स्वामी परमहंस जी महाराज


तपस्वी दास छावनी, अयोध्या के महन्त स्वामी परमहंस जी महाराज आज सुबह बहराइच आये हुए थे । अपने निवास पर उन्हें जल पान कराने का शौभाग्य मुझे भी प्राप्त हुआ । पूज्य श्री महाराज जी ने घोषणा कर रखा है कि यदि ६ दिसंबर से पूर्ब् राम मंदिर का निर्माण नहीं निश्चित होता है तो वे आत्मदाह कर लेंगे | आज अपने शिष्यों की एक सभा को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हर पंथ या संप्रदाय आस्था की एक निश्चित सीमा में बंधा होता है वहीँ राम की कोई सीमा नहीं । राम चरित मानस मानव मात्र के पारिवारिक, सामाजिक व् राजनीतिक मूल्यों की उदहारण सहित व्याख्या है इसलिए राम किसी संप्रदाय के नहीं बल्कि वे मानव धर्म के प्रतिनिधि हैं । वे किसी पंथ का हिस्सा नहीं हैं बल्कि सारे पंथ या संप्रदाय उनके अंग हैं । राम का सम्बन्ध किसी विशेष मान्यता वाले लोगों से ही नहीं वरन प्रत्येक व्यक्ति से है । वे भारत के ही नहीं बल्कि विश्व की जनसँख्या के एक बड़े हिस्से के आराध्य हैं । राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जिन्हें सभी संप्रदाय व् वर्ग के लोग प्रिय थे उन्होंने भी राम राम कहते प्राण त्याग किया था और 'रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम' उनके जीवन का मन्त्र था । अतः राम का स्थान स्वयं संबिधान से भी ऊपर है । अयोध्या में राम मंदिर देश की गरिमा व् स्वाभिमान का विषय है । आज राम मंदिर के लिए आवाज उठाते हुए देश व्यापी आंदोलन की आवश्यकता है । http://epaper.livehindustan.com/epaper/UP/Bharaich/2018-11-13/56/Page-6.html#

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