Thursday 14 May 2015

शासन प्रणाली

'शासन प्रणाली' को मैने ०२ मई सन १९८८ को कांग्रेस की सरकार को समर्पित करने के उद्देश्य से लिखा था |



बाघ शेर को, बाघ को गीदड़, गीदड़ को खुश रखता कौवा,
इस क्रम से मक्खन बाजी कर कायम रखते अपना पौवा |

कौवा पता लगाकर आता, गीदड़ घात बताता है,
इन सबका सहयोग प्राप्त कर हिरण को बाघ पकड़ता है |

बढ़िया-बढ़िया माँस काटकर छोड़ हिरण को देता,
दो एक टुक कौवा गीदड़ को देकर फ़ुर्सत करता |

फिर वह सारा ले जा करके शेर को भेंट चढ़ाता है,
कुछ हिस्सा उसमें से लेकर खुद भी मज़े उड़ाता है |

घायल हिरण वहाँ से जाकर घास और खुब चरता है,
जल्दी-जल्दी नोच-नोच कर क्षति को पूरा करता है |

उसे छूट राजा से मिलती दम भर घास नोचने की,
उलट-पलट जिस तरफ से चाहे चारागाह खुरचने की |

अब देखो ये सारे खुश है केवल घास ही ठूंठ बनी,
क्षति उसकी पूरी करने को धरती ने कह दिया नहीं |

बीच-बीच में उनको जाकर शेर राज भाषण देते,
उन सबको झूठे आश्वासन देकर गदगद कर देते |

इस अवसर पर बाघ मंत्री के मुख से झरते हैं फूल,
अपने मालिक के स्वागत में उसकी सुध-बुध जाती भूल |

गीदड़ बाबू हाजिर होता कौवा चपरासी साथ लिए,
बास को अपने खुश करने को दौड़ लगाते जान दिए |

सेठ हिरण भी वहीं घूमता मोटा मुर्गा उन सबका,
उनसे हाथ मिलाता फिरता गायब रहता डर उसका |

घास बेचारी जनता होती खुश खुद ही के खूनी से,
इस मौके पर विसरे रहते सबके दिन मजबूरी के |
-              रमेश चंद्र तिवारी

1 comment:

  1. एक रुप,जो स्पष्ट करती है....

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