मैने विभिन्न सरकारों को देखा है और यह अनुभव किया है कि सरकारें दो उद्देश्य से चलती हैं: या तो जनहित लाभ की प्राथमिकता को लेकर या स्वहित लाभ की प्राथमिकता को लेकर, जबकि प्रत्येक सरकार का उद्देश्य जनहित लाभ ही होना चाहिए | कांग्रेस, बीएसपी और आरजेडी तीन ऐसी पार्टियाँ हैं जो स्वहित लाभ के लिए बदनाम हो चुकी हैं | बीजेपी एक मात्र ऐसी पार्टी है जिसका उद्देश्य सदैव जनहित लाभ रहा है | इस क्रम में दूसरे नंबर पर जेडीयू आती है | जहाँ तक समाजवादी पार्टी का सवाल है इसका कोई सिद्धांत नहीं, इसका एजेंडा खुल्ला खेल फरूखावादी रहा है | अब हम आते हैं उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार पर – इसका मुख्य मंत्री अच्छा, इसकी नीति अच्छी, इसकी कार्य प्रणाली अच्छी किन्तु इसके कुछ मंत्री तो अपने लाभ के चक्कर में पूरे बीजेपी की साख को चोट पहुचा रहे हैं | प्राथमिक शिक्षा विभाग ही ले लीजिए, इसका उद्देश्य लोगो को सुकून देना होना चाहिए न कि उन्हें प्रताड़ित करना | ठीक है, कोर्ट ने फ़ैसला दिया कि प्रत्येक विद्यालय भवन बच्चों के स्वास्थ्य और उनकी सुरक्षा के अनुकूल होना चाहिए | अब मान लीजिए कुछ वेरोज़गार लड़कों ने विद्यालय खोला है, उनके विद्यालय में अच्छी संख्या है, और उनके पढ़ाने का स्तर भी अच्छा है | अब आप इस विद्यालय को मान्यता नहीं दोगे सिर्फ़ इसलिए कि इनके पास मानक भवन नहीं है और कोर्ट का आदेश दिखाकर इन्हें धमकाओगे ताकि वे आपके दलाल से मिलें | सरकार ऐसे नहीं चलेगी – सरकार यदि लम्बे समय तक चलाना है तो ऐसे उन्नतिशील विद्यालयों को सरकारी मदद देकर प्रोत्साहित करना होगा | यदि अच्छी नीयत रखते हो तो उन सभी विद्यालयों की मान्यता समाप्त करो जो मौके पर चल ही नहीं रहे हैं, यदि बन्द ही करना है तो उन विद्यालयों को बन्द करो जिनके पास भव्य इमारतें हैं किन्तु उनके नाम पर अविभावकों से नाजायज़ धन वसूलते हैं, यदि बन्द ही करना है तो उन सरकारी विद्यालयों को बंद करो जहाँ कोई अध्यापक पहुचता ही नहीं है, यदि बन्द करना है तो उन विद्यालयों को बन्द करो जहाँ केवल धार्मिक कट्टरता व अलगाववाद की शिक्षा दी जाती है, यदि बन्द ही करना है तो सरकारी अध्यापकों को स्थानांतरण व पोस्टिंग के नाम से परेशान करना बन्द करो और उन्हें नियमित ड्यूटी करने के लिए मजबूर करो | सभी जानते हैं कि सरकारी विद्यालयों में इमारतें हैं किन्तु शिक्षा नहीं | देश के हर स्तर के बच्चों को कम खर्च में अच्छी शिक्षा चाहिए, यदि ऐसा कर सकते हो तो आपका उद्देश्य जनहित लाभ का है वरना स्वहित लाभ तो आप कर ही रहे हो | भ्रष्ट राज्य सरकार के मंत्रियों, देश को बड़े सौभाग्य से मोदी जैसा जनहित लाभ की प्राथमिकता वाला प्रधान मंत्री मिला है, अपने साथ उसका नाम धूमिल मत करो !
I have a variety of exotic dishes of thoughts – all for you, good friends. Come on and enjoy interesting short stories, essays and poems (both in English and Hindi).
Tuesday 7 August 2018
प्राथमिक शिक्षा विभाग
मैने विभिन्न सरकारों को देखा है और यह अनुभव किया है कि सरकारें दो उद्देश्य से चलती हैं: या तो जनहित लाभ की प्राथमिकता को लेकर या स्वहित लाभ की प्राथमिकता को लेकर, जबकि प्रत्येक सरकार का उद्देश्य जनहित लाभ ही होना चाहिए | कांग्रेस, बीएसपी और आरजेडी तीन ऐसी पार्टियाँ हैं जो स्वहित लाभ के लिए बदनाम हो चुकी हैं | बीजेपी एक मात्र ऐसी पार्टी है जिसका उद्देश्य सदैव जनहित लाभ रहा है | इस क्रम में दूसरे नंबर पर जेडीयू आती है | जहाँ तक समाजवादी पार्टी का सवाल है इसका कोई सिद्धांत नहीं, इसका एजेंडा खुल्ला खेल फरूखावादी रहा है | अब हम आते हैं उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार पर – इसका मुख्य मंत्री अच्छा, इसकी नीति अच्छी, इसकी कार्य प्रणाली अच्छी किन्तु इसके कुछ मंत्री तो अपने लाभ के चक्कर में पूरे बीजेपी की साख को चोट पहुचा रहे हैं | प्राथमिक शिक्षा विभाग ही ले लीजिए, इसका उद्देश्य लोगो को सुकून देना होना चाहिए न कि उन्हें प्रताड़ित करना | ठीक है, कोर्ट ने फ़ैसला दिया कि प्रत्येक विद्यालय भवन बच्चों के स्वास्थ्य और उनकी सुरक्षा के अनुकूल होना चाहिए | अब मान लीजिए कुछ वेरोज़गार लड़कों ने विद्यालय खोला है, उनके विद्यालय में अच्छी संख्या है, और उनके पढ़ाने का स्तर भी अच्छा है | अब आप इस विद्यालय को मान्यता नहीं दोगे सिर्फ़ इसलिए कि इनके पास मानक भवन नहीं है और कोर्ट का आदेश दिखाकर इन्हें धमकाओगे ताकि वे आपके दलाल से मिलें | सरकार ऐसे नहीं चलेगी – सरकार यदि लम्बे समय तक चलाना है तो ऐसे उन्नतिशील विद्यालयों को सरकारी मदद देकर प्रोत्साहित करना होगा | यदि अच्छी नीयत रखते हो तो उन सभी विद्यालयों की मान्यता समाप्त करो जो मौके पर चल ही नहीं रहे हैं, यदि बन्द ही करना है तो उन विद्यालयों को बन्द करो जिनके पास भव्य इमारतें हैं किन्तु उनके नाम पर अविभावकों से नाजायज़ धन वसूलते हैं, यदि बन्द ही करना है तो उन सरकारी विद्यालयों को बंद करो जहाँ कोई अध्यापक पहुचता ही नहीं है, यदि बन्द करना है तो उन विद्यालयों को बन्द करो जहाँ केवल धार्मिक कट्टरता व अलगाववाद की शिक्षा दी जाती है, यदि बन्द ही करना है तो सरकारी अध्यापकों को स्थानांतरण व पोस्टिंग के नाम से परेशान करना बन्द करो और उन्हें नियमित ड्यूटी करने के लिए मजबूर करो | सभी जानते हैं कि सरकारी विद्यालयों में इमारतें हैं किन्तु शिक्षा नहीं | देश के हर स्तर के बच्चों को कम खर्च में अच्छी शिक्षा चाहिए, यदि ऐसा कर सकते हो तो आपका उद्देश्य जनहित लाभ का है वरना स्वहित लाभ तो आप कर ही रहे हो | भ्रष्ट राज्य सरकार के मंत्रियों, देश को बड़े सौभाग्य से मोदी जैसा जनहित लाभ की प्राथमिकता वाला प्रधान मंत्री मिला है, अपने साथ उसका नाम धूमिल मत करो !
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