कुण्डलियां

राजनीति ने दे दिया, दनुज रूप को मात,
आतिबादी ख़ूँख़ार हैं, उनके घातक दाँत,
उनके घातक दाँत, विकट पंचे हैं खूनी,
निर्दोषन को खूब, क्रूर गोली बन भूनी,
भूखा उदर विशाल, चाह सत्ता कुर्सी की,
कपटी हृदय विषाण, जीभ घटिया करनी की ।।

कण-कण में संसार के, नेतागीरी व्याप्त,
घट-घट के भगवान को, नहीं ठिकाना आज,
नहीं ठिकाना आज, उन्हें डर इस गीरी का,
सत्ता पर अधिकार, हुआ नेतागीरी का,
नेता पर विश्वास, हटा अल्ला ईश्वर से,
उसका बहुमत आज, प्रभु भागे नर उर से ।।

अपने घर की घी दही, से नहीं किसी को प्रीति,
औरों की चटनी भली, भारत की यह रीति,
भारत की यह रीति, मधुर हिन्दी है कड़ुवी,
अँग्रेज़ों के भार, तरे भारत की उरवी,
पर भाषा को सीख, वितावें पूर्ण जिंदगी,
कर न सकें उपयोग, कहाँ से होय उन्नती ।।


-          रमेश चंद्र तिवारी 

Comments

Popular posts from this blog

100th episode of PM Modi’s Man-ki-Baat

आचार्य प्रवर महामंडलेश्वर युगपुरुष श्री स्वामी परमानन्द गिरी जी महाराज द्वारा प्रवचन - प्रस्तुति रमेश चन्द्र तिवारी

युगपुरुष स्वामी परमानन्द जी महाराज की अध्यक्षता में श्रीमद् भागवत