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Showing posts from 2016

Atal Bihari Bajpai

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Saraswati Shishu Mandir, Gorkhibara, Gwalior has the honour of schooling a child that succeeded in putting a brilliant example of the politics that wooed principles and probity. The promising boy grew up and graduated from Victoria (now Laxami Bai) College with distinction in Hindi, Engilish and Sanskrit. Finally, DAV College Kanpur developed this boy as a master politician by awarding a first-class degree in Political Science. This well-educated young man was born to Krishna Devi and Krishna Bihari Bajpai on 25 December 1924. His ancestral village is Bateshwar, UP from where his grandfather Pt Shyam Lal Bajpai had migrated to Gwalior. Now we are proud of our immortal leader, prominent statesman, fabled poet and our 10th Prime Minister, Atal Bihari Bajpai. He had his own energy that lifted him to the top seat of responsibility. This is why he represented the common people and not to a particular class. Like our much loved Prime Minister Sri Lala Bahadur Shastri, he has bee...
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३१वाँ भक्ति , योग वेदांत सम्मेलन , हीरा सिंह लान , बहराइच – एक रिपोर्ट अनंत श्री विभूषित आचार्य प्रवर युग पुरुष स्वामी परमानन्द गिरी जी महाराज की अध्यक्षता में तथा साध्वी चैतन्य सिन्धु जी के संचालन में भक्ति , योग वेदांत सम्मेलन - हीरा सिंह लान , बहराइच की पहली सभा दिनांक 7 दिसम्बर 2016 बुधवार , सायं 6.00 बजे से प्रारंभ हुई | मानवता का कल्याण चित्रकूट की पावन धारा से पधारे महामंडेलेश्वर स्वामी जगत प्रकाश त्यागी जी महराज ने राम कथा के माध्यम से श्री राम के आदर्श को जीनव में अपनाने की प्रेरणा प्रदान की | महामंडलेश्वर बाल योगी स्वामी ज्योतिर्मायानंद जी ने कहा क़ि सभी प्रकार के दानों में विद्या दान (ब्रह्म ज्ञान) सर्वश्रेष्ठ दान है | इस दान से मनुष्य जन्म मरण के चक्र से छुटकारा पा जाता है | इस अवसर पर स्वामी श्राद्धनंद , स्वामी निर्मायानंद जी ने भी अपने उदगार व्यक्त किए | बृंदावन की साध्वी समाहिता जी ने भगवान के अमृत भजनों से सबको भक्ति रस से सराबोर किया | अगले दिन से प्रातः काल 6.30 से 8.00 बजे तक योगासन , प्राणायाम और ध्यान यगिराज प्रोफ़ेसर प्रेम चन्द्र मिश्र के द्वारा ...

डिजिटल भुगतान

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एक ग्रामीण गुड बनाने के कारखाने में देर रात को भट्टी बुझ चुकी थी और कढ़ाई खाली पड़ी थी | कुछ मेढक कूदते-कूदते आए उस खाली कढ़ाई में बैठ गये , कढ़ाई ठंढी थी | सुबह हुआ कि भट्टी झोकने वाला आ गया | उसने गूले में आग डाली और ईधन झोकना शुरू कर दिया | कढ़ाई के गरम होते एक मेढक कूद कर बाहर निकल गया | कढ़ाई कुछ और गरम हुई , कुछ और मेढक भी कूद कर बाहर निकल गये | उनमें से एक आलसी मेढक था जिसने सोचा बाहर ठंढक में क्या जाना इसकी गर्मी में तो आनंद है | वह बैठा रह गया | कढ़ाई अचानक इतनी गरम हो गई कि उसके पंजे झुलस गये | अब वह कोशिश करके भी बाहर नहीं निकल सका |   उसमें जब रस डालने वाले आए तब उन्होने उस मेढक को देखा जो जलकर सूख चुका था | तात्पर्य यह है कि मोदी सरकार मौज से बैठने वाली सरकार नहीं है - उसे युग परिवर्तन करना है | अतः डिजिटल भुगतान के लिए आख़िर बाध्य होना ही पड़ेगा तो अभी से क्यों नहीं | परिवर्तन प्रारंभ में दुखदाई होता है लेकिन बाद में वही एक नई व और अधिक सूबिधा जनक सभ्यता के रूप में उभर आता है | यूपीए की अलसाई नीतियाँ भूलो और मोदी जी की कर्म प्रधान नीतियों को समय रहते स्व...

Love and Beauty

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Often in my mind’s eye, I see something ethereal, gorgeously warm, Rising from a dream sculpture Then travelling through the cold air. It comes to me; But when it percolates through my mind, It feels warmer and I am then not what I am – I am a bronze, I am then not in the world – I am in the celestial world where Nothing exists except love and beauty, I am then not living a life But drinking immortality In gloriously maudlin hours. -Ramesh Tiwari 

स्वच्छ भारत अभियान पर एकांकी

पहला दृश्य ( शहर का एक मोहल्ला जो पूरे शहर में एक आदर्श बस्ती के रूप में जाना जाता है । सभी मोहल्ला वासी अपने-अपने घरों की तथा आस-पास की सफाई के प्रति पूरी तरह जागरूक हैं । सॉफ-सुथरी गलियाँ हैं और नालिया कहीं भी चोक नहीं हैं । किसी भी दीवाल पर कहीं एक धब्बा या धूल नज़र नहीं आती । सार्वजनिक जगहों जैसे पार्क , स्कूल इत्यादि मे सुलभ शौचालय उपलब्ध हैं । सभी अच्छे कपड़े पहनते हैं और मेहनत से अपने व्यवसाय में लगते हैं ताकि किसी प्रकार के आभाव का सामना न करना पड़े । सुबह का समय है । उसी मोहल्ले की एक गली है जिसमें मोहल्ले का ही एक युवक जिसका नाम प्रतीक है अपनी मोटर साइकिल से गुजर रहा है । इतने में अचानक एक छत से निकली एक पाइप से पानी की धारा नीचे नाली में गिरती है और छीटें उछलकर उसके कपड़े गन्दा कर देती हैं । वह अपनी बाइक को एक किनारे खड़ा कर देता है । ) प्रतीक : ( ऊपर देखते हुए ) ओय भल्लू , तू कभी नहीं सुधरेगा । आ देख , मेरे नये कपड़ों की क्या हालत हुई है । आज वैसे भी देर से हूँ । अब बता अपने काम पर समय से कैसे पहुचूँ ? भल्लू : ( अपने छत से नीचे देखते हुए ) परती , तू बह...