जागो भारत वालों !

बर्तमान सरकार के पूर्ब देश में कानून व्यवस्था समाप्त हो चुकी थी, भ्रष्टाचार अपनी पराकाष्ठा पर था और सरकार के काम-काज में मजबूरन मानिय सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड रहा था | इससे उद्दवेलित होकर मैने इन पंक्तियों की रचना मार्च 2014 मे की थी | इसके माध्यम से मैने देशवासियों से गुजारिश की थी कि वे श्री नरेन्द्र मोदी पर भरोसा करें |
                                  
कंस कौरवों की सेना पहिचानों !
जागो भारत वालों, 
प्रजातंत्र में धुवां भर रहा, फटतीं देखो घर की भीतें
संभल सको तो अभी समय है, पहिंचानो पौराणिक रीतें
सधते मुहँ, भयभीत निगाहें, गुप्त हवाओं का रुख जानो
कंस कौरवों की सेना पहिचानों,
जागो भारत वालों !
भेंड़ बाड़ के दरवाजे पर भक्त भेंड़िय भेंड़खाल में
सुखी घास का खारा लादे, खा लो, सब बंट रहा मुफ्त में !
जनता को ठगने को आतुर मधुर बचन में विष को भांपो
कंस कौरवों की सेना पहिचानों,
जागो भारत वालों !
भ्रष्टाचार रंग में डूबी, खून, घृणा, हिंसा की होली
हुडदंगी उत्सव को देखो, देखो देश द्रोह से सजती डोली
खून खून से फटते रिस्ते जाति धर्म् से जुड़ते हैं, अन्जानों
कंस कौरवों की सेना पहिचानों,
जागो भारत वालों !
लेने वाला बातें करता देने की, देने वाला बातें करता लेने की
विद्या, देकरके ही लेना सीखो, सीखो स्वाभिमान से जीने की
कौन तुम्हारा हितकारी है, देश बचाना कौन चाहता जानो
कंस कौरवों की सेना पहिचानों,
जागो भारत वालों !
नयी चेतना नवनिर्माण नित प्रति बढे ज्ञान विज्ञान
किसको चिंता इन सबकी है, कहाँ हमारा है सम्मान
राष्ट्र प्रेम की ज्वाला किसमें, उस आतुर मन को अब जानो |
कंस कौरवों की सेना पहिचानों,
जागो भारत वालों !
जागो भारत वालों !

-       रमेश तिवारी

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