कांग्रेस देश के बर्वादी की जड़ है

शायद ही कोई ऐसा देश रहा हो जो ब्रिटिश कालोनी नहीं था | एक समय आया जब एक के बाद दूसरे आज़ाद होने लगे | जो भी देश आज़ाद हुआ उसकी प्राथमिकता नागरिकों की शिक्षा थी | इस तरह शिक्षित नागरिक अपने देश को सशक्त व विकसित करने में लग गये | परन्तु जब हिन्दुस्तान आज़ाद हुआ तो यहाँ एक परिवार ने सदैव सत्ता में बने रहने को प्राथमिकता दी और देश के नागरिकों को इसलिए अशिक्षित बनाए रखा ताकि वे उसकी सस्ती और समाज बाँटने की राजनीति के जाल से बाहर न निकल सकें | परिणाम यह हुआ कि आज अशिक्षा की वजह से देश जनसंख्या के भार से दब चुका है : वेरोज़गारी, अव्यवस्था, सामाजिक घृणा, तुष्टिकरण की राजनीति, भुखमरी, बीमारी - अब इन सबका कोई इलाज़ नहीं है | ईश्वर ही इस देश को चला सकता है, मनुष्य के वश से सब कुछ निकल चुका है |

अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार क़ानून सही अर्थों में राष्ट्रीय अत्याचार क़ानून है क्योंकि इससे किसी का भला नहीं होने वाला है बल्कि आराजकता, हिंसा, उत्पीड़न देश में जंगल के आग की तरह फैल जाने की पूरी संभावना है | इस तरह के जितने क़ानून हैं वे सभी कांग्रेस माता के या तो पुत्र हैं या तो उसके पौत्र हैं | बीजेपी को तो इन सब ने मजबूर किया | फिर भी बीजेपी को हमने इसलिए चुना था कि वह देश को ऐसी समाज विरोधी चीज़ों से मुक्त करे और स्वस्थ प्रशासन स्थापित करे | सारा क़ानून यदि वोट है तो देश का भविष्य भयानक आराजकता है | मात्र सौ रुपये की बोतल और एक हँसता, मुस्कराता परिवार नष्ट | यदि यही स्थिति रही तो देश के पास प्रजातंत्र के अतिरिक्त किसी दूसरी व्यवस्था के अन्वेषण के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं बचेगा |

प्रधान मंत्री मोदी ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया और अपने उद्देश्य मे सफल भी रहे लेकिन इस बार एससी\एसटी क़ानून के मामले पर कांग्रेस व वामपंथियों ने बीजेपी को ऐसी पटकनी दी है कि उसकी स्थिति साँप और छछून्दर जैसी हो गयी है - न उगला जाय न निगला जाय | मुझे तो इस क़ानून को क़ानून कहना भी उचित नहीं लगता क्योंकि यह तो क़ानून का विलोम है | यहाँ पर तो यह लगता है हिन्दू एक ऐसा समाज है जो कभी एक नहीं हो सकता और यह देश पर अधिक दिनों तक राज नहीं कर सकता है | हिन्दू के तीन मुख्य भाग हैं : दलित, पिछड़ा और सवर्ण | स्वतंत्रता का असली लाभ केवल कुछ तथाकथित दलित कहे जाने वाले लोगों को मिला क्योंकि वे पहले से ही राजनीतिक, सामाजिक और बौधिक रूप से संपन्न थे | इसी तरह कुछ बचा-कुचा लाभ कुछ तथाकथित पिछड़ों को मिला | वास्तविक दलित अब भी दलित हैं, वास्तविक पिछड़े अब भी पिछड़े हैं | सवर्णों का तो सब कुछ चला गया फिर भी यह वह वर्ग है जो १५ अगस्त और २६ जनवरी को सबसे अधिक उत्साह से मानता है और प्यार से बन्दे मातरम कहता है | अब देखो, लाभ नही अपने देश में अपनी सुरक्षा के लिए इसके पास एक किला था जिसका नाम बीजेपी है अब उसने भी कह दिया कि तुम्हारा घर भारतीय समाज में नहीं है बल्कि जेल में है | हिन्दू को एक करने आए थे उन्होने हिन्दू को इस तरह बाँटा कि इतिहास में कभी किसी ने इतनी गहरी खाई नहीं खोदी थी | दलित सवर्णों के प्रति घृणा का साहित्य बहुत पहले से लिख रहा है | कांग्रेस ने तहे दिल से इसको प्रोत्साहित किया - ऐसे साहित्य को पाठ्यक्रम में शामिल किया, ऐसे साहित्यकारों को पुरस्कृत किया और इस तरह न जाने क्या क्या किया | फिर भी हिंदू धर्म एक ऐसा जोड़ था जो इन तीनों वर्गों को अभी तक जोड़े रहने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा था | अब क़ानून पर क़ानून ने उस पर भी पानी फेर दिया है | जल्दी ही दक्षिण में एक पुस्तक प्रकाशित हुई है जिसके मुख्य पृष्ठ पर दर्शाया गया है कि बाबा साहेब ने भगवान राम और लक्षण को पेड़ से बाँध दिया और वे उन पर कोडे वर्षा रहे हैं | दुख है इस तरह हिन्दू एकता हो रही है | वह दिन दूर नहीं है जब ये हिन्दू तब तक लड़ते रहेंगे जब तक पाकिस्तान इस पर कब्जा करके शासन करने लगेगा | उसके बाद ये सभी शान्त हो जाएँगे और खून में व्याप्त गुलामी के आनन्द में पुनः मस्त हो जाएँगे |

कुछ लोग कहते हैं कि हिन्दू एकता के लिए एससी / एसटी पर और कठोर क़ानून लाने की आवश्यकता थी | मुझे ऐसे दार्शनिकों पर हँसी आती है | बीजेपी कोई फोरम नहीं है जहाँ सारे हिंदू आकर गले मिलेंगे | यदि हिंदू को सच में एक करना है तो सबसे पहले आरक्षण सहित ऐसे सभी अधिनियम समाप्त करने होंगे क्योंकि ये सभी कांग्रेस के घातक हथियार हैं जिससे वह समाज को हमेशा से बाँटती रही है | अब बात आई दलित उत्थान व उसकी सुरक्षा की : हिंदू समाज के प्रत्येक ग़रीब (चाहे जिस जाति का हो) को शिक्षित कर दो फिर उसे सरकारी नौकरियों में वरीयता दे दो दलित उत्थान अपने आप हो जाएगा | जहाँ तक उनकी सुरक्षा का सवाल है |देश का क़ानून हर नागरिक को सुरक्षित व उसके अधिकारों की रक्षा के लिए है जब वह किसी को सुरक्षित नहीं कर पा रहा है तो क्या क़ानून में क़ानून बना कर किसी को सुरक्षित किया जा सकता है ? बाबा साहब के बनाए क़ानूनों का लाभ दलित के चार प्रतिशत लोगों को ही मिल पाया है और कांग्रेस बाद में बीएसपी ने उन्हें अपने प्रचारक के रूप में हथिया लिया है | वे अब किसी दूसरी ओर नहीं जा सकते वरन उनके मुख से निकले विष हिंदू समाज के टुकड़े टुकड़े करते रहेंगे | यदि और कुछ अधिक नहीं कर सकते हो तो कम से कम ऐसे क्रीमीलियर को सामान्य के साथ कर दो और उन्हीं के समाज के बाकी लोगों को आगे आने का मौका दे दो इससे भी हिंदू समाज जुड़ सकता है |

जो लोग टीवी देखकर इस विश्वास में हैं कि हिन्दुस्तान एक शक्तिशाली अर्थव्यवस्था व सैन्य शक्ति है वे भ्रम में हैं या से करने लग जाएँ | इसकी वजह सॉफ है कि एशिया के ये विकसित देश बोझ लादकर चलने वालों में से नहीं हैं | इनके प्रत्येक नागरिक समान अधिकार और समान योगदान की परम्परा में जीते हैं | इसके विपरीत हिन्दुस्तान| हाँ, यूपीए की तुलना में अब ज़रूर सुदृढ़ हुए हैं किन्तु इतना भी नहीं कि हम अपनी तुलना चीन, जापान, कोरि की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा देश के सिर पर एक भार की तरह है जिसे ढोना देश की मजबूरी है, जिसे खैरात देना देश की मजबूरी है क्योंकि प्रजातंत्र जो है | कहते हैं चीन भी हमसे मात खाएगा |अरे भाई, एक पहलवान स्वतंत्र है और दूसरा सौ किलो का वजन बाँध कर लड़ा रहा है कौन जीतेगा ? फिर दूसरी तरफ जिस खेत में चूहे लग गये हों उसमें अनाज ही होना है | वह खैराती वजन और ये भ्रष्टाचारी चूहे ये इतने शक्तिशाली हैं कि आप अपना मुँह भी नहीं खोल सकते |

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