अखिल भारतीय साहित्य परिषद् - बहराइच

 


अखिल भारतीय साहित्य परिषद् सम्पूर्ण देश में साहित्यिक कार्यक्रमों के माध्यम से भारतीय परंपरा एवं जीवन पद्यति की वर्ष भर नई पीढ़ी को शिक्षा देता रहता तथा इस प्रकार उसे सुसंकृत करता रहता है। इसी क्रम में राम जानकी मंदिर, हमजापुर में अखिल भारतीय साहित्य परिषद् - बहराइच के तत्वावधान में व्यास पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा मनाई गई। उपस्थित भक्तों ने महर्षि वेदव्यास तथा अपने गुरु देवों की पूजा आरती की। साहित्य परिषद् की ओर से इस अवसर पर एक सरस काव्य गोष्ठी भी की गई जिसका आयोजन परिषद् के प्रांतीय उपाध्यक्ष गुलाब चन्द्र जायसवाल तथा जिलामहामंत्री रमेश चन्द्र तिवारी द्वारा के द्वारा किया गया। गोष्ठी परिषद् के जिलाध्यक्ष श्री शिव कुमार सिंह रैकवार जी की अध्यक्षता में संपन्न हुई जिसमें डा दिनेश त्रिपाठी शम्स मुख्य अतिथि थे। कवियों ने महर्षि वेदव्यास को समर्पित तथा गुरु महात्म्य पर आधारित गीत गाये। राष्ट्रीयता विषय के प्रसिद्द रचनाकार गुलाब चन्द्र जायसवाल ने महर्षि वेदव्यास का परिचय देते हुए पंक्तियाँ प्रस्तुत की "है वेद रचा और ब्रह्म सूत्र गीता जैसा अदभुद सुग्रंथ, पग-पग पर दर्शाया करते महाभारत हमको पूज्य पंथ। अंतिम भागवत पुराण रचा श्री वेदव्यास महान संत।" रुचि मटरेजा ने पावस गीत गाया "रिमझिम बारिश की फुहार, हम सब गायें मल्हार।" रमेश चन्द्र तिवारी ने गीता, भागवत पुराण के रचयिता तथा वेदों के विभाजन कर्ता महाराज व्यास जी की वंदना की "हे महाकवी, चिरकाल कवी, हे काव्य रूप कवि शिरोमणी, ज्ञान रूप हे महर्षि व्यास, हे कवि तारों में दीप्त रवी, तुमको नमन करूँ मैं पुनि-पुनि, नमन करूँ पुनि नमन करूँ।" विनय शुक्ल जीवन के यथार्थ को उजागर किया "चार पैसे, चार लोग, चार बातें, चार कंधे - बस यही जीवन।" शाश्वत सिंह पवार कविता पढ़ते हुए कहा "एक दिन तो झुकायेंगे अर्जुन का सर, सारे एकलब्य हैं साधना कर रहे।" विमलेश जायसवाल विमल ने अपनी कविता पढ़ी "जो प्रीति नहीं कर सकता घूंघट का व्यापार करे, बाहों को बदल-बदल कर जीने की लाचारी है।" डा दिनेश त्रिपाठी शम्स शेर पेश किया "खुद से यदि प्रारम्भ न हो बदलाव कोई, युग परिवर्तन के सारे अभियान अधूरे हैं।" शिव कुमार सिंह रैकवार ने अवधी गीत गाया "नभ के अँगनवाँ में ठुमके बदरिया, रंगधानी धरती के लहकै चुनरिया।" बैजनाथ सिंह भक्ति रचना प्रस्तुत की "मेरा सारा जीवन बीते सीताराम लिखते लिखते, मेरा प्राण जब भी निकले प्रभु राम रटते रटते।" राकेश कुमार रस्तोगी विवेकी सद्गुरु वंदना की "सारे तीरथ धाम आपके चरणों में, हे गुरुदेव प्रणाम आपके चरणों में।" डा अशोक गुलशन ने गजल पेश करते हुए शुरुवात की "बिना लिए गुरुदक्षिणा जो देता है ज्ञान, सच्चा शिक्षक है वही, शिक्षक वही महान।" छोटे लाल गुप्त ने भजन प्रस्तुत किया "जो लाखों की विगड़ी बनाई न होती, तो हमने ये अर्जी लगाई न होती।" सुभाषित श्रीवास्तव अकिंचन ने चाँद शेर पढ़े "चाहते हो अगर रोशनी, शमआ दिल की जला दीजिये।" इस अवसर पर पुण्डरीक पांडेय, प्रताप नारायण पाठक, बुद्धि सागर पांडेय, शिव प्रसाद आदि बहुत से श्रोता उपस्थित रहे।

रमेश चन्द्र तिवारी 945167312

Comments

Popular posts from this blog

आचार्य प्रवर महामंडलेश्वर युगपुरुष श्री स्वामी परमानन्द गिरी जी महाराज द्वारा प्रवचन - प्रस्तुति रमेश चन्द्र तिवारी

100th episode of PM Modi’s Man-ki-Baat

युगपुरुष स्वामी परमानन्द जी महाराज की अध्यक्षता में श्रीमद् भागवत