सहमी ज़मीं जहाँ मायूस हो गया
चिंडियों की चहक गायब है,
बंदरों की उछल-कूद गायब है,
अब तो कुत्ते भी जी भर
नहीं भौकते,
आदमी जिंदा है उसकी
जिंदगी गायब है ।
त्योहार आते हैं चले जाते
हैं,
लोग मरते हैं मर जाते हैं,
अब तो पता ही नहीं चलता
कब क्या हुआ,
आँसू बनने से पहले ही सूख
जाते हैं ।
जामाना बेरहम हो गया,
दिल सूख कर दिमाक बन गया,
कुछ घिनौनो ने ऐसा कुछ कर
दिया,
सहमी ज़मीं जहाँ मायूस हो
गया ।
- Ramesh Chandra Tiwari
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