Sunday 22 October 2023

निकली है वान्ट

राजनीति पर यह एक व्यंग्य रचना है जो 10 जून 1988 को लिखी गई थी तथा यह तरुण छत्तीसगढ़ में 16 जुलाई 1988 को प्रकाशित भी हो गयी थी ।


मेरा बेरोज़गार दोस्त भागते हुए आया

हाँफ़ते-हाँफ़ते उसने बताया,

यार, निकली है वान्ट !

अरे ! मैने कहा तू हो जा शांत ।

उसने कुर्सी खींची

बैठकर बढ़ती साँस रोकी ।

फिर बोला,

लीडरों के पद भारी मात्रा में हैं रिक्त

और अपने लिए हैं बिल्कुल उपयुक्त ।

उमर में जिंदगी भर की छूट,

चलो दो पद लावें लूट ।

इसमें चूके

तो रहोगे भूंखे

क्योंकि हम ओवर ऐज हो चुके ।

रही योग्यता की बात

पढ़ता हूँ पेपर है साथ ।

शिक्षा में :

चलेगा पहला अक्षर फेल

बस चाहिए अनुभवों का तालमेल ।

अनुभव – न्यूनतम :

किसी मान्यता प्राप्त जेल में बिताएँ हों दो वर्ष,

अस्पताल में पौन वर्ष ।

अनिवार्यता :

होना ज़रूरी है फोकटी कार्यकर्ता,

मुख्य रूप से, जिससे इलाक़ा हो डरता ।

वरीयता :

अगर है अभिनेता तो मिलेगी वरीयता ।

हो दुर्नाम या बदनाम

बस नाम होने से काम ।

आवेदन विधी :

है बिल्कुल सीधी

नाटकीय आँसू बहाने का,

परिमार्जित झूठ बोलने का,

उत्तम डींग मारने का,

दमदार गला फाड़ने का,

इन सबका सही-सही कालम भर देना है

और नीचे अंगूठा टाप ठोंक देना है ।

संलग्नक :

जाने माने नेता द्वारा जाति प्रमाण पत्र,

साथ में वाइन हाउस का चरित्र प्रमाण पत्र

संलग्न कर कोई पार्टी देख लो

और उसको यह सब भेज दो ।

नोट :

नागरिकता में

ज़रूरी नहीं है भारतीयता ।

केंद्र परीक्षा के

चुनो अपनी इक्षा से ।

और हाँ, इस परीक्षा में

बैठने के बजाय होना है खड़ा

सोचना नहीं है

अगर जर-ज़मीन भी बेचना पड़ा ।

~~~~

यह कविता डायमंड बुक्स द्वारा प्रकाशित मेरी पुस्तक "अनुश्री" से ली गयी है। #अनुश्रीकविताएं हिन्दी में रचित मन को मुग्ध कर देने वाली पुस्तक है। यह इतनी सरल है कि इसे कोई भी पढ़ और समझ सकता हैं । इसमें प्रवेश करते ही आपको ऐसा प्रतीत होगा कि आप सुन्दर से कल्पना लोक में हैं जिसमें एक ओर दिव्य मंदिर हैं जहाँ प्रार्थना व् भजन हो रहे हैं घंटियां बज रही हैं, दूसरी ओर भारतीय संस्कृति की अदभुद झांकियां सजी हुई हैं, राजनीति के रहस्यमयी सुरंग हैं, देश के स्वर्णिम अतीत के चलचित्र, नन्हें बच्चों के घरौंदे, प्रेम की चित्ताकर्षक वादियां हैं।

इस पुस्तक में सौ से भी अधिक कविताएं हैं जो आस्था, प्रकृति, राष्ट्र, मानवता, राजनीति, बाल काब्य, संस्कृति, महापुरुष आदि नौ खण्डों में विभक्त हैं । कोरोना महामारी का हृदयविदारक चित्रण है, स्वच्छ भारत पर एक मनोरंजक एकांकी है और जल ही जीवन है विषय पर एक दिल दहला देने वाली एक कहानी है । पुस्तक बहुत ही सरल, मनोरंजक व् जीवन मूल्यों के सन्देश से युक्त है ।

आपका मन उदास रहता है, अनिक्षा होती है, उत्साह में कमी आ गई है, त्योहारों की स्वाभाविक ख़ुशी नहीं होती है, लोगों से मिलने का मन नहीं होता है, नींद में भय महसूस होता है ? यदि इसमें से एक भी लक्षण आप में हैं तो आपमें मोबाईल लत का बुरा प्रभाव होना प्रारम्भ हो गया है। मोबाईल के चारों और माइक्रोवेव फील्ड बना लेता है जिसके अधिक संपर्क में तनाव होने लगता है। अतः मनोरंजन हेतु पुस्तक पढ़िए, #अनुश्रीकविताएं पढ़िए - उसमें प्रेम, दया, श्रद्धा, उमंग आदि भावनाएं जो आपमें निष्क्रिय हो गयीं हैं उन्हें पुनर्जागृत करने वाली चीजें है। पढ़ते ही आपमें भिन्न-भिन्न मनोभाव उठेंगे और आप प्रसन्न हुए बिना नहीं रह सकेंगे।

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