेट देश का भर देता
मीठे
दानों के जहर देश में बो देता
भारत का
नेता
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