युगपुरुष स्वामी परमानन्द जी महाराज की अध्यक्षता में श्रीमद् भागवत
युगपुरुष स्वामी परमानन्द जी महाराज की अध्यक्षता में श्रीमद् भागवत सप्ताह कथा ज्ञान यज्ञ बन्धन गेस्ट हाउस (एसी हाल), डिगिहा तिराहा, गोंडा रोड - बहराइच में 27 अप्रैल 2019 से प्रारंभ हुआ । महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी ज्योतिर्मयानन्द द्वारा पावन कथा सायं 4.00 से 7.00 बजे तक प्रतिदिन कही गयी और यह क्रम 03 मई तक चलकर एक भव्य भंडारे के साथ संपन्न हुआ ।
सुबह 10 बजे पूज्य गुरुदेव स्वामी परमानन्द जी महाराज की एक पत्रकार वार्ता हुयी जो निम्नवत है :
पूज्य गुरुदेव से सम्मानित पत्रकारों द्वारा पूछा गया कि क्या साधु संतों का राजनीति में आना उचित है ?
उन्होंने उत्तर दिया, 'हाँ क्यों नहीं - राजनीति तो ऐसा विषय है जिसमें समाज के हर वर्ग की सहभागिता आवश्यक है ।'
उनसे फिर पूछा गया 'एक संत के रूप सक्रिय राजनीति करना क्या उचित है ?'
इस पर उन्होंने सर हिलाते हुए कहा, 'बिलकुल नहीं क्योंकि राजनीति में आलोचना और आरोपों से नहीं बचा जा सकता है ।'
विद्वान पत्रकारों ने विषय बदलते हुए उनसे प्रश्न किया कि भाजपा राम मंदिर निर्माण से क्यों बच रही है ?
गुरुदेव ने स्पष्ट किया कि भाजपा का मुस्लिम विरोधी होना एक आम धारणा है इसलिए वह संविधान के दायरे से बाहर नहीं जाना चाहती । कांग्रेस ने अपने लाभ के लिए इमरजेंसी लागू किया था । यदि दादागीरी करते तो ये भी राम मंदिर बना लेते ।
इस पर प्रतिक्रिया करते हुए पत्रकारों ने कहा कि मोदी सरकार ने राम मंदिर निर्माण के लिए मन से प्रयास भी तो नहीं किया ।
गुरुदेव ने जवाब दिया कि प्रधान मंत्री जी पर अयोध्या कभी न आने का इल्जाम भी तो लगा है । इसी के मद्देनजर वे पहली मई को अयोध्या आ रहे हैं ।
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम में नए संशोधन के विषय में पत्रकारों ने मोदी सरकार पर तुष्टिकरण राजनीति करने का आरोप लगाया ।
यहाँ गुरुदेव ने उत्तर दिया, 'बीजेपी पर यह भी इल्जाम है कि वह केवल सवर्णों की पार्टी है । मोदी जी कहीं न कहीं इससे मुक्त होना चाहते हैं - उन्हें तो सबका वोट चाहिए । उनका प्रयास तो मुस्लिम को भी खुश रखने का होता है ।
'फिर भी, गुरु जी, सरकार तो सबके कल्याण के लिए होती है ।'पत्रकारों ने प्रतिक्रिया की । 'इस अधिनियम के दुरुपयोग का भी सरकार ने ध्यान नहीं रखा ।'
'हाँ, प्रत्येक सरकार का यह उद्देश्य होना चाहिए कि वह ऐसा कानून बनावे जिससे किसी भी वर्ग का अहित न हो ।' गुरुदेव ने अपना मत रखते हुए कहा । 'आरक्षण जातिगत न होकर लोगों के आर्थिक स्थिति के आधार पर होना सर्वथा उचित है लेकिन कोई भी पार्टी इसमें हाथ लगाना नहीं चाहती । सबको भय है एक बड़ा वर्ग उसके हाथ से निकल जाएगा । भारत एक मात्र ऐसा देश है जिसमें राजनीति बिना जाति के नहीं हो सकती । विडम्बना देखिये मोदी जी को भी अपनी जाति बतानी पड़ी । मेरी समझ में देश हित के निर्णय सभी पार्टियों को संयुक्त रूप में लेना चाहिए जैसे वे अपने वेतन बृद्धि के समय एक हो जाते हैं । ऐसा करके सभी पार्टियां किसी वर्ग विशेष के असंतुष्ट होने के क्षति से बच सकती हैं ।'
पूज्य गुरुदेव से सम्मानित पत्रकारों द्वारा पूछा गया कि क्या साधु संतों का राजनीति में आना उचित है ?
उन्होंने उत्तर दिया, 'हाँ क्यों नहीं - राजनीति तो ऐसा विषय है जिसमें समाज के हर वर्ग की सहभागिता आवश्यक है ।'
उनसे फिर पूछा गया 'एक संत के रूप सक्रिय राजनीति करना क्या उचित है ?'
इस पर उन्होंने सर हिलाते हुए कहा, 'बिलकुल नहीं क्योंकि राजनीति में आलोचना और आरोपों से नहीं बचा जा सकता है ।'
विद्वान पत्रकारों ने विषय बदलते हुए उनसे प्रश्न किया कि भाजपा राम मंदिर निर्माण से क्यों बच रही है ?
गुरुदेव ने स्पष्ट किया कि भाजपा का मुस्लिम विरोधी होना एक आम धारणा है इसलिए वह संविधान के दायरे से बाहर नहीं जाना चाहती । कांग्रेस ने अपने लाभ के लिए इमरजेंसी लागू किया था । यदि दादागीरी करते तो ये भी राम मंदिर बना लेते ।
इस पर प्रतिक्रिया करते हुए पत्रकारों ने कहा कि मोदी सरकार ने राम मंदिर निर्माण के लिए मन से प्रयास भी तो नहीं किया ।
गुरुदेव ने जवाब दिया कि प्रधान मंत्री जी पर अयोध्या कभी न आने का इल्जाम भी तो लगा है । इसी के मद्देनजर वे पहली मई को अयोध्या आ रहे हैं ।
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम में नए संशोधन के विषय में पत्रकारों ने मोदी सरकार पर तुष्टिकरण राजनीति करने का आरोप लगाया ।
यहाँ गुरुदेव ने उत्तर दिया, 'बीजेपी पर यह भी इल्जाम है कि वह केवल सवर्णों की पार्टी है । मोदी जी कहीं न कहीं इससे मुक्त होना चाहते हैं - उन्हें तो सबका वोट चाहिए । उनका प्रयास तो मुस्लिम को भी खुश रखने का होता है ।
'फिर भी, गुरु जी, सरकार तो सबके कल्याण के लिए होती है ।'पत्रकारों ने प्रतिक्रिया की । 'इस अधिनियम के दुरुपयोग का भी सरकार ने ध्यान नहीं रखा ।'
'हाँ, प्रत्येक सरकार का यह उद्देश्य होना चाहिए कि वह ऐसा कानून बनावे जिससे किसी भी वर्ग का अहित न हो ।' गुरुदेव ने अपना मत रखते हुए कहा । 'आरक्षण जातिगत न होकर लोगों के आर्थिक स्थिति के आधार पर होना सर्वथा उचित है लेकिन कोई भी पार्टी इसमें हाथ लगाना नहीं चाहती । सबको भय है एक बड़ा वर्ग उसके हाथ से निकल जाएगा । भारत एक मात्र ऐसा देश है जिसमें राजनीति बिना जाति के नहीं हो सकती । विडम्बना देखिये मोदी जी को भी अपनी जाति बतानी पड़ी । मेरी समझ में देश हित के निर्णय सभी पार्टियों को संयुक्त रूप में लेना चाहिए जैसे वे अपने वेतन बृद्धि के समय एक हो जाते हैं । ऐसा करके सभी पार्टियां किसी वर्ग विशेष के असंतुष्ट होने के क्षति से बच सकती हैं ।'
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार प्रातः मंत्रोच्चारण के साथ ग्यारह सह यजमान सहित मुख्य यजमान श्री मोहन लाल गोयल ने कथा स्थल पर पूजा अर्चना करके देवताओं का आवाहन किया । सायं 4.00 बजे कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी ज्योतिर्मायानंद जी महाराज ने भगवत आरती के पश्चात व्यास गद्दी पर स्थान ग्रहण किया । श्री कैलाश नाथ डालमिया, पुरुषोत्तम दास अग्रवाल, कुलभूषण जी अरोरा, सुधीर कुमार गौड़, मदन लाल टेकड़ीवाल, गौरी शंकर भानीरामका, विमल टेकड़ीवाल सहित अन्य व्यवस्था भागीदारों ने व्यास जी महाराज का माल्यर्पण करके स्वागत किया । बन्धन गेस्ट हाउस में पूज्य व्यास जी ने भागवत कथा का महात्म् विस्तार पूर्वक बताया । उन्होने महाराज गोकरण व धुंधकारी की जीवन कथा सुनाई और बताया कि किस तरह घोर अत्याचारी धुंधकारी को उनके भाई महाराज गोकरण ने श्रीमद् भागवत कथा सुना कर मोक्ष प्रदान किया था । कथा समाप्त होने के पश्चात श्री राकेश कुमार सिंह के संचालन में परम पूज्य गुरुदेव स्वामी परमानन्द जी महाराज का मंच पर विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से भव्य स्वागत किया गया । गुरुदेव ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में ज्ञान योग व मोक्ष विषय पर प्रकाश डाला ।
पूज्य गुरुदेव स्वामी परमानन्द जी महाराज ने रविवार, 28 अप्रैल 2019 की सुबह स्वामी परमानंद शिक्षा निकेतन – खमरिया शुक्ल के वार्षिकोत्सव की अध्यक्षता की । वहाँ उन्होने छात्रों की शैक्षिक व बौद्धिक ज्ञान का परीक्षण किया तथा उनको इनाम भी दिया । विद्यालय में स्थानीय विधायक श्री सुरेश्वर सिंह जी ने गुरुदेव का स्वागत किया । इस अवसर पर व्लाक प्रमुख धीरू सिंह, शीतल प्रसाद अग्रवाल, मोहन लाल गोयल, प्रमोद डालमिया, कन्हैया श्रीवास्तव, विजय यादव, सनत शुक्ल, खमरिया शुक्ल गाँव के प्रधान सहित क्षेत्र के तमाम गणमान्य नागरिक उपस्थित थे ।
सायं अखण्ड परमधाम सेवा समिति - बहराइच के तत्वावधान में बन्धन गेस्ट हाऊस में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास पूज्य श्री ज्योतिर्मयानंद जी महाराज ने शुखद्देव महाराज के जन्म, कलियुग आगमन और राजा परीक्षित को श्राप की कथा सुनाई । महाराज व्यास द्वारा रचित 18 हज़ार श्लोकों की यह कथा भला किसे मंत्र मुग्ध नहीं कर सकती और किस सच्चे श्रोता के जीवन को धन्य नहीं कर सकती । कथा के उपरान्त सभी श्रोताओं को युगपुरुष स्वामी परमानन्द जी महाराज का दर्शन और आशीर्वाद मिला । गुरुदेव ने अध्यात्म और दर्शन के कुछ ग़ूढ विषयों पर भी प्रकाश डाला ।
सोमवार, 29 अप्रैल 2019 को सायं पूज्य व्यास जी महाराज ने कपिल भगवान के जन्म की कथा सुनाई । कर्दम ऋषि ब्रह्मा की छाया से उत्पन्न हुए थे । घोर तपस्या के पश्चात जब भगवान उन पर प्रसन्न हुए तब उन्होने उनसे बर मागने को कहा । कर्दम ऋषि ने शादी के लिए आग्रह किया । भगवान ने कहा कि ठीक है पृथ्वी के प्रथम पुरुष महाराज मनु की दूसरी पुत्री देहुति बहुत ही गुणवान है । वे पिता पुत्री शीघ्र ही आपके पास पहुँच रहे हैं । कर्दम ऋषि और दहूति का विवाह हुआ उनके 9 पुत्रियाँ पैदा हुईं । अंत में देहुति से भगवान का अवतार हुआ । उनका नाम करण करने स्वयं ब्रह्मा जी अपने 9 पुत्रो से पधारे । कपिल के नाम से भगवान का नामकरण हुआ और उसी समय कर्दम ऋषि के उन 9 पुत्रियों का विवाह ब्रह्माजी के 9 पुत्रों से हुई । भगवान के द्वारपाल जै और विजय की कथा से बाराह अवतार और हिर्नायक्ष बध की कथा कही और अंत में भगवान के नरसिंह अवतार द्वारा हिरण्यकशयपू वध की मार्मिक कथा सुनाई ।
व्यास जी ने कुछ नैतिक नीतियों से संबंधित कहानियाँ भी सुनाई :- जब हम अपने से बड़ों का अभिवादन करते हैं तब हममें आयु, विद्या, यश और बल की बृद्धि होती है । बड़े चिंता का विषय है आज समाज इन चीज़ों पर ध्यान नहीं दे रहा है । सत्य के अपरोक्ष का नाम सत्संग है और बिना सत्संग के मानवता का शृंगार नहीं होता । गुरु का कर्तब्य है कि वह अपने शिष्य के दुख को दूर करे और ऐसा न करने पर वह घोर नर्क में जाता है । इसी तरह ऐसे माता पिता जो जन्म तो देते हैं किंतु मरने के लिए शिशु को छोड़ देते वे सच्चे अर्थों में माता पिता नहीं हैं ।
परम पूज्य गुरुदेव स्वामी परमानंद जी महाराज ने कही गयी भागवत कथा के ही सन्दर्भ में विस्तृत व्याख्या करते हुए कहा कि आप लोग कथा सुनकर सोच रहे होंगे भगवान नरसिंह ने भक्त प्रहलाद को बचा लिया किंतु सत्य यह है कि भौतिक मृत्यु से भगवान भी नहीं बचा सकता और उस भौतिक देह में व्याप्त परमात्म तत्व की कभी मृत्यु हो ही नहीं सकती । सत्य को भूल जाना ही विपत्ति है और सत्य का ज्ञान होना ही परमानंद है । भगवान राम व कृष्ण स्वधाम गये थे मरे नहीं थे । जटायु चाहता तो राम जी उसे पुनः जीवन दे सकते थे किंतु उसने राम जी की गोद में मरना उचित समझा । श्रीमद् भागवत कथा वह कथा है जिसे सुनते सुनते हमारी बुद्धि सूक्ष्म हो जाती है और हम सत्य को समझने के योग्य बन जाते हैं । अंत में उन्होने कहा जब आप ट्रेन में बैठते हो तो आपको कुछ नहीं करना रहता है स्टेसन स्वयं आते रहते हैं । इसी तरह आप जीवन जिवो न जिवो जिंदगी बीतती जाती है ।
मंगलवार, 30 अप्रैल 2019 को पूज्य व्यास जी महाराज ने राजा बलि और समुद्र मंथन की कथा कही । जब राजा बलि ने देवताओं को परास्त कर उनके राज्य पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया तब सारे देवता भगवान विष्णु के पास सहायता के लिए गये । नारायण ने उन्हें सुझाया कि वे राजा बलि के समक्ष संयुक्त रूप से समुद्र मंथन का प्रस्ताव रखें । उन्होने कहा समुद्र मंथन में अमृत निकलेगा जिसे पीकर आप सभी अमर हो जाओगे और तब दैत्य सेना आपका कुछ नहीं कर सकेगी । इस पर देवताओं ने संदेह प्रकट किया कि दैत्य अधिक बलशाली हैं इसलिए संभावना है कि अमृत वे छीन कर पी सकते हैं । भगवान ने कहा आप चिंता मत करो मैं जो हूँ । मदराचल पर्वत को मथानी बनाया गया जिसे भगवान ने कक्षप का रूप रख कर अपनी पीठ पर धारण किया । बासुकी नाग की डोरी बनाई गयी । समुद्र मंथन से 14 रत्न निकले जिसमें अंतिम अमृत था । भगवान ने मोहिनी रूप रख कर सारा अमृत देवताओं को पिला दिया और अंतरध्यान हो गये । उसके बाद भयानक देवासुर संग्राम हुआ और देवताओं की विजय हुई । उन्हें उनका खोया हुआ राज्य भी मिल गया । राजा बलि ने देवताओं पर पुनः आक्रमण करके उन्हें उनके राज्य से खदेड़ दिया । इस बार देवताओं के सहायता हेतु भगवान ने बामन औतर लिया ।
पूज्य व्यास जी ने अंत में भगवान जन्म की बहुत ही भावुक कथा कही । भगवान जन्म के भजन सुन कर सभी भक्त नाच उठे, उपहार बाँटने लगे, एक उत्सव जैसा वातावरण बन गया । कोई बासुदेव बनकर शिशु कृष्ण को सिर पर रखता, कोई आरती करता और कोई जन्म दिन की बधाइयाँ देता ।
इतने में परम पूज्य गुरुदेव स्वामी परमानंद जी महाराज का आगमन हुआ । उन्होने अपने उडबोधन में कहा कि श्रष्टि के रक्षासों के वध हेतु भगवान कृष्ण का जन्म हुआ । उससे बढ़कर उनकी कथा सुनकर जो भगवत चेतन बनती है वह हमारे अंदर के राक्षस को समाप्त करती है । कृष्ण की चेतना जब आ जाती है तब जीवन आनंदमय हो जाता है । परमात्मा की स्मृति सुख है और उनकी विस्मृति ही दुख है : “याद है तो आबाद है भूला तो वारबाद”। आज हमारे समाज की महिलाओं को ज्ञान नहीं होता कि वे किससे विवाह करने जा रही । उन्हें तो रुकमणी जी से प्रेरणा लेनी चाहिए और योग्य व्यक्ति से विवाह करना चाहिए । उन्होने कहा जीवन कैसा है ? जैसा बना लो वैसा है । अन्त में पूज्य गुरुदेव ने लोगों से अपील की कि सभी राष्ट्र निर्माण में एक विवेकपूर्ण आहुति देना न भूलें ।
बुधवार, 1 मई 2019 को पूज्य श्री व्यास जी महराज ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का मर्मस्पर्शी और विस्तार पूर्वक वर्णन किया । “यशोदा हरि पालने झुलावे, हलरावे मल्लावे जोई सोई कछु गावे…”
6 महीने की उम्र में बालक कृष्ण ने सक्तासुर का बध किया । इसके पश्चात उन्होने त्रिनावर्त का बध किया और इस तरह एक वर्ष की उम्र होते-होते पूतना सहित उन्होने अपने मामा के भेजे हुए तीन महा राक्षस/ राक्षसियों का बध कर डाला । त्रिनावर्त बवंडर के रूप में बालक भगवान को मैया यशोदा की गोद से उठा ले गया था । उसका बध करके उन्होने वायुमंडल के प्रदूषण को समाप्त किया था । कालिया नाग को मार कर उन्होने पृथ्वी पर जल को शुद्ध किया । सक्तासुर ज़मीन के अंदर छिपे विषाक्त रसायन का प्रतीक है । उन्होने उसको भी समाप्त किया । इस तरह उन्होने धरती पर धर्मस्थापना की नीव डालने की शुरूवात की । महाराज श्री ने सुनाया क़ि बालक श्रीकृष्ण किस तरह गौवें चाराया करते थे, किस तरह माखन की चोरी किया करते थे और किस तरह मैया से हठ किया करते थे: “राधिका गोरी से, बिरज की छोरी से, मैया करा दे मेरो व्याह….
महाराज जी कहते हैं कि एक बार मैया पकवान बना रही थी । उसी समय बालक कृष्ण ने हठ किया मैया मुझे भूख लगी है, खाने के लिए मुझे लड्डू दे दे । मैया ने कहा आज इंद्र देव की पूजा है उन्हें भोग लगाने के बाद ही तुझे लड्डू मिलेंगे नहीं तो इंद्र देव कुपित हो जाएँगे । इस पर गोपाल ने ज़िद ठान ली कि मुझे तो लड्डू खाने ही हैं और किसी इंद्र की पूजा करने के अतिरिक्त प्रकृति देव की पूजा होगी । उन्होने सबको गोवर्धन की पूजा करने का सुझाव दिया क्योंकि गो वर्धन वह पर्वत है जो गौओं के विकास के लिए वर्ष भर प्रचूर मात्रा में हरा-हरा चारा उगाता है । “मैं तो गोवर्धन को जाऊंगी नहीं माने मेरो मनवा , मैं तो परिक्रमा को जाऊंगी नहीं माने मेरो मनवा…..
परम पूज्य गुरुदेव स्वामी परमानंद जी महाराज ने कहा कि यह श्रीमद् भगवत कथा स्वामी परमानंद शिक्षा निकेतन खमारिया के उपलक्ष्य में हो रहा है अर्थात लक्ष्य आत्म्बोध का है और उपलक्ष्य शिक्षा निकेतन का है जिसमें परोपकार है । उन्होने कहा जिसका लक्ष्य धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष में से कोई नहीं है उसका जीवन बकरी के गले के थन जैसा है जो किसी उपयोग का नहीं होता । श्रीमद् भागवत भगवान के लिए कथा है जबकि भगवत गीता भगवान द्वारा अपने लिए कही गयी कथा है । इसीलिए गीता कामनाओं की पूर्ति को वर्जित करती हुई आवश्यकता की पूर्ति करने को कहती है । उन्होने कहा कई राजनीतिक पार्टियाँ देश के लिए नहीं लगी हुई हैं बल्कि व्यक्तिगत आकांक्षाओं की पूर्ति के अप्रकट उद्देश्य से वोट मांगती हैं । पूज्य गुरुदेव ने विषय को आगे बढ़ाते हुए कहा ज्ञानेन हीनाः पशुभिः समानाः। अर्थात जो किसी नियम को नहीं मानता लिख दो वह पशु है । हमारे देश में लोग नियम क़ानून को ताख पर रख कर किसी भी स्थान पर सौच करने में शर्म नहीं करते । प्रधान मंत्री जी इसके लिए बहुत से अभियान चलाए, क़ानून बनाए किन्तु लोग हैं कि मानते ही नहीं । परम गति उसी को मिलती है जो शास्त्र के अनुसार चलता है । इसके विपरीत शास्त्र विधि न मान कर किसी को सुख नहीं मिल सकता । पाठ्य पुस्तकों और नेताओं के महत्व का एक निर्धारित समय होता है जबकि सन्त और सदग्रंथ का महत्व सदैव बना रहता है । सत्संग मृत्यु में काम आने वाली चीज़ है, सत्संग संकट में काम आने वाली चीज़ है ।
गुरुवार, 2 मई 2019 को पूज्य श्री व्यास जी महराज ने कन्स वध और रुकमणी विवाह की कथा सुनाई । एक दिन नारद जी कन्स से मिले और बोले कि, कन्स, एक के बाद एक तुम्हारे विशेष योद्धा समाप्त हो रहे हैं कृष्ण को तुम ऐसे नहीं मार सकते । इस पर कन्स ने कहा फिर क्या उपाय है, मुनिवर ? नारद जी ने सुझाया कि दशहरे के मेले में अखाड़ा लगता है । अक्रूर जी को भेजो वे कन्हैया को बुला ले आवें और अखाड़े में योद्धाओं को इशारा कर दो । कन्स को यह सुझाव अच्छा लगा । अंत में 11 वर्ष 56 दिन की आयु वाले भगवान श्री कृष्ण ने अपने मामा का केश पकड़कर पटक-पटक कर मार डाला ।
अंत में पूज्य श्री व्यास जी ने रुक्मणी विवाह का रोमांचक वर्णन करते हुए कहा कि 28 वर्ष के श्रीकृष्ण ने द्वारिका से नागपुर तक की यात्रा केवल 12 घंटे पूरी कर ली और रुक्मणी जी का हरण करके जब लौटे तब उन्होने शिशुपाल और जरासंधु की सेना की ललकार पर रथ का सारथी रुक्मणी जी को बनाया और स्वयं युध करने लगे । तभी बल्दाउ भैया अपनी सेना लेकर वहाँ पहुँच गये । भयंकर युध हुआ । विरोधी सेनाएँ परास्त हुईं और भगवान रुक्मणी जी को लेकर घर वापस आ गये । जै कन्हैया लाल की हाथी घोड़ा पालकी ….
परम पूज्य सद्गुरुदेव भगवान ने कहा श्रीमद् भागवत मानव मात्र की कथा है किसी विशेष जाति व वर्ग की नहीं इसलिए इस कथा को समाज के सभी लोगों को सुनना चाहिए क्योंकि जिस तरह अंधेरा प्रकाश से ही जाता है वैसे भागवत कथा भव सागर से पार जाने का एक मात्र रास्ता है । मृत्यु से बाहर जाया जा सकता है, उसके लिए अन्य कोई मार्ग नहीं है बस केवल भगवान के विज्ञान से ही यह संभव है । उन्होने प्रश्न किया, क्या आपने कभी मै को परखा है ? इसको परखने के लिए आपको ध्यान देना होगा कि वे कौन सी चीज़ें हैं जो आपका साथ छोड़ सकती हैं और वह कौन सी चीज़ है जो तुम्हारे साथ सदैव रहेगी । जो तुम्हें छोड़ देते हैं उन्हें अपना मानना बन्द कर दो । जागने में आप एक देह की सीमा में होते हैं और स्वप्न में भी आपका एक स्वप्न का देह होता है । इन देह के होने की वजह से हर्ष विषाद आपका पीछा नहीं छोड़ते । गहरी नींद में आपका कोई देह नहीं होता इसलिए आप विषाद से मुक्त परमानन्द की स्थिति में होते हैं । जिसे इस सत्य का ज्ञान हो जाय केवल वही सुख दुख से मुक्त होकर परमात्म तत्व को प्राप्त करता है । देह तो बलि का बकरा है इसकी बलि होनी निश्चित है : "आया है सो जाएगा राजा रंक फकीर" । प्रश्न करो कि आप कौन हो क्योंकि मनुष्य तो प्रश्न वाचक चिन्ह है – जिसमें कोई प्रश्न नहीं वह मनुष्य नहीं और जिसने सारे प्रश्न हल कर लिए हों वह मनुष्य नहीं बल्कि स्वयं परमात्मा बन जाता है ।
अंतिम सत्र शुक्रवार, 3 मई 2019 को पूज्य श्री व्यास जी महराज ने जरासन्धु वध, सुदामा चरित्र व परीक्षित मोक्ष की कथा कहकर समापन कर दिया । यदु कुमारों ने कुछ महात्मा ब्रिन्द को पाखंडी समझकर उनकी परीक्षा ली परिणामस्वरूप उन्हें संपूर्ण यदुवंश के विनाश का श्राप मिल गया । इस कथा के सन्दर्भ में स्वामी जी ने कहा कोई पाखंडी महात्मा नहीं हो सकता और कोई महात्मा पाखंडी नहीं हो सकता । दुनिया की सारी चीज़ें बिना गुरु के मिल सकती हैं किन्तु परमात्मा व प्रसन्नता कदापि नहीं । यह केवल गुरु है जो हमें विषयों से मुक्त करा सकता है और विषयों से मुक्त होना ही अमृत है जबकि विषयों में आसक्त होना मृत्यु है । अतः वास न छोड़ो वासना छोड़ो, काम न छोड़ो कामना छोड़ो ।
कथा समापन के पश्चात मुख्य यजमान श्री मोहन लाल गोयल ने एक भाव पूर्ण तथा संगीतमयी भजन प्रस्तुत किया । उसे सुनकर श्रोता गण झूम उठे । सर्वश्री तुलसी राम मिश्र, अलोक पांडेय, राज कुमार सिंह, नन्द किशोर महेश्वरी, मदन लाल रस्तोगी, मस्त राम, उमेश कुमार अग्रवाल, मदन अवस्थी, हृषिकेश मिश्र, रमाकांत गोयल, नागेश रस्तोगी, राकेश रस्तोगी आदि के द्वारा परम पूज्य गुरुदेव स्वामी परमानन्द जी महाराज का भव्य स्वागत किया गया ।
आज समापन के दिन पूज्य गुरुदेव का आशीर्वाद संक्षिप्त था ।उन्होने कहा आत्मा की तुलना आकाश से की जाती है । आत्मा रूपी आकाश वह चैतन्य है जो विना सूर्य या चंद्र के प्रकाश के सब कुछ देखता है और जनता है । उन्होने श्रोता समूह को संदेश के रूप में ज्ञान की अग्नि से मान के जल को सूखा देने की सलाह दी और स्वार्थ से उठकर सृष्टि के कल्याण के लिए कार्य करने को कहा ।
प्रस्तुति रमेश चन्द्र तिवारी
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