Wednesday 25 March 2020

अभद्र जीवन शैली

यह कोरोना नहीं है बल्कि दुनिया की अभद्र जीवन शैली के विरुद्ध प्रकृति की कठोर व्यवस्था है । एक दूसरे से दूर रहकर बैठने, उठने की परंपरा को छुवाछूत की संज्ञा दी गयी । दूर से हाथ जोड़कर प्रणाम करना दकियानूसी और सेकहैंड स्मार्ट अभिवादन । सनातन सभ्यता से पुरानी और कोई सभ्यता नहीं है । स्पष्ट है उसमें समाज के लिए जो भी नियम निर्धारित किए गये हैं वे मानव जीवन के हज़ारों वर्षों के अनुभवों पर आधारित हैं अतः पूरी तरह से दोषहीन हैं । हमारी सदैव से परम्परा राखी व मिट्टी से हाथ धोकर फिर कपड़े उतारकर भोजन करने की रही है क्योंकि दूसरों के संपर्क में रहने की वजह से हमारे हाथ व कपड़ों को संक्रमित होना स्वाभाविक है । किसी प्रकार का वायरस भोजन के साथ हमारी आँतों में न जा सके ऐसी हमारी जीवन शैली रही है । ध्यान रहे शरीर के भीतर जाने के बाद ही वायरस सक्रिय होता है । जूते चप्पल पहनकर रसोई में जाना वर्जित था, क्यों? क्योंकि बाहर से आते समय जूते संक्रमित हो जाते हैं । घृणा की राजनीति करने वालों ने हमारी इन परम्पराओं की खूब खिल्ली उड़ाई । सेकुलरों बाज आओ वरना दुनिया के साथ तुम भी मरोगे ।

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