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Showing posts from 2017

The Power of Prayer

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The Criterion Published ‘The Power of Prayer'. To read this beautiful short story click on to this Link: http://www.the-criterion.com/V8/n5/Ramesh.pdf After reading it you will believe that there is God who answers our prayer and helps those who help other people.

प्रदूषण

गंगा और गऊ हमारे लिए परमात्मा के वरदान हैं | गंगा में स्नान करने व उसका जल पीने से कभी कोई रोग नहीं हो सकता और इसी के साथ यदि कोई गाय का दूध पीता है तो उससे अधिक कोई बलवान और बुद्धिमान नहीं हो सकता | हमारी माँ हमें अस्तित्व प्रदान करके अपने दूध से पोषित करती है और वही पोषण बाद में हमें गंगा और गऊ से प्राप्त होता है इसीलिए हमारे पूर्वजों ने हमें सिखाया गंगा और गौ भी हमारी माताएं हैं | कितने दुख की बात है कि आज हमने गंगा मैया को दूषित कर डाला है | कितने स्वार्थी हैं हम कि गऊ माता का दूध तो ले लेते हैं किंतु उसे पालने की ज़िम्मेदारी से बचते हुए उन्हें छुट्टा छोड़ देते हैं | कितने निष्कृष्ट हो गये हैं हम कि अपने बृद्ध मां बाप को बृद्धा आश्रम भेज देते हैं | भगवान ने दोनों देवता और राक्षस बनाया - राक्षस वे हैं जो अपनी माँ को खा जाते हैं , उसे दूषित करते हैं और देवता वे हैं जो उसका संरक्षण करते हुए उसकी सेवा करते हैं | आज सुबह ५.०० बजे जब मैं सड़क पर पहुचा तब हमारे मोहल्ले के ८-१० वरिष्ठ पुरुषों का समूह मिला | हम लोग प्रातभ्रमण के लिए एक साथ हुए | उनमें से एक ने कहा , " आज कोहरा ब...

युगपुरुष स्वामी परमानन्द जी महाराज के बहराइच में दो दिवसीय कार्यक्रमों पर एक रिपोर्ट

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गुरुवार, 2 नवंबर 2017 को दोपहर 3.00 बजे परम पूज्य सद्गुरुदेव स्वामी परमानंद जी महाराज का बहराइच पदार्पण हुआ | वे श्री शीतल प्रसाद अग्रवाल जी के घर पर यात्रा के पश्चात विश्राम कर रहे थे | मैं उनसे वहाँ मिला और आग्रह किया कि गुरुदेव बहराइच के लोगों के लिए आपका क्या संदेश है ? उत्तर में उन्होने कहा, "यह देश सबका है | इस देश की प्रतिष्ठा और इसका विकास सबको मिलना चाहिए वह भले ही किसी जाति, वर्ग या संप्रदाय का क्यों न हो |" मैने उनसे फिर प्रश्न किया, “गुरुदेव इस बार आप केवल 24 घण्टों के लिए बहराइच आए हुए हैं ? उन्होने कहा, "इस बार मैं 'स्वामी परमानन्द शिक्षा निकेतन खमरिया शुक्ल' के वार्षिकोत्सव व वहाँ कंप्यूटर शिक्षा के शुभारम्भ हेतु आया हूँ | आज जिस युग का आरम्भ हो चुका है उसमें प्रत्येक व्यक्ति को डिजिटल ज्ञान आवश्यक हो गया है | प्रधान मंत्री मोदी जी ई-भुगतान के साथ-साथ लगभग सारे सार्वजनिक कार्य व सुविधाओं को डिजिटलाइज़ करने पर ज़ोर दे रहे है और ऐसा आवश्यक भी है क्योंकि देश के विकास के लिए बाकी विकसित देशों के साथ कदम से कदम मिला कर हमें चलना ही होगा | हमारे ग्र...

हे भोले !

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हे भोले ! आप संपूर्ण जगत के जीव हो, जड़ हो आप सबके जन्म हो, जीवन हो, और मृत्यु हो | हे महादेव ! आप समुद्र के अपार जल व उसके हिमगिरि हो आप उसकी लहरें हो और तूफान भी हो | हे त्रिपुरारी ! आप पर्वत शृंखला की विशालता हो आप वायु हो, अग्नि हो, और वनस्पति हो | हे महाकाल ! आप सूर्य, चंद्रमा, ग्रह, नक्षत्र, आकाश गंगा हो सबकी गति हो, उनके प्रकाश हो | हे देवादिदेव ! आप ब्रह्मांडो के ब्रह्माण्ड, अनंत हो आप सम्पूर्ण क्रिया हो, द्रव्य और उर्जा हो | हे आशुतोष ! आप शून्य हो, आप ही संपूर्ण चेतना व अस्तित्व हो संपूर्ण इकाइयाँ भोक्ता किन्तु भर्ता आप हो | हे अवढर दानी ! आपके लिए कुछ असंभव नहीं, मेरे लिए कुछ संभव नहीं - मेरा जीवन प्रकाशित और प्रसन्न कर दो | - रमेश तिवारी

Govind’s Flute

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Shyam, your flute calls Radha, Radha, And to the haunting beautiful melody The whole Brij chants Radha Radha. Whether it is the banks of the Yamuna Or the tree under which you play it, All echo with the entrancing notes. People are beguiled by the exotic sound. Now they do not know who they are. Intoxicated are birds, flowers and plants - They do nothing but look towards you. Who is that who is not a slave to it? Govind’s flute fills our lives with delight If only we could listen to what it sings. Shyam, loves all who recite Radha, Radha, The name of all that exists!!! Shyam, your flute calls Radha, Radha.

भारतीय जीवन बीमा निगम, बहराइच में हिन्दी दिवस

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भारतीय जीवन बीमा निगम परंपरागत रूप से १४ सितंबर से प्रारंभ एक पखवाड़े तक हिन्दी भाषा पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करती है | बहराइच शाखा ने अब तक उन कार्यक्रमों को क्रमबद्ध ढंग से करते हुए आज हिन्दी भाषा पर आधारित माननीय मुख्य प्रबंधक , श्री टी. आर. मिश्र , की अध्यक्षता में एक गोष्ठी का आयोजन किया | जिसमें मुख्य अतिथि किसान डिग्री कालेज के हिन्दी के विभागाध्यक्ष डाक्टर नीरज कुमार पांडेय ने विस्तार पूर्वक हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य पर व्याख्यान दिया | उन्होने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि “ हिन्दी की लिपि देवनागरी अत्यंत ही वैज्ञानिक है । यह विश्व भर में नब्बे करोड़ लोगों के द्वारा बोली जाती हैं । संस्कृत से नवीन शब्द रचना और शव्द संपदा हिन्दी को विरासत में प्राप्त है । अन्य भाषाओं के शब्दो सहित देशी बोलियों के अपार शब्द संग्रह उसे संप्रेषण की उच्चतम क्षमता प्रदान करते हैं । भारत को स्वतंत्र कराने में हिन्दी का महत्वपूर्ण योगदान था और आज भी वह देश में राष्ट्र प्रेम की भावना को प्रवाहित कर रही है । १४ सितम्बर सन् १९४९ को हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया थ...

BHU

If the university administration cannot provide a safe evening for girl students, it has no right to use police force against the girl protesters at BHU. However, liberty and security cannot go hand in hand in the case of girls. Often girls do not show self-restraint. It is not because they do not want to show but because they are helpless against their natural instinct. So girls are as bad as boys – they attract problems. Practically speaking, the administration did no wrong to impose ban on their evening strolls. BHU is BHU – it should not go like JNU where the campus stinks of perversity.   

माँ दुर्गा

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माँ के आँचल में ही हम माँ को खोजा करते हैं, माँ के दर्शन उनको होते माँ प्रेमी जो होते हैं । सागर तेरे चरण धुलें माँ चँवर डुलावे पुरवाई, दिशा दिशाएं कीरति गावें वन बागों की शहनाई । धरती पर सब तेरे बच्चे उछल-कूद माँ करते हैं, माँ के दर्शन उनको होते माँ प्रेमी जो होते हैं । सारा नभ दरबार सज़ा माँ सूर्य चंद्र से आलोकित, निशा दिवस पहरे देते हैं तारों से मण्डप शोभित । मेघों के संगीत सुहाने मन मोहित कर लेते हैं, माँ के दर्शन उनको होते माँ भक्ति जो करते हैं । माँ के आँचल में रहकर हम माँ को खोजा करते हैं, माँ के दर्शन उनको होते माँ प्रेमी जो होते हैं । रमेश तिवारी

महादेवी और महादेव

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इस संपूर्ण ब्रह्माण्ड में दो चीज़ें हैं: ऊर्जा (energy) और द्रव्य (matter) | हमारे सनातन प्राचीन चिंतकों ने मां दुर्गा को ऊर्जा के प्रतीक रूप में प्रस्तुत किया है तथा मां लक्ष्मी को द्रव्य के | अब देखिए इन्हीं दोनो से इस ब्रह्माण्ड में सारी चीज़ें पैदा हुई हैं | ऊर्जा स्वयं से कुछ नहीं करती जब तक उस पर नियंत्रण रख कर एक विशेष उद्देश्य से प्रयोग न किया जाय और यह कार्य ब्रह्माण्ड में उपस्थित एक महचेतना करती है जिसे सदाशिव के रूप में प्रस्तुत किया गया है | द्रव्य को हम आप मुद्रा भी समझते हैं जबकि हमारी आवश्यकताओं को जो भी चीज़ पूरी करती है वास्तव में वही द्रव्य है | इसीलिए ब्रह्माण्ड में स्थित संपूर्ण द्रव्य (पदार्थ) को महालक्ष्मी कहा गया है और जिस महाचेतना के द्वारा वह नियंत्रित होकर प्रत्येक इकाई को उसकी आवश्यकतानुसार प्राप्त होती है उसे नारायण कहा गया है | इस प्रकार आज संसार, नभ, नक्षत्र, तारे सबकी जननी की आराधना का पवित्र दिन हैं - चलो मां का आशीर्वाद और उसका प्रेम प्राप्त करें | सबको नवरात्रि की शुभकामनाएँ !

Myself

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Ramesh Chandra Tiwari is presently working for Life Insurance Corporation of India. He was promoted to Assistant Administrative Officer in 2009 but he downshifted the same year because of his passion for creative writing. He graduated in Hindi, English and Economics from Avadh University, Faizabad in 1984 but he completed a master’s degree in English Literature after twenty years from the same university in 2004. His return to education after a long gap awakened a new love for learning in him. He studied English grammar and then got into the habit of reading different literature books, which later inspired him to write prose, poetry and fiction. He has written 18 short stories, 25 short shorts, 5 nonfictions and a number of poems, in the years since. The Teacher of Kabir’, one of his essays appeared in ‘Reading Hour’ Bangalore and two of them, ‘On Being Distinguished and ‘A No-Party Democracy’ in The Galaxy. His poems ‘The Human Population’ and ‘Florian’ is published in the Criter...

Honoured as an English Writer

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Today Kisan Degree college, Bahraich hosted a poetry reading under the banner of ‘The KDC Alumni Association and Hindi Department’. In his inaugural Address, the president of the college, Shri Jata Shanker Singh, expressed his gratitude to the poets and the audience and encouraged the participants. The principal, Mr S. P. Singh honoured a few well-known poets of the district like Shri Radha Krishna Pathik, DR Ashok Gulshan, Shri Atul Awasthi Atul and Dr Radhey Shyam Pandey. The event was very enlightening and entertaining. Dr Vivek Dixit anchored the meet and Dr Neeraj Kumar Pandey, the head of the department of Hindi, preceded his speech with a vote of thanks to the conference. I am extremely grateful to the Association’s Secretary, Dr Vivek Dixit for inviting me to the grand poetry reading event hosted by KDC Alumni Association and Hindi Department. And at the same time I am deeply grateful to Dr Shiv Prasad Singh for honouring me as an English writer of the district. I used to be...

Kajari Teej

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The best devotee of God is he who forgets himself to remember Him. If you have a little notion about your own existence left in your mind, you can by no means know who the Creator is. He is the maker, the destroyer is He; He is both energy and sense; He is corporeal and also abstract; he is movement and stillness is He; He is all and all is He. Mahadev is Mahakal, the great sense of the universe and Mahadevi, the great energy that makes the universe work. Today is Kajari Teej when Mahadev and Madevi were married. It is a very pious day – let’s celebrate the marriage anniversary of the Father and the Mother of this Being that has no beginning, nor any end.

सरकार तो बदली

यहाँ सरकार तो बदली, मगर सिस्टम नहीं बदला कमीशन वो भी खाते थे, कमीशन ये भी खाते हैं | हैं बदले खेल के पाले, मगर टीमें नहीं बदलीं तब म के लोग पागल थे, अब ह के लोग पागल हैं | कभी भी काम करने से, यहाँ सत्ता नहीं मिलती बनाते वो भी पागल थे, बनाते ये भी पागल हैं | मरी जनता हमेशा थी, कहर जनता पे अब भी है वो तब भी मौज करते थे, वो अब भी मौज करते हैं | कुछ ने क़ानून को कुचला, कुछ ने क़ानून से खेला वही सब लोग तब भी थे, वही सब लोग अब भी हैं | ये हिन्दुस्तान की धरती, घने बादल निरखती है लूट ले घर कोई चाहे, ये टुकड़ों पे ही बिकती है | किसी के पास चन्दा है, कहीं वोटों की गंगा है वेचारी बीच की जनता, न मरती है न जीती है | कमाती है युवा जनता, उड़ाती खूब जनता है उन्हें पप्पू की चिंता है, इन्हें टीपू की चिंता है |                                                        रमेश तिवारी

गुरु पूर्णिमा

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Gududev Shankara was born about 788 C.E. and at rest at the young age of 32. In this short life span, what he did is impossible for the people of many generations. He travelled the whole country to revive Sanatana, establishing four Peethas on the four edges of it: Sringeri in the South, Jagannath in the East, Dwarika in the West and Badrikashram in the north. He believed in Vedant philosophy and Strict Monism was his doctorine as he argued that it is true we, through our senses, experience the continuous process of Brahma’s creation of phenomenal universes with worlds and planets in which both sentient and insentient originate, grow and end up, but this form of Brahman is illusory. Brahman, the impersonal God or the universal soul is without attributes, characteristics or shape and form. There is nothing that is not identical to something else. In fact, our minds are customised to a particular setting which enables us to see indistinguishable Brahman having different things and by ...

मेरे कृष्ण कन्हैया

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तुम जितना रूठो मुझसे तुम जितना भागो मुझसे जी चाहे जितना मुझे सताओ मैं तेरा हूँ तुम मेरे हो निकल सको तो निकलो हिय से ये मेरे कृष्ण कन्हैया ये जीवन नाव खेवइया मैं तुझमें इस तरह घुल चुका जैसे मिश्री जल में छोड़ सको तो छोड़ो दुर्बल बहियाँ जीवन इंजन तो चलता है पर पहिया वहीं घूमता है हे मनभावन प्यारे कान्हा हाथ लगा दो मुझे बढ़ा दो दलदल में यह दुखी खड़ा है मैं पुकारता तुझे रहूँगा हाथ जोड़कर खड़ा रहूँगा मुरली तेरी नहीं बजेगी कब तक कब तक छिपे रहोगे निश-दिन राधे रटा करूँगा                                  - रमेश तिवारी

तनहा जीना तनहा मरना है

दुख अपने तो सुख सपने हैं तनहा जीना है तनहा मरना है झूठे हैं संबंध जगत के उनको अपना करना है तुमको अपना करना है नौका एक पतवार एक है जब तक चलती है उसको चलना है तनहा जीना है तनहा मरना है आधार एक अवलम्ब एक है ईश्वर के हाथों पर सबको जीवन क्रीड़ा करना है जब तक डूब न जाएँ तब तक निष्ठुर लहरों पर ऊपर उठना है नीचे गिरना है तनहा जीना है तनहा मरना है

Pain

Pain deadens a pain When the bearable limit It exceeds, It feels pleasant. O my Lord, This is too much! Now let me enjoy it – Relieve me not of The sorrow I’m in, For I cannot bear The thought of Facing a fresh one.                               -Ramesh Tiwari

Love and Hate

They are Sure of their deaths approaching them, Killing each other, Dead while alive, Acquainted with blood, bullet and blast Because they have been taught How to hate everything else. Hey! We are busy Loving and living Yearning and singing Kissing and missing. We enjoy God smiling at us While we are lost in our loves and life.                                             - Ramesh Tiwari

मानव मर चुका है

मानव मानव नहीं वह तो भयानक दानव है ! वह चिड़िया खा जाता है , जानवर खा जाता है , गाय बैल खा जाता है , चींटी , साँप , छिपकली खा जाता है | उससे जलचर , थलचर , नभचर सब प्राण बचाकर भागते है क्योंकि वह सब खा जाता है | और तो और मानव मानव को हजम कर जाता है , वह अपने ही भाई - बंधुओं की थाली उठाकर भाग जाता है , वह माँ , बहनों की इज़्ज़त से खेलता है , मक्कारी के फन्दे फेकता है ,   अच्छा बुरा कुछ नहीं देखता , बस अपनी ही रोटियाँ सेकता है | उसके लिए न ईश्वर है न अल्लाह है – वह तो उन्हें शरेआम बेचता है | उसके हृदय में मोहब्बत सूख चुका है , घृणा , स्वार्थ के शोलों से दिल धधक रहा है , वह प्रेत है , प्रेतात्मा है मानव मर चुका है |

Impossible Customer

Galaxy: An International Multidisciplinary Research Journal has published my short story “Impossible Customer” today. The story tells of how bank and insurance staff show tact and patience with difficult customers and also aims to dispel the notion that an employee often discriminates against some of his visitors. बीमा और बैंक के कार्यालयों में अक्सर कुछ ऐसे ग्राहक आते हैं जिन्हें संतुष्ट कर पाना एक चुनौती होती है | मेरी इस कहानी को पढ़िए और देखिए बैंक, बीमा के कर्मचारी किस तरह दुरूह ग्राहकों को प्रसन्न रखते हैं |To enjoy a very appealing read, click on to the link : http://www.galaxyimrj.com/V6/n2/Ramesh.pdf

Chief Minister Uttar Pradesh

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मैं रमेश चन्द्र तिवारी श्री योगी आदित्य नाथ जी को उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री चुने जाने पर उन्हें बधाइयाँ प्रेषित करता हूँ | श्री केशव प्रसाद मौर्य तथा श्री दिनेश शर्मा जी को उप मुख्य मंत्री के लिए शुभ कामनाएँ देता हूँ | ईश्वर से प्रार्थना है कि इन तीनों महानुभाओं के नियंत्रण में प्रदेश विकास करेगा, लोगों को न्याय मिलेगा, सुख शांति और समृद्धि होगी ! Congratulations to our worthy leaders on their taking oath of allegiance to the state today! We have high expectations of you and are sure you will live up to them.

Holiiiiii.....haiiiiii !!!

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Hirannyakashyapu was butchered during his attempt to kill Bhakt Prahlad, his own son. But before that Holika, who could burn the entire world with her evil magic, had been guzzled like fuel while trying to burn the baby Bhakt. This occasion was celebrated by the people who restored Faith by being inspired by Prahlad, their young leader. They strewed flowers, sprayed fragrance, danced, sang devotional songs, and then hugged each other by being excited with their first victory over a long-term tyranny. Dear brothers and sisters come on – let’s enjoy this Holi as we have now elected a good government after being oppressed by the two reckless ruling parties for a long time. Happy, Happy Holiiiiii.....haiiiiii !!! Holi brings us love, harmony and lively celebration of the emergence of liberty, order and prosperity. May your life be a rainbow with different colours of achievements one after the other! May happiness keep dancing on the floor of your heart to the music of your accompli...

The Justice of the Supreme Being

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‘The Justice of the Supreme Being’ has now appeared in the Criterion. Read it and see how politicians, the police, the court and musclemen treat the common people and how heavenly justice comes into play when worldly justice turns a blind eye. This story aims to cover three aspects of social life: first, it describes how people clash sometimes on account of their wrong judgments and suffer a terrible loss for nothing; second, it portrays the corruption among those who are responsible to maintain law and order; third, it represents favouritism giving rise to public reaction. Click onto the link below: The Justice of the Supreme Being http://www.the-criterion.com/V8/n1/Ramesh.pdf

Acceptance Letter

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Dear Friends, I am happy to tell you that another of my stories has been accepted for publication in The Criterion Vol. 8, Issue. I (February 2017) and you are going to enjoy this engaging read on 5th March 2017. The Criterion: An International Journal in English Acceptance Letter To, Ramesh Chandra Tiwari We would like to thank you for considering  The Criterion  as well as for submitting your work for publication into our Journal. Congratulations! As a result of the reviews and revisions, we are pleased to inform you that your fiction entitled  The Justice of the Supreme Being  is well appreciated by reviewers in the peer review procedure and is accepted for publication in Vol. 8, Issue. I (February 2017). Your fiction will be published on 5 th  March 2017. Looking forward to our continuous and successful collaboration, With kindest regards, Editor-In-Chief Dr. Vishwanath Bite

Vote for India

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Vote for India, vote for India! Beckons booth, booth ye to vote for India! Hills, your plains, your seas, your names, All call ye upon, all call ye upon Now to vote for India, vote for India! Beckons booth, booth ye to vote for India! Right, your choice, your head, chest wide All call ye upon, all call ye upon Now to vote for India, vote for India! Beckons booth, booth ye to vote for India! ‘Save your land, wake, brace your hands Go out to vote,’ cries out your India! Vote for India, vote for India! Beckons booth, booth ye to vote for India!                                                               - Ramesh Tiwari  

राजनीतिक पार्टियाँ

प्राचीन समय में लोग अपने अपने कबूतरों को रंग कर रखते थे | आज राजनीतिक पार्टियाँ अपने अपने समर्थकों को धर्मनिरपेक्षता, सांप्रदायिकता, जातीयता आदि रंगों से लगातार रंगती रहती है ताकि वे किसी दूसरे के आँगन में न उतर जाएँ | किसी ने कहा कि राजनीतिक पार्टियाँ एक दूसरे के खिलाफ ऐसा आग उगलती हैं कि मानों वे उनके जन्म-जन्मान्तर के दुश्मन हों | मैने कहा कोई एक दूसरे का दुश्मन नहीं है - आपको ऐसा लगता है | सच कहिए, ये सभी जनता के दुश्मन हैं, या उसकी कमज़ोरी का लाभ उठाने वाले लोग हैं | सारी राजनीतिक पार्टियाँ संयुक्त रूप में एक ड्रामा कम्पनी हैं | इसमें हर एक के रोल आपस में पूर्व निर्धारित हैं | कोई धर्म निरपेक्षता का किरदार निभा रहा है तो कोई हिंदूवादी या मुस्लिमवादी का | कोई इस जाति के मसीहा का डायलाग याद किए है तो कोई उस जाति के | कोई आम आदमी के मेकअप में खास आदमी के खिलाफ मंच तोड़ रहा है तो कोई सान्ता के लिबास में घर-घर उपहार बाटने की अदाकारी कर रहा है | इसमें कुछ ऐसे कुशल अदाकार भी हैं जो समय-समय पर हर तरह के पात्रों की भूमिका निभाते रहते हैं | जो भी हो, इस कंपनी का अंतिम उद्देश्य दर्शकों को ...

A Quest for God

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The Criterion Published ‘A Quest for God’, one of the best stories written by me. The story contains a dialogue among the people who hold differing views on religion and God. There is a priest who makes strong arguments in favour of religion while an atheist sitting opposite him in a running train has a disagreement with him and puts forward cogent reasons why religion is not a solution but a major social problem. Their conversation slowly turns to God which causes two boys from different religion to bicker over it. An author, meanwhile, intervenes and tries to clear up the misconception they have by defining God and analysing the boon and the bane of religion. Just click on to the link and enjoy the wonderful Read : http://www.the-criterion.com/V7/n6/Ramesh.pdf