अन्नकूट के शुभ पर्व पर सरस काव्य गोष्ठी
स्थानीय राम जानकी मंदिर - हमजापुर में प्रतिवर्ष की भांति मंदिर के संरक्षक विक्रम जायसवाल ने अन्नकूट के शुभ पर्व पर भंडारे का आयोजन किया । मंदिर परिसर में यह पारम्परिक त्यौहार सहकारिता मंत्री माननीय मुकुट बिहारी वर्मा जी की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ ।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद् बहराइच की और से इस अवसर पर एक सरस काव्य गोष्ठी भी की गई जिसका आयोजन परिषद के प्रांतीय मंत्री गुलाब जायसवाल एवं जिला महामंत्री रमेश चन्द्र तिवारी के द्वारा किया गया । गोष्ठी गुरु प्रसाद सिंह जायसवाल की अध्यक्षता में संपन्न हुयी जिसमें राधा कृष्ण शुक्ल पथिक मुख्य अतिथि एवं डा. राधेश्याम पांडेय व् डा. वेदमित्र शुक्ल विशिष्ठ अतिथि रहे । हजारी लाल कश्यप ने वाणी वंदना पढ़कर काब्य पाठ की शुरुवात की ।
कवि विनोद कुमार पांडेय ने पढ़ा : "पर्यावरण बचावो मेरे भैया जगह जगह विरवा लगावो मेरे भैया ।" अयोध्या प्रसाद नवीन ने अपनी कविता प्रस्तुत की : "आओ मिलकर हम चलें अब प्रगति पथ पर, शक्तिहीनों के ह्रदय में प्राण भर दें, फिर नए संसार का निर्माण कर दें ।" राकेश रस्तोगी विवेकी ने पढ़ा : "उलझ मत इन बहारों से बहारों का भरोसा क्या, सहारे छूट जाते हैं सहारों का भरोसा क्या ।" विमलेश विमल ने राष्ट्र प्रेम का गीत गया : "शहीदों की शहादत को नमन करता ये सर मेरा, हर कुर्बानी की चाहत को नमन करता ये सर मेरा ।" डा दीनानाथ विमल ने लोकगीत प्रस्तुत किया : "खुशियां अवधपुर में छायीं, जीत रण ए रघुराई ।" योगेंद्र योगी ने भक्ति रचना प्रस्तुत किया : "बड़े सौभाग्य से हमने अवध में जन्म पाया है, मातु सरयू के निर्मल नीर से मन खिलखिलाया है ।" कवि आशुतोष ने पढ़ा : "सच्ची दीपावली मानवो कर भीतर बहार उजियार, आया आया दीपों त्यौहार , आया आया दीपों त्यौहार ।" डा वेदमित्र शुक्ल ने सुन्दर सी कविता पढ़ी : "दीप जले शुभकामना, विघ्न टले शुभकामना, अन्धकार में भोर का स्वप्न फले शुभकामना ।" राधाकृष्ण पथिक जी ने अपने प्रसिद्द गीत को गाते हुए कहा : "अनगिन जनम पियासे बीते, मिटी न प्यास अधीर जिया की, बादल मिले, मिले न मिले से डूब गयी गरिमा नदिया की ।" डा राधे श्याम पांडेय जी ने सरस छंदों से लोगों को मुग्ध किया : "लाल निहारत कुञ्ज कुटीर में, प्राण प्रिय मुख दिव्य लुनाई, बाल विलोकत लाडले को वदनाम्बुज की सुमनोहरताई ।" राष्ट्र प्रेम की रचनावों के लिए प्रसिद्द कवि गुलाब जायसवाल ने हनुमान वंदना पढ़ा : "देश की ख़ुशी में शोक शत्रु की ख़ुशी में हर्ष मना रहे जो, खेद खेद मारो हनुमान जी , पाक के हितैषी रहे आज भी निकृष्ट ही हैं, मार मार गदा से सुधारो हनुमान जी ।" रमेश चन्द्र तिवारी ने पढ़ा : "जीवन जिसमें आहें न हों, जीवन जिसमें राहें न हों, ऐसा जीवन मरा हुआ है, उत्तर-दक्षिण पड़ा हुआ है ।"
रमेश चन्द्र तिवारी 945167312
अखिल भारतीय साहित्य परिषद् बहराइच की और से इस अवसर पर एक सरस काव्य गोष्ठी भी की गई जिसका आयोजन परिषद के प्रांतीय मंत्री गुलाब जायसवाल एवं जिला महामंत्री रमेश चन्द्र तिवारी के द्वारा किया गया । गोष्ठी गुरु प्रसाद सिंह जायसवाल की अध्यक्षता में संपन्न हुयी जिसमें राधा कृष्ण शुक्ल पथिक मुख्य अतिथि एवं डा. राधेश्याम पांडेय व् डा. वेदमित्र शुक्ल विशिष्ठ अतिथि रहे । हजारी लाल कश्यप ने वाणी वंदना पढ़कर काब्य पाठ की शुरुवात की ।
कवि विनोद कुमार पांडेय ने पढ़ा : "पर्यावरण बचावो मेरे भैया जगह जगह विरवा लगावो मेरे भैया ।" अयोध्या प्रसाद नवीन ने अपनी कविता प्रस्तुत की : "आओ मिलकर हम चलें अब प्रगति पथ पर, शक्तिहीनों के ह्रदय में प्राण भर दें, फिर नए संसार का निर्माण कर दें ।" राकेश रस्तोगी विवेकी ने पढ़ा : "उलझ मत इन बहारों से बहारों का भरोसा क्या, सहारे छूट जाते हैं सहारों का भरोसा क्या ।" विमलेश विमल ने राष्ट्र प्रेम का गीत गया : "शहीदों की शहादत को नमन करता ये सर मेरा, हर कुर्बानी की चाहत को नमन करता ये सर मेरा ।" डा दीनानाथ विमल ने लोकगीत प्रस्तुत किया : "खुशियां अवधपुर में छायीं, जीत रण ए रघुराई ।" योगेंद्र योगी ने भक्ति रचना प्रस्तुत किया : "बड़े सौभाग्य से हमने अवध में जन्म पाया है, मातु सरयू के निर्मल नीर से मन खिलखिलाया है ।" कवि आशुतोष ने पढ़ा : "सच्ची दीपावली मानवो कर भीतर बहार उजियार, आया आया दीपों त्यौहार , आया आया दीपों त्यौहार ।" डा वेदमित्र शुक्ल ने सुन्दर सी कविता पढ़ी : "दीप जले शुभकामना, विघ्न टले शुभकामना, अन्धकार में भोर का स्वप्न फले शुभकामना ।" राधाकृष्ण पथिक जी ने अपने प्रसिद्द गीत को गाते हुए कहा : "अनगिन जनम पियासे बीते, मिटी न प्यास अधीर जिया की, बादल मिले, मिले न मिले से डूब गयी गरिमा नदिया की ।" डा राधे श्याम पांडेय जी ने सरस छंदों से लोगों को मुग्ध किया : "लाल निहारत कुञ्ज कुटीर में, प्राण प्रिय मुख दिव्य लुनाई, बाल विलोकत लाडले को वदनाम्बुज की सुमनोहरताई ।" राष्ट्र प्रेम की रचनावों के लिए प्रसिद्द कवि गुलाब जायसवाल ने हनुमान वंदना पढ़ा : "देश की ख़ुशी में शोक शत्रु की ख़ुशी में हर्ष मना रहे जो, खेद खेद मारो हनुमान जी , पाक के हितैषी रहे आज भी निकृष्ट ही हैं, मार मार गदा से सुधारो हनुमान जी ।" रमेश चन्द्र तिवारी ने पढ़ा : "जीवन जिसमें आहें न हों, जीवन जिसमें राहें न हों, ऐसा जीवन मरा हुआ है, उत्तर-दक्षिण पड़ा हुआ है ।"
रमेश चन्द्र तिवारी 945167312
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