Saturday 7 November 2015

जै मैया !




माँ के आँचल में पलते पर

उसको अलग समझते हैं

माँ के दर्शन उनको होते

माँ भक्ति जो करते हैं



सागर तेरे चरण धुलें माँ

चँवर डुलावे पुरवाई

दिशा दिशाएं कीरति गावें

वन बागों की शहनाई

धरती पर सब तेरे बच्चे

उछल-कूद माँ करते हैं

माँ के दर्शन उनको होते

माँ भक्ति जो करते हैं



सारा नभ दरबार सज़ा माँ

सूर्य चंद्र से आलोकित

निशा दिवस पहरे देते हैं

तारों से मण्डप शोभित

मेघों के संगीत सुहाने

मन मोहित कर लेते हैं

माँ के दर्शन उनको होते

माँ भक्ति जो करते हैं



माँ के आँचल में पलते पर

उसको अलग समझते हैं

माँ के दर्शन उनको होते

माँ भक्ति जो करते हैं

- रमेश चन्द्र तिवारी

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