भारतीय जीवन बीमा निगम, बहराइच में हिन्दी दिवस

भारतीय जीवन बीमा निगम परंपरागत रूप से १४ सितंबर से प्रारंभ एक पखवाड़े तक हिन्दी भाषा पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करती है | बहराइच शाखा ने अब तक उन कार्यक्रमों को क्रमबद्ध ढंग से करते हुए आज हिन्दी भाषा पर आधारित माननीय मुख्य प्रबंधक, श्री टी. आर. मिश्र, की अध्यक्षता में एक गोष्ठी का आयोजन किया |

जिसमें मुख्य अतिथि किसान डिग्री कालेज के हिन्दी के विभागाध्यक्ष डाक्टर नीरज कुमार पांडेय ने विस्तार पूर्वक हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य पर व्याख्यान दिया | उन्होने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हिन्दी की लिपि देवनागरी अत्यंत ही वैज्ञानिक है । यह विश्व भर में नब्बे करोड़ लोगों के द्वारा बोली जाती हैं । संस्कृत से नवीन शब्द रचना और शव्द संपदा हिन्दी को विरासत में प्राप्त है । अन्य भाषाओं के शब्दो सहित देशी बोलियों के अपार शब्द संग्रह उसे संप्रेषण की उच्चतम क्षमता प्रदान करते हैं । भारत को स्वतंत्र कराने में हिन्दी का महत्वपूर्ण योगदान था और आज भी वह देश में राष्ट्र प्रेम की भावना को प्रवाहित कर रही है । १४ सितम्बर सन् १९४९ को हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया था जबकि वह राष्ट्र भाषा की अधिकारिणी है ।

इसके पश्चात मुख्य अतिथि डाक्टर अशोक गुलशन ने अपने मधुरिम काव्य व ग़ज़लों से सभा में उपस्थित अधिकारी और कर्मचारी समूह के मन को मुग्ध कर दिया:
"समय के साथ मिलकर काम करना बुद्धिमानी है,
हमेशा जिंदगी में एक से अवसर नहीं आते |
तुम्हारे प्यार के खत को लगा दी है नज़र किसने ,
बहुत दिन से कबूतर अब हमारे घर नहीं आते |"

कार्यक्रम का संचालन रमेश चन्द्र तिवारी ने किया और हिन्दी पर अपनी स्वरचित पंक्तियों को पढ़ते हुए कहा:
तुम्हें नकल ही करनी है तो हिन्दी साथ नहीं देगी,
जिसकी नकल करोगे केवल उसकी ही जै-जै होगी ।
अँग्रेज़ों के जूठन को अँग्रेज़ी जीभ चाट सकती !
यह अब भी इतनी सक्षम जो हिन्दुस्तान बाँट सकती ।

श्री बजरंग कुमार मिश्र, श्री रन्जुल गौतम तथा श्री सालोमन मनीष कुमार सिंह  ने सभा को संबोधित करते हुए अपनी कविताएँ भी पढ़ीं | अंत मे आदरणीय मुख्य प्रबंधक श्री टी. आर. मिश्र ने भारतीय जीवन बीमा निगम के व्यवसाय में हिन्दी के योगदान पर प्रकाश डाला साथ ही जनपद के विशिष्ट हस्ताक्षर हमारे दोनों मुख्य अतिथियों को गोष्ठी का गौरव बढ़ाने हेतु आभार व्यक्त किया | सर्वश्री योगेश त्रिपाठी, इंद्रनील, संतोष मिश्र, रेवाश्री अवस्थी, विनय कुमार सिंह, बुलन्द मोहम्मद इकरामा, कृष्ण सुवन शुक्ल, अरविंद कुमार सिंह राठौर, सत्य देव, आदि ने गोष्ठी में भाग लिया |   


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