सरस्वती बँदना
मेरे जीवन की पहली प्रतिष्ठित कविता ‘सरस्वती बँदना’ है जिसको मैने
सन 1980 में लिखा था | उस समय मैं हाई
स्कूल का विद्यार्थी था |
ज्ञान भानु ज्योति को प्रसार दिशि-दिशि माँहि
बुद्धि कंज बृंद के अधर की विकासिनी,
स्वर्ग के गगन के असंख्य दुतिंमान सुर
तारकों के बीच श्वेत शशि सी सुहावनी,
श्वेत हंस वाहिनी धवल वस्त्र धारिणी
वीणा वर वादिनी नवीनता निखारिनी,
बँदना करत जग ज्ञान पुंज धारी होत
पद बन्दता हूँ सोई तेरे पदमासिनी |
कीर्ति गंधवाहिनी अरूपता अनिल की सी
सुचिता सलिल बुद्धि अग्नि की प्रखरता
शब्द गुण मय पन्च तत्व के स्वरूप वारी
भारती नमन करूँ हर मेरी जड़ता |
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रमेश चंद्र तिवारी
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