बता दो मैं कौन हूँ ?
इसको
मैने अभी-अभी लिखा है - पढ़ो सोच में पड़ जाओगे ! 02/09/2015 17:32:32
कुछ तो है
जो वायु के झोंकों पर
स्वेत छाया सी
झलमल-झलमल करती
आती है, चली जाती है ।
कुछ तो है
जो सूरज की तप्त किरणों से
गरे हुए द्रव
सी आँसू की बूँदें
टपकाती है, चली जाती है ।
कुछ तो है
जो रजनी की छिल्ली पर
स्यामल स्याही से
लिखे हुए पत्र
विखेर देती है, चली जाती है ।
कुछ तो है
जो अम्बर में
शून्य सी उभरती है
आँखों में आँखें डालकर
कुछ कहती है, चली जाती है ।
क्या यही सब कुछ है
जो कुछ नहीं से
पूछता फिरता है,
‘बता दो मैं
कौन हूँ,
मैं कहाँ से आया हूँ ?'
क्या यही सब कुछ है
कि किसी कुछ नहीं का सबकुछ
उसका कुछ नहीं है
यदि है तो नहीं है
और नहीं है तो न जाने कहीं है ?
-
रमेश चन्द्र तिवारी
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