तुलसी जयन्ती


राम चरित मानस एक अदभुद महाकाव्य है क्योंकि उसमें मानव जीवन से सम्बंधित सभी प्रश्नो के उत्तर हैं तथा कोई ऐसा भारतीय ग्रंथ नहीं है जिसका सार उसमें निहित नहीं है । ऐसे ग्रंथ के रचनाकार महाराज तुलसी दास जी की आज जयन्ती है। इस शुभ अवसर पर मैं अनुश्री की एक कविता के कुछ अंश के माध्यम से उनके जीवन के विषय में कुछ महत्वपूर्ण बातें यहाँ प्रस्तुत करता हूँ ।
पराधीन जनता भारत की त्रसित कई सदियों से थी,
धैर्य स्वयं ने धीरज खोया, धर्म की अन्तः नीव हिली ।
लगा देश की जीवन पद्धिति सदा-सदा मिट जाएगी,
भारत की पहिचान नहीं इस दुनिया में बच पाएंगी ।
धैर्य बँधाए ऐसे में था ऐसा कोई व्यक्ति नहीं,
बुझते दीपक पुनः जलाने की थी कोई युक्ति नहीं ।
सनातनो की देख दुर्दशा भगवत का जी द्रवित हुआ,
उनकी न्यायपालिका में उस पर विचार भी त्वरित हुआ ।
राजापुर बांदा में रहता दुबे एक दंपत्ति सुखी,
पंद्रह सौ चौवन संबत था श्रावण शुक्ल सत्तमी थी ।
बारह माह गर्भ का बच्चा माता हुलसी ने जन्मा,
अभुक्त मूल में पैदा शिशु ने राम कहा भूला रोना ।
विधुर बाप ने त्यागा उसको अति अनिष्ट की शंका से,
हुआ वही संयोग बना जो ईश्वर की अनुकंपा से ।
गृहकार्य नहीं उसको तो कोई और कार्य ही करना था,
पिता आत्मा राम दुबे के घर से बाहर होना था ।
आगे चलकर दैव योग से स्वामी नरहरि गुरु मिला,
ज्ञान रश्मियाँ उनकी पाकर बालक पंकज पूर्ण खिला ।
जैसा नाम राम बोला था राम राम ही बोल उठा,
राम कथा उसकी सुन करके जन मानस भी डोल उठा ।
पान किया फिर उसी शिष्य ने रामायण की रस धारा,
नाम दिया गुरुदेव ने 'तुलसी' उस बालक को अति प्यारा ।
वह किशोर फिर आया काशी वेदाध्ययन करने हेतू,
पंद्रह वर्ष वहाँ पर रहकर बना ज्ञान का दृढ़ सेतू ।
पर समाज ने एक बार फिर उसको पथ से अलग किया,
दीनबन्धु पाठक की कन्या रत्नावलि से व्याह हुआ ।
आसक्त हुए अपनी पत्नी से गोस्वामी जी कुछ ऐसे,
नारी के मयके को जाकर उसके पीछे ही पहुँचे ।
ज्ञान दिया पत्नी ने कहकर तीब्र व्यंग्य वाणी उनको,
प्रेम धार इमि मोड़ दिया अनुराग जगा उनमें प्रभु सों ।
जिस कार्य हेतु वे आए थे उसको तो पूरा करना था,
भटके हुए राह पर उनको ठोकर आख़िर लगना था ।
चित्रकूट, काशी, प्रयाग पश्चात अवध को वे आए,
राम भक्ति का भाव उमड़ता उर में कैसे थम पाए ।
संबत सोलह सौ एक्तिस था, मधूमास के मधु दिन थे,
पर्व राम की नौमी आई उल्लासित नारी-नर थे ।
‘रामचरित मानस’ की रचना ......................................
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