नेता प्रतिनिधि की सरकार
‘नेता प्रतिनिधि की सरकार’ शीर्षक कविता की रचना मैने 28 अप्रैल 1988 को की थी | यह हिन्दुस्तान में नेताओं की बाढ़ पर
एक चटपटा व्यंग्य है |
नेता प्रधान यह देश
जहाँ नेता से नेता बनता है
सच पूछो तो भाई सुन, लो नेता सारी
जनता है |
दो नस्लों के नेता
जिसमें पहला भाषण देता है
और दूसरा ध्यानपूवक
जमकर उनको सुनता है |
दोनो खूब मेहनती हैं
वे ड्वूटी तगड़ी करते हैं
व्यर्थ समय न जाने
देते भाषण देते सुनते हैं |
भीख माँगने से लेकरके
बड़े-बड़े व्यापारों तक
साइड जाब को करते-करते
वेचारे जाते हैं थक |
लड़ने और लड़ाने में
नेता दोनों ही माहिर हैं
नीति विदेशी अमरीकी या
रूसी सबके काबिल हैं |
हिंदू, सिख, मूसलमां सारे
सुनने वाले नेता हैं
लेक्चर उन्हें सुनाने
वाले टोपी धारी नेता हैं |
भाषण जब तक देते रहते
दंगे नहीं उभड़ते हैं
आख़िर थकना पड़ता है
तब खून के नाले बहते हैं |
सुनो भाइयों सुन लो, नेता फिर भी
काफ़ी मद्दे हैं
यद्द्यपि की स्टॅंडर्ड
उनके बाकी सबसे उँचे हैं |
कुत्ता एक भौंकता
सुनकर दस और भौकने लगते हैं
एक जगह के भाषण से
तामुल्क में भाषण होते हैं |
भौं-भौं करके नोचा
नोची इन स्वानों में होती है
सुनने वाले नेता की तब
अहम भूमिका होती है |
कुछ गुण जिन्हें गिनाए
मैने इन्हें छोड़ बहुतेरे हैं
संक्षेप में समझो गुणी
सभी इस देश के नेता मेरे हैं |
जिन देशों को उन्नति
भारत जैसी जल्दी लानी हो
फ़ौरन ऑर्डर दर्ज
कारावे क्रय नेता की करनी हो |
प्लांट बड़ा यह दुनिया
में नेताओं के प्रोडक्सन का
गुरु यही है नारे बाजी
धरना और प्रदर्शन का |
हर जगह भीड़ नेताओं की
कहीं जगह न खाली है
नयी उपज रखने को अब तो
जटिल समस्या भारी है |
गधा गधों को पैदा करता
जन ही जन को जनता है
माँ बाप जाति के नेता
हो औलाद को नेता बनना है |
जन्म पूर्व ही बच्चों
को रोज़गार की चिंता रहती है
नेता बनकर पैदा होना
उस चिंता से मुक्ति है |
अब चुनाव में नेता
सारे वोट डालने जाएँगे
कुछ लोगों को अपने मे
से चुनकर प्रजा बनाएँगे |
प्रजातंत्र के अंत में
होगा नेतातंत्र ही आख़िरकार
ठहरो शीघ्र बनेगी देखो
नेता प्रतिनिधि की सरकार |
- रमेश चंद्र तिवारी
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