रक्षाबन्धन 2020
आदमी आदमी की खुशी निगल गया,
सीने में प्यार पिघल कर बह गया ।
सारे संसार की सत्ता पर धीरे धीरे
राक्षस पिसाच का फिर कब्जा हो गया ।
असूरों के हाथों में बम है बीमारी है,
जनता बेचारी के हक में लाचारी है ।
कितनी भयानक हो गयीं है हवाएँ आज,
बहनों की राखी में भी कितनी दुश्वारी है ।
लेकर त्रिशूल हे महादेव आ जाओ !
तेरे भक्तों पर विपत्ति बहुत भारी है ।
रक्षाबन्धन के शुभ अवसर पर द्रवित हृदय से शुभ कामनाएँ !
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