राजनीति का जितना प्रभाव समाज पर पड़ता है उतना अन्य किसी चीज का नहीं

किसी के गोत्र का अर्थ होता है कि उसका आदि पूर्वज कौन था | कश्यप, उपमन्यु, भारद्वाज आदि महाऋषि हमारे पूर्वज थे और हर एक महाऋषियों की सन्तति लगभग हर जाति में मिल जायेगी | उदाहरण के तौर पर कश्यप गोत्र के लोग ब्राह्मण में होते हैं, वैश्यों में होते हैं, क्षत्रिय इत्यादि सब में होते हैं क्योंकि हर्षवर्धन काल तक जातियों का आधार पेसा या सामाजिक व्यापार हुआ करता था न कि पारिवारिक वंशावली | जब मुग़लों का शासन हुआ तब तुरंत धर्म परिवर्तन उनके वश में नहीं था इसलिये यहाँ के मूल निवासियों पर नियंत्रण पाने के लिये उन्होने प्रत्येक जातियों के मध्य भेद पैदा किये और तभी से जातियाँ परिवारों में संकुचित होना प्रारंभ हो गयीं | बाद में अंग्रेज़ों ने इस काम को इतने गंभीर रूप से किया कि विभिन्न जातियाँ एक दूसरे से इतना घृणा करने लग गयीं जितना साम्प्रदायिकता में नहीं होता है | जब देश आज़ाद हो गया दुर्भाग्य से हमने खुद अंग्रेज़ों की नीति का त्याग नहीं किया और बांटो और राज करो हमारी खुद की राजनीति की पृष्ठभूमि बन गयी | ध्यान रहे लोग मतभेद का कारण धर्म और समाज को मानते हैं और तनिक यह नहीं सोचते कि राजनीति मतभेद की श्वांस है क्योंकि राजनीति का जितना प्रभाव समाज पर पड़ता है उतना अन्य किसी चीज का नहीं | श्री मुलायम सिंह, सुश्री मायावती, श्री लालू प्रसाद आदि ने तो समाज को तोड़ने की हद कर दी इन सबके बाद केजरीवाल नामक एक और पौधा उगा है जो गोत्र का अर्थ अग्रवाल समाज से लगाता है | चालाक है नॅ | अग्रवाल समाज धनी समाज है, ऐसा कहकर वह उनकी सहानुभूति जुटा सकता है और बदले में उनसे चंदे के नाम पर काफी धन पा सकता है | ये सब जातीय राजनीति कितने दिन करेंगे ? अपने आने वाली संतानों के लिये ग़ुलामी छोड़ जायेंगे यह निश्चित है | जब से श्री मोदी जी ने देश भर की राजनीति शुरु की है तब से जातीय मतभेत में उल्लेखनीय कमी आई है | वे भारत के जिम्मेदार राजनेता हैं और जो कुछ भी करते हैं वह भारतियता के लिये करते है अपने लिये कुछ नहीं यह सत्य है | केजरीवाल की राजनीति के हृदय में भ्रष्टाचार और स्वार्थपरता है | उनका पारिवारिक गोत्र किसी महाऋषि का है और राजनीतिक गोत्र कांग्रेस है | 3 February at 09:16

Comments

  1. जातिवाद वाद छोड़ो हिन्दू से हिन्दू को जोड़ो हम सब ऋषियो की सन्तान हैं श्रेष्ठ है आओ लोट चले वेदों की और

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    1. Apke is slogan ki samaaj ko is samay jaroorat hai |

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    2. Apke is slogan ki samaaj ko is samay jaroorat hai |

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