जीवन जिसमें आहें न हों

 

जीवन जिसमें आहें न हों,

जीवन जिसकी राहें न हो,

जीवन वह जो तपा नहीं है,

जिसमें आँसू बहा नहीं है,

वह जीवन जो जिया गया हो,

जिसमें वैभव भरा रहा हो,

दिल टुकड़ों में टूटा न हो,

किसी चाह में चीखा न हो,

कंठ प्यास से सूखे न हों,

जिसमें सपने मीठे न हों,

ऐसा जीवन मरा हुआ है,

उत्तर-दक्षिण पड़ा हुआ है ।

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

100th episode of PM Modi’s Man-ki-Baat

आचार्य प्रवर महामंडलेश्वर युगपुरुष श्री स्वामी परमानन्द गिरी जी महाराज द्वारा प्रवचन - प्रस्तुति रमेश चन्द्र तिवारी

युगपुरुष स्वामी परमानन्द जी महाराज की अध्यक्षता में श्रीमद् भागवत