३१वाँ भक्ति, योग वेदांत सम्मेलन, हीरा
सिंह लान,
बहराइच – एक रिपोर्ट
अनंत श्री
विभूषित आचार्य प्रवर युग पुरुष स्वामी परमानन्द गिरी जी महाराज की अध्यक्षता में
तथा साध्वी चैतन्य सिन्धु जी के संचालन में भक्ति, योग वेदांत
सम्मेलन - हीरा सिंह लान, बहराइच की पहली सभा दिनांक 7 दिसम्बर 2016 बुधवार, सायं 6.00 बजे से प्रारंभ हुई |
मानवता
का कल्याण चित्रकूट की पावन धारा से पधारे महामंडेलेश्वर स्वामी जगत प्रकाश त्यागी
जी महराज ने राम कथा के माध्यम से श्री राम के आदर्श को जीनव में अपनाने की
प्रेरणा प्रदान की | महामंडलेश्वर बाल योगी स्वामी
ज्योतिर्मायानंद जी ने कहा क़ि सभी प्रकार के दानों में विद्या दान (ब्रह्म ज्ञान)
सर्वश्रेष्ठ दान है | इस दान से मनुष्य जन्म मरण के चक्र से
छुटकारा पा जाता है | इस अवसर पर स्वामी श्राद्धनंद, स्वामी
निर्मायानंद जी ने भी अपने उदगार व्यक्त किए | बृंदावन की साध्वी समाहिता जी ने भगवान
के अमृत भजनों से सबको भक्ति रस से सराबोर किया |
अगले दिन से प्रातः काल 6.30 से 8.00
बजे तक योगासन, प्राणायाम और ध्यान यगिराज प्रोफ़ेसर प्रेम
चन्द्र मिश्र के द्वारा प्रतिदिन कराया गया | उसी सत्र में समाधि के अनिर्वचनीय आनंद की
अनुभूति पूज्य गुरुदेव स्वामी परमानंद जी के मार्ग दर्शन में भी हुए | इस प्रकार ये कार्यक्रम रविवार, 11 दिसम्बर 2016 की अंतिम सभा के पश्चात समाप्त हुए |
इस पन्च दिवसीय सम्मेलन की विभिन्न
सभाओं को संबोधित करते हुए पूज्य सद्गुरुदेव भगवान ने अध्यात्म के अलग-अलग विषयों
पर चर्चा की | उन्होने "परमात्मा क्या है और
मृत्यु क्या है ?" विषय पर व्याख्या करते हुए कहा मैं जो कह रहा
हूँ वह किसी जाति, धर्म देश विशेष के लिए नहीं है अपितु संपूर्ण
मानवता के लिए है | बहुधा लोग तुमसे मतलब शरीर से लगाते हैं जो
बचपन, जवानी और बुढ़ापे को प्राप्त होते हैं पर तुम
वास्तव में वह हो जो बचपन, जवानी और बुढ़ापे में रहता है और देह छूट जाने
के बाद भी रहेगा |
परमात्मा देह नहीं वह है जो प्रत्येक देहधारी
में है, जो जागृत, स्वप्न
और सुषुप्ति में रहता है | बचपन, यौवन या बुढ़ापा प्रकृति के धर्म हैं | मृत्यु
देह छोड़ना नहीं देहाभिमान छोड़ना है | ब्रह्म को जानने वाला ब्रह्म हो जाता
है | नींद परमात्मा की बड़ी देन है | यदि
नींद न आए तो पागल हो जाएँ | जैसे आप नींद में चले जाते हो उसी प्रकार एक
शरीर से दूसरे शरीर में चले जाते हो | गहरी नींद में पापी, पुन्यात्मा, ग़रीब
अमीर सब बराबर होते हैं | अतः सुख से कौन सोता है वही जो समाधि में है | बिना
नींद के जो सो जाय वह परमात्मा में स्थित होता है | सुषुप्ति
में कोई वर्तमान नहीं होता | प्रकृति के पार ले जाने वाली भागवत कथा, राम कथा और गीता का ज्ञान है | भगवान
की कथा कहने वाला मुक्त होता है |
पूज्य गुरुदेव ने "हिन्दू धर्म में वेद सम्मत बात
ही मान्य है" विषय पर चर्चा की | उन्होने कहा
कि हम गीता तथा राम चरित मानस को इसलिए मानते हैं क्योंकि वेद सम्मत है | उपनिषद् रूपी
गाय का अमृतमय दूध गीता है, अर्जुन बछड़ा है और उस
दूध को दुहने वाला ग्वाला भगवान कृष्ण हैं | अब इस दूध को जो पीता
है वही सुधी जन हैं | परमात्मा का अपरोक्ष ज्ञान हिंदू धर्म के ग्रंथों के
द्वारा ही हो सकता है | एक ही देव है जो सभी
प्राणियों में स्थित है | वह अविभक्त है परंतु
प्राणियों में विभक्त सा दिखता है | समान अग्नि सब में है, एक ही चेतना
सब में है | यह हमारा भ्रम है कि हम उसे अलग-अलग समझते हैं | जो सब में एक
ही परमात्म तत्व का दर्शन करता है वही वास्तव में देखता है | मैं मरता, जन्म लेता
नहीं हूँ इस रहस्य को विरले ही जानते हैं | प्रकृति और पुरुष
अनादि हैं और यह सृष्टि प्रकृति और पुरुष द्वारा हुई है |
परम
पूज्य सद्गुरुदेव ने कहा कि कर्म
के द्वारा प्राप्त होने वाला प्राप्त अनित्य और क्षणिक होता है और अंत में दुख
देता है | अकृत वह है जो कृत से प्राप्त नहीं होता | जैसे घड़े को प्राप्त करने के लिए
कार्य की आवश्यकता है परंतु मिट्टी को किसी कार्य से प्राप्त नहीं किया जा सकता | नारायण ने ब्रह्मा को चतुश्लोकी भागवत
सुनाते हुए कहा कि सृष्टि के आदि में मैं था | मेरे अलावा कुछ भी नहीं था | मनुष्य की इच्छा की जब पूर्ति होती है
तो प्रसन्नता होती है और जब इच्छा की पूर्ति नहीं होती है तब वह निराश होता है | संसार की समस्त उपलब्धियों में भय व्याप्त है केवल वैराग्य ही अभय
प्रदान करने वाला है क्योंकि उससे मुक्ति प्राप्त होती है | फिर
भी मनुष्य की यात्रा स्वार्थ से परमार्थ
की प्रेरणा प्रदान करती है | यदि यह पक्का ज्ञान हो जाय कि ईश्वर है, सर्वग्य
है, सर्वशक्तिमान है, कर्म फल का प्रदाता है तो संसारिक जीवन
बुरा नहीं हो सकता |
वह
बुरा तब होता है जब आप इस ज्ञान के बिना संसारिकता में लिप्त होते हैं, आप भयभीत होते हैं, निराश होते हैं और कई बार आप अवसाद के
शिकार हो जाते हैं |
'स्वामी
परमानंद शिक्षा निकेतन, खम्हरिया शुक्ल’
बहराइच जनपद के
तहसील महसी में खम्हरिया शुक्ल स्थित 'स्वामी परमानंद शिक्षा निकेतन' ने शनिवार, 10
दिसम्बर 2016 को
अपने संस्थापक परम
पूज्य स्वामी परमानंद जी महाराज की अध्यक्षता में अपना वार्षिकोत्सव बड़े ही
धूम-धाम से मनाया | पूज्य गुरुदेव की कृपा से विद्यालय
ने बड़ा विकास किया है | इस विद्यालय में भव्य भवन, बाग, खेल का मैदान इत्यादि सब कुछ है | विद्यालय में 12 अध्यापक हैं और लगभग 300 बच्चे निःशुल्क विद्या प्राप्त कर रहे हैं | विद्यालय में
अभी प्राथमिक स्तर तक की कक्षाएँ चल रही हैं |
इस महोत्सव में
शामिल नागरिकों भीड़ बड़ी प्रसन्न व उत्साहित थी | “स्वामी परमानंद
जी महाराज की जै” घोस के साथ लोगों ने गुरु के आगमन का
स्वागत किया | संगीत शिक्षक श्री आशुतोष पांडे के निर्देशन में विद्यालय के
छोटे-छोटे छात्रों ने बड़े ही सुंदर सास्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जिसमें गुरु
बँदना, नोट बंदी एकांकी, स्वच्छ भारत एकांकी, रमेश चंद्र तिवारी द्वारा रचित अँग्रेज़ी में गुरु बन्दना जिसे एक
नन्हें से बचे ने प्रस्तुत किया, गणपति बप्पा लोक नृत्य, हिन्दी व अँग्रेज़ी में संबाद, कविता का पाठ
शामिल हैं | बच्चियों ने लोकगीत एवं लोकनृत्य का अद्भुत प्रदर्शन किया | संगीत अध्यापक ने इन कार्यक्रमों का संचालन किया |
गुरुदेव ने भाग लेने वाले बच्चों को
पुरस्कृत किया और अपने संबोधन में कहा कि मैने कभी सोचा न था कि यहाँ इस पिछड़े क्षेत्र में विद्यालय भी होगा | ब्राहण श्री सोहल लाल शुक्ल ने ज़मीन दी, हमने ब्रिक्ष
लगाए और आज यहाँ शिक्षा निकेतन चल रहा है | उनके वरद पुत्र
श्री नित्यानंद जी महाराज आज यहाँ विराजमान हैं | हम हृदय से
बहराइच के लोगों को कोटिशा साधुवाद देते हैं जिनके उदार सहयोग से विद्यालय चल रहा
है |
अंत में
उन्होने जन्मंगल के लिए माननीय प्रधान मंत्री जी की प्रसंसा करते हुए कहा कि काला
धन निकालने के लिए उन्होने बहुत बड़ा कदम उठाया है राष्ट्र को उनका सहयोग करना
चाहिए | अब हम परम्परागत मार्ग पर चलते हुए दुनिया के साथ नहीं चल सकते |
पुरुषोत्तम दास
अग्रवाल, कैलाश
नाथ डालमियां, शीतल प्रसाद, कुलभूषण
अरोरा, मोहन लाल गोयल, रमाकान्त गोयल,
विजय यादव, रमेश तिवारी, राकेश रस्तोगी, नागेश, मदन लाल रस्तोगी, अशोक
मतन्हेलिया, बी. के सिंह, मुरली मनोहर मातन्हेलिया, मनीष अग्रवाल, गजानन अग्रवाल, सीता राम केडिया, आदि अखंड परंधाम समिति के
सदस्यों ने गुरुदेव का मल्यार्पण करके स्वागत किया और श्री हरिनाथ प्रसाद मिश्र (प्रधानाचार्य), श्री
अनिल कुमार बाजपेयी (सहायक प्रधानाचार्य),
तथा अध्यापक गण सर्वश्री राकेश कुमार श्रीवास्तव, सुशील कुमार बाजपई, भीमसेन
बाजपई, पंकज कुमार शुक्ल, वीरेंद्र कुमार गौड़, दिव्यलोक
श्रीवास्तव, श्रीमती मीना श्रीवास्तव ने व्यवस्था संभाली | इस तरह कार्यक्रम सफलता पूर्वक सम्पन हो गया |
A Prayer to GurudevBy Rmesh Tiwari
A
green, green garden we entered,
Glorious
though, we felt disturbed
Because
of fear of the unknown.
It
looked like some alien zone.
Names
of flowers, trees and plants
We
learnt from our dads and moms.
The
world in classrooms then unveiled;
Life
engaged us in its field.
All
was dark yet all was dark,
Course
mysterious, no spark
Until
we bathed in thy light,
In
thy beauty blessed and bright.
To
thy feet, we make deep bows.
Make
us bloom like morning rose.
O
Gurudev, O the soul divine!
Shade
us by thy hand benign.
प्रस्तुति, रमेश चन्द्र तिवारी
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