धार्मिक पर्यटन
भारत भूमि वैदिक, सनातन, बौद्ध, जैन और सिख संस्कृति की जननी है। कालांतर
में कुछ अन्य धर्मों के भी
तीर्थ बढ़े। अतः
यहाँ बहुत से तीर्थ स्थल हैं और लोगों की उनमें गहरी आस्था है। यहाँ प्राचीन काल
से ही तीर्थ यात्राओं की परम्परा रही है। देश के हर दिशा में कोई न कोई महत्वपूर्ण
तीर्थ स्थान हैं जिनके दर्शन हेतु देश भर के लोग वर्षभर यात्रा करते हैं और इस दौरान
अलग-अलग सामाजिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों के साथ परस्पर सपंर्क में आने से एक
दूसरे के जीवन शैलियों, भाषाओं और
प्रथाओं का आदान-प्रदान होता है, जिसकी वजह से लोगों में राष्ट्रीय या क्षेत्रीय
एकीकरण को बढ़ावा मिलता है और तीर्थस्थलों के आसपास बाजार बन जाते हैं । तीर्थयात्राओं में देश की विविधता के मध्य
जनमानस की मूलभूत एकता की भावना प्रवाहित होती रही है। तीर्थयात्रा से संगीत, वास्तुकला, मूर्तिकला और चित्रकला को प्रोत्साहन मिलता है और उनका हस्तांतरण भी
होता है। शिक्षा, सूचना और सांस्कृतिक चेतना का स्रोत है तीर्थयात्रा
।
निर्यात से विदेशी मुद्रा आती है और आयात
से वह खर्च होती है । इसी तरह पर्यटकों के आने से
मुद्रा आती है । अतः पर्यटन का देश की अर्थव्यवस्था से सीधा सम्बन्ध है। पर्यटन
दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा निर्यात का उद्योग बन गया है । कोरोना पूर्व विश्व के कुल माल और सेवा निर्यात
में पर्यटन का हिस्सा छह प्रतिशत और सेवाओं के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में इसका
हिस्सा 30 प्रतिशत रहा है। इसके अलावा विश्व के कुल सकल घरेलू
उत्पाद का 9.8 प्रतिशत पर्यटन क्षेत्र से आता है ।
सन 1978 में चीन ने अपने दरवाजे बाकी सारी दुनिया के लिए खोलने की नीति अपनायी
थी तब से उसके आर्थिक विकास के अन्य विकल्पों के साथ पर्यटन ने महत्वपूर्ण योगदान
किया है। जब एशिया के बहुत से देशों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया था तब उसने पर्यटन
संवर्धन में तत्परता दिखाई थी। उसने तत्काल प्रभाव से अपने सभी यातायात एवं संचार
संसाधनों को आधुनिक बनाने तथा पर्यटन स्थलों का सौंदर्यीकरण करके उसे दर्शनीय एवम्
आकर्षक बनाने का काम प्रारम्भ कर दिया था ।
पर्यटन के विकास और रोजगार सृजन के लिए भारत की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक और प्राकृतिक विरासत अत्यंत समृद्ध है। देश को इसका पूरा लाभ मिल सके इसलिए भारत सरकार
ने 2014-15
के बजट भाषण में विशेष थीमों पर आधारित पर्यटक परिपथों के निर्माण का निर्णय लिया।
प्रसाद, स्वदेश दर्शन, उड़ान जैसी योजना शुरू की गई जिससे विभिन्न पंद्रह थीमो में रामायण परिपथ, कृष्ण परिपथ, बौध परिपथ सहित तीर्थंकार, सूफ़ी एवम् अध्यात्मिक
परिपथो का विकास हुआ और धार्मिक गंतव्यों तक पहुचने के लिए सभी मार्गों के यातायात संसाधनों का विकास इस तरह किया
गया कि यात्रा अरामतलब हो, समय की बचत हो
और साथ में सुरक्षित भी हो।
गुजरात के नर्मदा जिले में नर्मदा नदी पर स्वतंत्र भारत के शिल्पी सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित उनकी 31 अक्टूबर 2013 को 137वीं जयन्ती के अवसर पर तत्कालीन मुख्यमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विशालकाय स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का
शिलान्यास किया था जो अब पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गया है। 8 मार्च 2019 को प्रधानमंत्री
ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का शिलान्यास किया। राम मंदिर का शिलान्यास 5 अगस्त 2020 को हुआ ।
मंदिर का काम पूरी रफ्तार से तो चल ही रहा है साथ ही रामनागरी का भी कायाकल्प हो
रहा है। उन्होंने ने 20-अगस्त-2021 को प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मंदिर की चार
परियोजनाओं का उद्घाटन और मुख्य मंदिर के पास पार्वतीजी मंदिर का शिलान्यास किया। सोमनाथ
मंदिर के किनारे अरब सागर पर सवा किमी लंबा वॉक-वे बनाया गया है। सोमनाथ परिसर में
एक संग्रहालय तैयार किया गया है जिसमें मंदिर के प्राचीन खंडित अवशेष और मंदिर की
ऐतिहासिक घटनाओं को दर्शाने वाले साहित्य भी प्रदर्शनी के लिए रखे गए हैं। 11-अक्टूबर-2022 को मध्य
प्रदेश के उज्जैन में ‘श्री महाकाल लोक’ का वैदिक मंत्रोचारण के साथ लोकार्पण हुआ। केदारनाथ व बद्रीनाथ से जुड़ी तमाम विकास परियोजनाओं का शिलान्यास प्रधानमंत्री
जी कर चुके हैं और अब उनका पुनर्निर्माण मास्टर
प्लान के तहत हो रहा है। आज चाहे दक्षिण के मंदिर हों या उत्तर के तीर्थयात्री श्रद्धालुओं की
लम्बी कतार हर जगह लगातार लगी रहती है।
भारत योग का जन्मस्थान है। यहाँ संतों, आचार्यों
द्वारा स्थापित योग स्थल हैं जहां प्राकृतिक वातावरण में योग सत्र चलते हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमन्त्री नें 27 सितम्बर 2014 को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस की पहल की थी
जिसके बाद प्रतिवर्ष 21 जून को योग दिवस मनाया जाता है। आज योग रिट्रीट
और प्राकृतिक चिकित्सा पद्यति से चल रहे आयुर्वेदिक स्पा बड़ी संख्या में विदेशी
पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने सोमनाथ मंदिर की परियोजनाओं
का उद्घाटन करते हुए 20 अगस्त 2021 को कहा था: "आज दुनिया भारत के योग,
दर्शन, अध्यात्म और संस्कृति की ओर आकर्षित हो
रही है। नई पीढ़ी में भी अपनी जड़ों से जुड़ने की जागरूकता आई है। हमारे टूरिज्म
और अध्यात्मिक टूरिज्म में संभावनाएं हैं। देश आज आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर बना रहा
है, प्राचीन गौरव को पुनर्जीवित कर रहा है। हमारा पर्यटन
मंत्रालय स्वेदश दर्शन स्कीम के तहत 15 अलग-अलग थीम पर
टूरिस्ट सर्किट विकसित कर रहा है। इनसे देश के कई उपेक्षित इलाकों में भी पर्यटन
और विकास के अवसर पैदा हो रहे हैं। आज देश इन पवित्र तीर्थों की दूरियों को कम कर
रहा है। 2014 में देश ने इसी तरह तीर्थ स्थानों के विकास के
लिए प्रसाद स्कीम की घोषणा की थी। इस योजना के तहत देश में करीब 40 तीर्थ स्थानों को विकसित किया जा रहा है। देशभर में 19 आइकॉनिक टूरिस्ट डेस्टिनेशन की पहचान कर उन्हें डेवलप किया जा रहा है। ये
टूरिज्म इंडस्ट्री को ऊर्जा देंगे। 2013 में देश जहां
टूरिज्म में 65वें स्थान पर था 2019 में 34वें स्थान पर आ गया है । पर्यटन के जरिए आज देश सामान्य मानवी को न केवल
जोड़ रहा है, बल्कि खुद भी आगे बढ़ रहा है।"
धार्मिक पर्यटन
भारत को विकसित करने के लिए सबसे मजबूत इकाइयों में से एक है। सरकार न केवल एक
आर्थिक परवर्तक के रूप में बल्कि सामुदायिक समाकलन के लिए भी धार्मिक पर्यटन के
महत्व के प्रति जागरूक है। उसके लगातार प्रयास से धार्मिक पर्यटन बढ़ रहा है। बड़े
भौगोलिक विस्तार वाले देश में सामाजिक समेकीकरण के साथ-साथ घरेलू लघु उद्योगों में
बृद्धि, रोजगार सृजन, सांस्कृतिक और विरासत मूल्यों का
संवर्धन, स्थानीय कला और शिल्प का विकास हो रहा है।
देश के शीर्ष सेवा उद्योगों में पर्यटन सबसे बड़ा सेवा उद्योग है। इस उद्योग ने बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित करने और रोजगार सृजन में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। पर्यटन उद्योग की तरफ से पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय पर्यटन का बाजार 2024 तक बयालीस अरब डालर तक पहुंच जाएगा। पर्यटन सेवा उद्योग का भारत के राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में 6.23% और कुल रोज़गार में 8.78% का योगदान है। 2022 में करीब 62 लाख विदेशी पर्यटकों ने भारत की यात्रा की। पर्यटन मंत्रालय इस साल को भारत की यात्रा पर फोकस करते हुए 'विजिट इंडिया ईयर 2023' के रूप में मना रहा है.। भारत की जी20 की अध्यक्षता के तहत एक पहल के रूप में, भारत सरकार का पर्यटन मंत्रालय नई दिल्ली में देश का पहला वैश्विक पर्यटन निवेशक शिखर सम्मेलन आयोजित करने जा रहा है। इस सम्मेलन का मकसद वैश्विक और घरेलू निवेशकों को भारत के पर्टयन उद्योग में निवेश को आकर्षित करना है ।
- Ramesh Tiwari
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