Saturday 25 July 2020

माल वरना विकेगा नहीं





दुनिया कितनी अजबो-गजब हो गयी
हाल-चाल लेने में भी धंधा कर गयी ।

नया कुछ बना लिया यह काफ़ी नहीं,
लोगों में ज़रूरत की ज़रूरत है पहले,
माल कैसा भी हो वरना विकेगा नहीं ।

मौत के ख़ौफ़ से बाज़ार बन सकता है,
लाशों के ढेर से ही कफ़न बिक सकता है,
फैला दो जहर इस जहाँ में यहाँ वहाँ,
नहीं तो दौलत से खजाना भरेगा नहीं !


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