क्या चिंता तुम पिता हमारे !



तुम हो दीनानाथ तो
मैं भी दीन औ अनाथ ।
मैं क्यों दीन औ अनाथ
तुम जब मेरे नाथ !

मेरे बापू, मेरे राजा, मेरे दुख-सुख,
धन, मन, जीवन, मेरे सब कुछ !

मैं निर्धन माया बस तेरे,
निर्धन क्यों मैं तुम धन मेरे !

मैं निर्बल सब विधि तुम सक्षम,
अर्पण हूँ फिर मैं क्यों अक्षम !

मैं सनाथ हूँ हाथ तुम्हारे,
क्या चिंता तुम पिता हमारे !

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