Monday 10 August 2015

नेता प्रतिनिधि की सरकार

नेता प्रतिनिधि की सरकार शीर्षक कविता की रचना मैने 28 अप्रैल 1988 को की थी | यह हिन्दुस्तान में नेताओं की बाढ़ पर एक चटपटा व्यंग्य है |

नेता प्रधान यह देश जहाँ नेता से नेता बनता है
सच पूछो तो भाई सुन, लो नेता सारी जनता है |

दो नस्लों के नेता जिसमें पहला भाषण देता है
और दूसरा ध्यानपूवक जमकर उनको सुनता है |

दोनो खूब मेहनती हैं वे ड्वूटी तगड़ी करते हैं
व्यर्थ समय न जाने देते भाषण देते सुनते हैं |

भीख माँगने से लेकरके बड़े-बड़े व्यापारों तक
साइड जाब को करते-करते वेचारे जाते हैं थक |

लड़ने और लड़ाने में नेता दोनों ही माहिर हैं
नीति विदेशी अमरीकी या रूसी सबके काबिल हैं |

हिंदू, सिख, मूसलमां सारे सुनने वाले नेता हैं
लेक्चर उन्हें सुनाने वाले टोपी धारी नेता हैं |

भाषण जब तक देते रहते दंगे नहीं उभड़ते हैं
आख़िर थकना पड़ता है तब खून के नाले बहते हैं |

सुनो भाइयों सुन लो, नेता फिर भी काफ़ी मद्दे हैं
यद्द्यपि की स्टॅंडर्ड उनके बाकी सबसे उँचे हैं |

कुत्ता एक भौंकता सुनकर दस और भौकने लगते हैं
एक जगह के भाषण से तामुल्क में भाषण होते हैं |

भौं-भौं करके नोचा नोची इन स्वानों में होती है
सुनने वाले नेता की तब अहम भूमिका होती है |

कुछ गुण जिन्हें गिनाए मैने इन्हें छोड़ बहुतेरे हैं
संक्षेप में समझो गुणी सभी इस देश के नेता मेरे हैं |

जिन देशों को उन्नति भारत जैसी जल्दी लानी हो
फ़ौरन ऑर्डर दर्ज कारावे क्रय नेता की करनी हो |

प्लांट बड़ा यह दुनिया में नेताओं के प्रोडक्सन का
गुरु यही है नारे बाजी धरना और प्रदर्शन का |

हर जगह भीड़ नेताओं की कहीं जगह न खाली है
नयी उपज रखने को अब तो जटिल समस्या भारी है |

गधा गधों को पैदा करता जन ही जन को जनता है
माँ बाप जाति के नेता हो औलाद को नेता बनना है |

जन्म पूर्व ही बच्चों को रोज़गार की चिंता रहती है
नेता बनकर पैदा होना उस चिंता से मुक्ति है |

अब चुनाव में नेता सारे वोट डालने जाएँगे
कुछ लोगों को अपने मे से चुनकर प्रजा बनाएँगे |

प्रजातंत्र के अंत में होगा नेतातंत्र ही आख़िरकार
ठहरो शीघ्र बनेगी देखो नेता प्रतिनिधि की सरकार |

-              रमेश चंद्र तिवारी

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