धारा 370
धारा 370 कश्मीरियो के लिए वरदान नहीं बल्कि अभिशाप है क्योंकि वहाँ देश के दूसरे स्थान का कोई भी व्यक्ति ज़मीन खरीद कर स्थाई निवासी नहीं बन सकता | परिणाम स्वरूप, कश्मीर वह तालाब बन गया है जिसमें न तो कहीं से पानी आ सकता है और न ही वहाँ का पानी बाहर जाना चाहता है | स्थिर पानी के इस तालाब पर अब सैवाल उग चुका है, पानी सड़ गया है और तालाब के अस्तित्व पर भी प्रश्न चिन्ह लग गया है | यदि पर्यटक वहाँ जाना बन्द कर दें या भारत सरकार उन्हें मदद देना बन्द कर दे तो स्थिति यह है कि वहाँ के लोग भूखो मर सकते हैं | राजनीति के प्रभाव में वहाँ के लोग कितनी ग़लत फ़हमी में जी रहे हैं | वहाँ के उन्मादी बच्चों को देख कर ऐसा लगता है कि वे सभी अन्तर राष्ट्रीय राजनीति के शिकार हो चुके हैं और एक दिन सीरिया या इराक़ जैसी उनकी हालत होनी निश्चित है | वह स्थान एक दिन युद्ध क्षेत्र बन सकता है और नागरिकों की वह स्थिति हो सकती है जिसे उन्होने कभी सोचा न होगा | यदि धारा 370 हट जाय तो बाकी भारतीय वहाँ जाना रहना प्रारम्भ कर देंगे और व्यापार के सारे रास्ते खुल जाएँगे | तब फौज की भी वहाँ कोई ज़रूरत न होगी |
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