माल वरना विकेगा नहीं





दुनिया कितनी अजबो-गजब हो गयी
हाल-चाल लेने में भी धंधा कर गयी ।

नया कुछ बना लिया यह काफ़ी नहीं,
लोगों में ज़रूरत की ज़रूरत है पहले,
माल कैसा भी हो वरना विकेगा नहीं ।

मौत के ख़ौफ़ से बाज़ार बन सकता है,
लाशों के ढेर से ही कफ़न बिक सकता है,
फैला दो जहर इस जहाँ में यहाँ वहाँ,
नहीं तो दौलत से खजाना भरेगा नहीं !


Comments

Popular posts from this blog

100th episode of PM Modi’s Man-ki-Baat

आचार्य प्रवर महामंडलेश्वर युगपुरुष श्री स्वामी परमानन्द गिरी जी महाराज द्वारा प्रवचन - प्रस्तुति रमेश चन्द्र तिवारी

युगपुरुष स्वामी परमानन्द जी महाराज की अध्यक्षता में श्रीमद् भागवत